Friday, February 8, 2019

अनुभवों के सिद्धांत (मु )


यह अनुभवी सिद्धों के दार्शनिक  सिद्धांत.


सुप्रभात.
सुखी जीवन
शांतिपूर्ण  जीवन
संतोष पूर्ण जीवन
अचंचल मन
अनंत सुख
अपने अनुभव  में
ईश्वरीय प्रार्थना  में ही,
स्वार्थ मय संसार
भूलों से परिपूर्ण
भूल से भूल.
भूल से अपराध
अपराध के दंड से बचने बचाने
मिथ्याचरण.
मिथ्याकरण के प्रकट अवश्य.
तिरुवळ्ळुवर का कथन
अपने दिल में जानकर भी मिथ्याचरण,
मिथ्याचरण मिथ्या स्थिर होने पर,प्रकट हेकर
अपने  मन ही अपने को जलाएगा.
मिथ्याचरण  राम और कृष्ण के जीवन पर भी कलंक.
 सब से बचकर जीने का मार्ग  ध्यान.
रूप अपूप ईश्वर से
दीप ज्वाला में, आँखें बंद करने के ध्यान में
जिदेन्द्रियता में ईश्वरीय ब्रह्मानंद.
यह अनुभवी सिद्धों के दार्शनिक  सिद्धांत.

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