Sunday, February 3, 2019

मेरी रचनाएँ (मु )




मेरी रचनाएँ 

नमस्ते! समिति के सदस्यों को और संयोजकों को !
शीर्षक =विष युक्त समाज।
मनुष्य के प्राण लेने जहर;
समाज को बिगाड़ने विष युक्त विचार।
समाज सुधारने एक दल ,
समाज में विषैले
विचार फैलने
एक दल।
धूम्र पान मना है -
स्वास्थ्य के लिए।
स्वास्थ्य के लिए -
मधशाला मना है -
यह सुविचार छोटे वर्णों में।
विषैले विचार
सरकार चलाने के लिए
पैसे /आय दोनों के लिए मधुशाला
यह विषैला विचार।
भ्रस्टाचार मना है , अपराध है.
चुनाव में करोड़ों
खर्च भ्रष्टाचारी ही करते ,
वह मना नहीं है.
शिक्षालय की वृद्धि के नाम
शिक्षालय में दान स्वीकार है ,पर
मन माना वसूल ,रसीद न देना ,
विषैला विष युक्त प्रणाली।
सुविचार न्यायाधीश न्याय प्रिय ,
न्यायधीश अवकाश के बाद
न्याय पर
कीचड उछालना
विष युक्त प्रणाली।
न्यायालय अय्यप्पन मंदिर में
महिला प्रवेश ,
न्याय युक्त ,
पर मस्जिद में महिला मना.
यह न्याय विष युक्त।
देखा ,अनुभव क्या ,
अपराधियों अमीर हो तो
जमानत।
राजनैतिक नेता हो तो बरोल।
यह विषयुक्त क़ानून।
थोड़े में कहें तो विषय मुक्त ,
विष युक्त समाज में जी रहे हैं हम.
स्वरचित। स्वचिंतक -यस। अनंतकृष्णन।
दिल का अंधेरा,
तन मन बुद्धि चरित्र
सब को कर देता.
वनमाली प्रह्लाद के दिल के अंधेरे से
विकसित चिंतन.
वाह!
दिलों के अंधेरा घना कुहरा है,
सूर्य देव से असंभव.
एक बडा है तो दूसरों को दबाते रहना.
राजा हमेशा सम्राट बनना है तो
जीतने के षडयंत्र में
दिल में हो जाता
निर्ममता.
भीष्म भी निर्दयी
तीन राजकुमारियों की
शादी एक नपुंसक से
कराकर संभोग के लिए
दूसरों का प्रबंध
यह दर्प, हिंसा, अहंभाव,
हजारों कोे मारकर खुद भी मर जाता
कष्ट सहकर अपमान सहकर.
द्रोण ने छल से अंगूठा कटवाया,
उनकी मृत्यु छल से पुत्र शोक से हुई.
जीने के लिए मानव के दिल में अंधेरा
ऐसा छा जाता, भला बुरा न सोच,
कष्टों पर कष्ट सह उसी को सुख मान
दुखी आत्मा बन छल छल के चल बसता है,
वाह! वाह! विवाह!
कितने प्रकार के बंधन!
यहाँ भी रोला का बंधन.
अभिभावक व्यवस्थित विवाह.
कितने तरीके, कितने प्रकार,
रखैल विवाह.
मंगल सूत्र विवाह
अंगूठी धारण.
मिलकर रहना,
शारीरिक सुख विवाह
प्रेम विवाह,
जातीय प्रेम, विजातीय प्रेम, मज़हबी प्रेम
अनमेल विवाह, मानसिक प्रेम.
जबरदस्ती ब्याह, अपहरण विवाह,
मज़बूरी विवाह. गैर हाजिरी विवाह
स्वर्गीय विवाह, नारकीय विवाह
विचित्रवीर्य विवाह, संतानोत्पत्ती परायों से
विवाह तलाक तक.
त्याग, भोग, धन, तन, मन से संबंधित.
नाम मात्र विवाह.
स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा स्वरचित.
वाह! वाह! विवाह!
कितने प्रकार के बंधन!
यहाँ भी रोला का बंधन.
अभिभावक व्यवस्थित विवाह.
कितने तरीके, कितने प्रकार,
रखैल विवाह.
मंगल सूत्र विवाह
अंगूठी धारण.
मिलकर रहना,
शारीरिक सुख विवाह
प्रेम विवाह,
जातीय प्रेम, विजातीय प्रेम, मज़हबी प्रेम
अनमेल विवाह, मानसिक प्रेम.
जबरदस्ती ब्याह, अपहरण विवाह,
मज़बूरी विवाह. गैर हाजिरी विवाह
स्वर्गीय विवाह, नारकीय विवाह
विचित्रवीर्य विवाह, संतानोत्पत्ती परायों से
विवाह तलाक तक.
त्याग, भोग, धन, तन, मन से संबंधित.
नाम मात्र विवाह.
स्वचिंतक:यस.अनंतकृष्णन द्वारा स्वरचित.
लक्ष्मी के नाम पत्र ,
देवी! चरण वंदन।
तेरी महिमा जन्म विदित है ,
सर्वत्र तेरे गुणगान।
चुनाव में जीतना ,
स्नातक -स्नातकोत्तर की उपाधियाँ पाना
व्यापार करना ,
रिश्ते-नाते दोस्तों के भीड़ में मज़ा लेना ,
कारखाने ,माल के मालिक बनना
चित्र पट के निर्माता - निदेशक बनना ,
चित्रपट -घर बनाना ,
संगणिक -अंतरजाल -यात्रा -सपर्क सब के मूल में
लक्ष्मी प्रधान।
जितना भी बल तुझमें हैं ,पर
तेरे अवहेलना करने का एक पल
हर एक के जीवन में अवश्य।
पहाड़ को चूर चूर भले करो।
धर्म -अधर्म कीजीत -हार तुम पर निर्भर।
अपार शक्ति तुझ में ,
तेरे वश में सब कुछ ,सभी प्रकार का आनंद सोच
न्याय -अन्याय तेरे अधीन।
भगवान की महिमा भी हीरे के मुकुट ,
सोने के कवच में.
इतना होने पर भी न जाने
तुझ से दूर न करनेवाले
कई विषय है संसार में.
करोड़पति के यहाँ असाध्य रोगी ,
डाक्टर के यहाँ पागल बच्चे,
करोड़पति के पुत्र का अकाल मृत्यु।
करोड़ों के खर्च कर चुनाव में हार.
गधे का स्वर संगीत प्रिय को।
जन्म से अंधे, निस्संतान दम्पति
कई विषय ऐसे संसार में
तुम्हारे अधीन नहीं।
रेगिस्तान को उपजाऊँ भूमि न बना सकती तू.
दक्षिण ध्रुव को गरम प्रदेश नहीं बना सकती तू.
जन्म से मंद बुद्धि को प्रतिभाशाली न बना सकती तू.
फिर भी यह पागल दुनिया ,
तेरे पीछे पागल।
हँसी आती है ,मुझे कई करोड़पति की आत्महत्या देख.
लक्ष्मी तू हार गयी.
कितने साल पुराना दीपावली न जाना.
पटाखे छूटना कब से शुरु न जाना.
मेरी उम्र सत्तर साल
लगातार पटाखे फटती
चुनाव के समय सांसद के उम्मीदवार
गिनती तक बदल बदलकर
पटाखे आ सेतु हिमाचल थोड़े दिन भर
भाजापी आगे हर गली में छूटती.
कांग्रेस आगे छूटती
अब की गिनती आगे पीछे
मन माना पटाखे
इसका भी दीपावली के समान
प्रति बंधन लगाते तो
न्यायालय तटस्थ.
राजनैतिक दल के शव यात्रा में
सडक रोक पटाखे घंटों
अमीरी की शादी बारात में घंटों पटाखे
आहा! हमारे देश में तो न दंड
अमीर और राजनैतिक और नामी पटकथा नायक के
अपराध को, न्यायालय के फैंसलानुसार
अपराधी लड सकते हैं चुनाव.
चार साल से ज्यादा न रहें तो
मुख्यमंत्री बन सकते.
अतः केवल हिंदु पर्वों पर प्रतिबंधन.
तोता ज्योतिष अपराध.
गो माँस छूट.
जय हिंदू महा संख्या भारत.
अलग देश देकर अब अल्प संख्यक अधिकार देकर
अब पटाखे का आनंद अमुक समय पर.
रामचंद्र !?!?)
सत्य साई राम.
शाश्वत सत्य प्रमाण.
सांसारिक एकता का मूल.
मानवता के प्रचार में
न मज़हबी भेद
स्वार्थ मज़हबी यही सिखाते
अल्ला बडा,ईसा बडा, हिंदु बडा,
सिक्ख बडा,बौद्ध बडा, जैन बडा.
साई राम तो यही कहते
मानव धर्म मनुष्यता बडा.
भजन में मिलाते
अल्ला साई ईसा साई शिव साई विष्णु साई
सिक्ख साई, बौद्ध साई जैन साई.
मानो सब मत-संप्रदाय यही सिखाते
सत्य पथ पर चल.
प्रेम मत पर चल.
नेक पथ पर चल.
कर्तव्य पथ पर चल.
सेवा पथ पर चल.
मनुष्य मनुष्य भेद कर
अशांति हिंसा ठग निर्दयता,
अहंकार, क्रोध काम, लोभ स्वार्थ
सब तज, संसार है मिथ्या, अशाश्वत.
यही सब मजहब की सीख.
सोना एक, मिट्टी एक ,चाँदी एक
बर्तन, आभूषण, रूप अनेक.
वैसे ही भगवान एक.
दीन दुखियों की सेवा में
बढती संपत्ति.
भगवान रहेगा तेरा दिल में.
महान सत्य साई को नमन.
स्वचिंतक स्वरचित यस. अनंत कृष्णन.
.
स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी /ஸ்டேட்யு ஆப்
யூனிட்டி அதுவும் தமிழில் தவறாக.
खेद की बात है सरदार पटेल की मूर्ति में
अंग्रेज़ी को ही भारतीय भाषाओं में स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी लिखा है.
अंग्रेज़ी ही है आगे भारतीय भाषा .
एकता की मूर्ति या एकता की शिला लिखना है।
धीरे धीरे भारत की भाषा सिर्फ अंग्रेज़ी।
एकता की मूर्ति नहीं लिखी।
சர்தார் படேல் சிலையில் இந்திய மொழி ஆங்கிலம் தான் .எழுத்துக்கள் மட்டுமே இந்தியமொழி .
statue of unity என்றே இந்திய மொழிகளில்
மொழிகளில் எழுதப்பட்டுள்ளது.
நாட்டு மொழி ஆங்கிலமே .
மோடி அரசு ஆங்கிலமே இந்தியாவில்
என்று வையகத்திற்கு அறிவித்துள்ளது.
ஹிந்தி தமிழ்
ஒற்றுமையின் சிலை /ஏக்தா கீ மூர்த்தி / என்று எழுதவில்லை .
स्टेट्यू ऑफ़ यूनिटी /ஸ்டேட்யு ஆப்
யூனிட்டி அதுவும் தமிழில் தவறாக.
सबको प्रणाम।
हिन्दीतर भाषी हिंदी को
चाहकर प्रेरित करनेवाले सब
मुख-पुस्तिका के मित्रों को
धन्यवाद। मेरा सप्रेम नमस्कार।
प्रात: कालीन प्रणाम।
संसार स्वर्ग है,
संसार नरक है
संसार नश्वर है,
संसार अनश्वर है
संसार लौकिक है,
संसार अलौकिक है।
गंभीरता से सोचो,
जानो,समझो,पहचानो,
पता चलेगा, कैसे?
मौसमी परिवर्तन स्थाई।
फल फूल पत्ते अ्स्थाई।
काम क्रोध मंद लोभ स्थाई,
अंतर्मन में वास कर जीनेवाले अस्थाई।
वनस्पति,जीव जंतुओं, मनुष्य रचना स्थाई।
रचकर नष्ट करने की ईश्वरीय लीला स्थाई।
मनुष्य का रूपरंग गुण भाषा सब के सब
परिवर्तन शील , अमानुषय शक्ति स्थाई।
गुण शाश्वत,सत्य शाश्वत, अवगुण असत्य अशाश्वत।
स्वरित अनंत कृष्णन.
शब्द
स्वरचित
कुछ शब्द स्वर्गीय तो
कुछ शब्द नारकीय.
मल माल होना
माल मल होना
एक लकीर
पाप बाप बने तो संकट.
भाप बादल बने तो वर्षा.
मन बिगडा तो मान चलाजाता.
मद चलें तो मादा बनाता.
माता तो माँ, मादा तो पशु विशेष.
उच्चारण बिगड जाता तो
अर्थ बदल जाता,
चिंता चिता से बुरी,
बिंदु के कारण रोज जीना है
मर मरकर जीना पड़ता.
शब्द का प्रयोग सतर्क करना.
मधुर वचन मदिरालय.
नशा प्यार का चढाता.
कटुक वचन काट देता नाता -रिश्ता.
अश्वत्थामा का शोर,
कुंजरः का धीमा गुरु की हत्या
लकीर का बढना, शब्द का धीमा
कहानी बदल देता.
पूज्य प्रधान मंत्री महोदय ,
नमस्ते ! दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा ,चेन्नई ,गांधीजी स्थापित संस्था का शताब्दी वर्ष ,
केवल बाह्याडम्बर के लिए
बड़ी बड़ी इमारतें
अंग्रेज़ी माध्यम पाठशालाएं ,
इसकेलिए कार्यकर्ताओं से
जबरदस्त एक महीने का वेतन ,
हिंदी प्रचारक तमिलनाडु के सच्चे सेवक
उनसे सरकारी मान्यता
जो एक साल के एक बार देते हैं ,
उनसे जबरदस्त दान,
तमिलनाडु हिंदी विरोध कहकर
मनमाना प्रमाण पत्र , परीक्षा शुल्क ,दान ,
किताब खरीदना है , नहीं तो परीक्षा नहीं दे सकते।
एक घर में तीन लोग एक ही परीक्षा देनी है तो
तीन किताबें जबरदस्त सर पर मढ़ना कहाँ तक सार्थक है.
बाह्याडम्बर दिखाने इमारत के लिए आंशिक पूर्णकालीन विद्यालय के
गरीब प्रचारकों से पचास हज़ार तक दान लेना
क्या न्याय है?
मोहनदास करमचंद गांधी जी की आत्मा रोयेगी ज़रूर।
जहाँ हिंदी प्रचार मुफ़्त में करना है ,
वहाँ परीक्षा शुल्क ,अनिवार्य किताब बिक्री , अनिवार्य दान।
केवल इमारत बनवाकर लूटने।
हर एक परीक्षा केंद्र में नक़ल ,
सातवीं कक्षा में बी.ए
समकक्ष प्रवीण प्रमाण पत्र ,
विद्यार्थी मेला द्वारा
प्रश्न पत्र का व्यापार,
चुनाव में कितना भ्रष्टाचार,
प्रमाणित प्रचारक संख्या ,
कुछ प्रलोभन से बिना
चुनाव के सदस्य चुनना ,
बी.एड, कालेज में मनमाना लूट ,

केवल तमिलनाडु में ही
हिंदी प्रचारक त्यागमय
जीवन बिता रहे हैं ;
सभा की गतिविधियों के लिए
एक जाँच आयोग नियुक्त करेंगे तो
प्रचार सभा के भ्रष्टाचारों का ,
कार्यकर्ता और प्रचारकों के
त्यागमय जीवन का
पता चलेगा।
मनमाना वसूल कर इमारतें ,
पर शताब्दी वर्ष में
सभा के कार्यकर्तावों को
बोनस न देकर ,
प्रचारकों को प्रोत्साहन न देकर
दान दान दान वसूल .
तोरण द्वार के लिए बीस लाख ,
पर कार्यकर्ता और प्रचारक के लिए
क्या किया है?
क्वाटर्स बनाना ठेकेदार
लाभ के लिए.
सभा का विस्तृत मैदान
अंग्रेज़ी के विकास के लिए ,
मनमाना लूटने .
सभा का उद्देश्य हिंदी प्रचार --
पर प्रचारक को कमीशन
एजेंट बना रही है सभा.
अंग्रेज़ी ज्यादा बोलनेवाला अहाता।
आशा है सच्चे दिलसे जांच कर
योग्य प्रचारकों द्वारा
हिंदी प्रचार करने की
कार्रवाई
प्रधान मंत्री लेंगे।
धन्यवाद !
स्वरचित रचना ,
दिमाग टटोलकर ,
रचना लिखने
ढूँढ रहा हूँ।
विषय? कथानक ?
बच्चे गैर कानूनी
कबीर हैं। कर्ण है।
निर्दयी शिशु हत्याएँ ,
नदी में अवैध बच्चे को बहा देना ,
कन्या अपहरण ,
नपुंसक की शादी ,
बहुत सोचता हूँ
सभी युगों की बात।
दूसरी पत्नी को उठा लेना
रावण तो
छद्मवेष में अहल्या से इंद्र का सम्भोग शाप.
त्रेता युग , द्वापर युग, कलियुग
वैज्ञानिक खोजों से
युग तो परिवर्तित ,
बर्तन नए नए धातु के
प्लास्टिक ,ग्लास , माइक्रो ओवन ,
पकाने की विधि परिवर्तन ,
स्वाद में ,वास में
मूल तो वही,
कैसे आएगी नयी रचना?
खलनायक एक सामान सभी युगों में,
हथियार तो अब बन्दूक ,
तलवार की निर्दयता बन्दूक से
पहले आमने -सामने
अब चुपके छिपके ,
नयी कल्पना
नयी कहानी ,
कुछ भी नहीं ,
मैं सब में पुरानी
बातों की कल्पना
देखता हूँ , प्रमाण भी दे सकता हूँ.
வணக்கம்.
वणक्कम.
नमस्कार.
ईद का संदेश.
रोजों रुपये जोडो
मौत कब आएगा,
पता नहीं,
भोगोगे नहीं.
तमिल कवयित्री औवैयार...
मूर्ख मनुष्यों! सुनिये..
मेहनत करके धन जमाओगे,
तहखाना में गुप्त रखोगे,
देह से प्राण छूटने पर,
हे पापियों! कौन भोगेगा
वह धन.



-0:26


नमस्कार.
भगवान,
ईश्वर,
देव,
गणेश, कार्तिक, शिव, दुर्गा,
विष्णु, राम, कृष्ण, अल्ला, ईसा,
नाम ही है भिन्न.
कर्म है लोक रक्षा,
तटस्थ दंड/पुरस्कार.
हर नाम के अनुयायी
सब के सब सुखी नहीं,
सब के सब दुखी नहीं,
सबके सब ज्ञानी नहीं,
सब के सब बुद्धु नहीं,
.सब के सब स्वस्थ नहीं,
सबके सब रोगी नहीं,
असीम भूभाग,
अनंत आसमान,
एक ही सूर्य,
एक ही चंद्र
पर
एक समान
रोशनी नहीं,
एक समान
गर्मी नहीं.
एक समान
शीतल नहीं,
वनस्पति हरियाली,
छाया
भिन्न भिन्न.
गुण, स्वाद में भी भिन्न..
देखिए, मीठा फल मीठा ही है,
खट्टा खट्टा ही,
कडुआ कडुआ ही.
बदलना मुश्किल.
पर मानव के गुण में
प्रेम, दया, परोपकार,
स्वार्थ, लोभ,
डर, निडर,
कायर, ज्ञानी,
अज्ञानी,
चतुर ,
चालाक,
ईमान
बेईमानी
संगति के अनुसार,
बदल सकते हैं,
अत्याचार क्रूर शासक,
सुशासन बने,
बनाया, बनवाया
देखा ,
गर्मी में स्वीडन की गर्मी
हिमाचल मेंकैसे?
दक्षिण के सुखी मौसम,
पाश्चात्य देश में कहाँ?
धनी सुखी नहीं,
गरीबी दुखी नहीं,
कर्म फल ही प्रधान.
अमीर गरीब बनता
देखते हैं.
पापी सुखी,
पुण्यात्मा दुखी.
ईश्वरीय लीला अति सूक्ष्म..
ईश्वर के नाम में
पुण्य प्रचार,
ईश्वर के नाम लेकर
अपहरण ,लूट..
विचित्र जग में,
सब को समान दंड मृत्यु.


Anandakrishnan Sethuraman to संगम
संगम दोस्तों को प्रणाम.
हर भाषा के पंडित
अपनी भाषा शैली पर ही
टिके रहते हैं.
फिर भी नयी शैलियाँ पनपकर ,
किया --करा में नेता तक के भाषण में प्रयोग
भाषा बहता पानी है --बाढ़ सी बहते समय
रूढ़िया बंद.
भारत की आज़ादी के सत्तर वर्ष में भारतीय भाषाओं
की तारीफ में प्रमाण पत्र --
भारतीय भाषाएँ जीविकोपार्जन के लायक नहीं.
जय हिन्द! जय सोनिया , जय अंग्रेज़ी .
जय हिंदी कहने कांग्रेस के सारे नेता अंग्रेज़ी में पटू.
बस अंग्रेज़ी जिन्दगी के लिए फिर चंद सालों में भारतीय भाषाओं की हालत ?!!

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