कर रहा हूँ
प्रेमी दिवस की खंडण.
प्रेमिका न मिली,
हमारी जवानी में लड़कियाँ परदे के पीछे!
आजकल का गाना चोली के पीछे भीतर क्या है
अभिभाकों द्वारा दंडनीय, अक्षम्य अपराध.
पर गाये कार्तिकेय के वल्ली प्रेम गाना.
गणपति की प्रेम सफलता की मदद.
पर जवानों को लडका देखने की अवसर कम.
न कालेज, न जटी काम, समाज विरोध.
न निरोध, न मिलकर रहना बिछुड जाने की बात.
न सह शिक्षा, न सिटी बस्डै्ंड.
बूढी नानी, बूढी दादी के घेरे में घूंघट ओढकर आती.
न आजकल की तरह मिति मुनि ड्रस.
न अर्द्ध नग्न उभरी बिरा, यह न लगता बुरा.
हेलन को देखते, नायिका तो भद्र स्त्री, पर
आजकल की नायिका ओढनी फेंक नाचने लगती.
ईर्ष्या वश हम करते प्रेमी दिवस की उल्लंघन.
पर हमारे जमाने में न तलाक शब्द,
न अदालत मुकद्दमा.
स्त्री केवल बेगार, कठपुतली.
उस जमाने की लड़कियों काशाप
वर के लिए वधु मिलना अति दुर्लभ.
प्रौढ कन्या नहीं अब प्रौढ अविवाहित कन्य.
प्रिय प्रिया होता तो कन्या कन्य सहू.
हम करते प्रेम दिवस की खंडन समाज कल्याण को लिए.
मन में तो ईर्ष्या ज़रूर.
मुरादाबाद प्रेम दिवस.
प्रेमी दिवस की खंडण.
प्रेमिका न मिली,
हमारी जवानी में लड़कियाँ परदे के पीछे!
आजकल का गाना चोली के पीछे भीतर क्या है
अभिभाकों द्वारा दंडनीय, अक्षम्य अपराध.
पर गाये कार्तिकेय के वल्ली प्रेम गाना.
गणपति की प्रेम सफलता की मदद.
पर जवानों को लडका देखने की अवसर कम.
न कालेज, न जटी काम, समाज विरोध.
न निरोध, न मिलकर रहना बिछुड जाने की बात.
न सह शिक्षा, न सिटी बस्डै्ंड.
बूढी नानी, बूढी दादी के घेरे में घूंघट ओढकर आती.
न आजकल की तरह मिति मुनि ड्रस.
न अर्द्ध नग्न उभरी बिरा, यह न लगता बुरा.
हेलन को देखते, नायिका तो भद्र स्त्री, पर
आजकल की नायिका ओढनी फेंक नाचने लगती.
ईर्ष्या वश हम करते प्रेमी दिवस की उल्लंघन.
पर हमारे जमाने में न तलाक शब्द,
न अदालत मुकद्दमा.
स्त्री केवल बेगार, कठपुतली.
उस जमाने की लड़कियों काशाप
वर के लिए वधु मिलना अति दुर्लभ.
प्रौढ कन्या नहीं अब प्रौढ अविवाहित कन्य.
प्रिय प्रिया होता तो कन्या कन्य सहू.
हम करते प्रेम दिवस की खंडन समाज कल्याण को लिए.
मन में तो ईर्ष्या ज़रूर.
मुरादाबाद प्रेम दिवस.
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