Tuesday, November 14, 2023

 [4:08 pm, 27/10/2023] sanantha 50: महिला  बला या अबला,

पता नहीं,

कैकेई रोयी, परिणाम रोती रही।।

सीता के जीवन में,

अग्नि प्रवेश होकर भी रोती रही।

कुंती के जीवन में 

शांति नहीं,

द्रौपदी भी सुखी नहीं।

दमयंती,शकुंतला, सावित्री,

अनुसिया , चंद्रमति,

  दुखी ही रही।

बलशालिनी महिला,

ईश्वरीय कोमल तत्वों से बनी।

 इतनी दुखी महिलाओं की सूची

तो पौराणिक कथाएँ देती ।

झांसी रानी वीरांगना सही,

 13साल की बावन साल के राजा से, वीरांगना के नाम से प्रसिद्ध,

व्यक्तिगत जीवन निरर्थ।

कवयित्री मीरा,

कृष्ण भक्ता 

 भी वैसी ही  दुखिनियों की सूची में।

 आधुनिक महिलाएँ,

तलाक के पात्र।

बलात्कार का पात्र।

 यह ईश्वरीय सृष्टि ही ऐसी।

अग जग में स्त्री ,

 भोग की वस्तु ही रही।।

 पुरुष समान वह 

 आज़ादी से घूम फिर नहीं सकती।

वेश्या को ही दंड,

वेश्या अर्थात वेश्या के सुख

 पाने वाले  पुरुष को दंड कहाँ?

 कोमल  तत्वों  से बनी नारी

पाश्चात्…

[10:11 pm, 27/10/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का  नमस्कार साहित्य बोध, राजस्थान इकाई को।

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उम्मीदों का दामन कभी मत छोड़िए।

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  मानव अपनी शादी के बाद

 संतान  की आशा करता है।

 संतान होने के बाद

 संतान की पढ़ाई, 

नौकरी की आशा करता है।

 उम्मीदों का जीवन मानव का।

मंदिर जाता है,

मिन्नतें करता है,

उम्मीद करता है 

 ईश्वर की कृपा मिलेगी।।

पल पल पर आशा,

न तो जिंदगी जीना दुश्वार।

परीक्षा देता है,

आशा रखता है,

अच्छे अंक मिलेंगे।

अच्छे महाविद्यालय में

 भर्ती मिलेगी।

  कैंपस साक्षात्कार में,

 नौकरी मिलेगी।

 विलायत जाएँगे।

भरोसा नहीं तो मानव को

बल नहीं,धैर्य नहीं,

 निराशा मानव का  लक्षण नहीं।।

नर है,तो सभी प्रकार का सामर्थ्यवान है।





 






 

एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का  नमस्कार साहित्य बोध, राजस्थान इकाई को।

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उम्मीदों का दामन कभी मत छोड़िए।

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[8:59 am, 29/10/2023] sanantha 50: சே. அனந்தகிருஷ்ணன். வணக்கம் .

தலைப்பு --விலங்குகள் நேசிக்கப்பட ஆன்மா விழிக்கட்டும்.

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ஆன்மா  உருவமற்ற நிலையான ஒன்று./1

உடல் மரணம்  உயிர் பிரியும்/2

விலங்குகள் மனிதனைப் போல உயர்ந்தவை/3.

சிங்க நடை மான் விழி/4

 நரி தந்திரம் , பசு சாது/5

ஆறறிவு ஆனால்

ஒப்பிட  குணம்?6

 அனைத்தும் உண்ணும்

ஆர்வம் கொண்டவன்/7

ஆண்டவன் வாகனங்கள்

காளை,சிங்கம்,மயில்,கருடன்/8

சேவல் கொடி  உடையவன்வேலவன்/9

விலங்குகள் நேசிக்கப்பட ஆன்மா விழிக்கட்டும்.,/10

[7:09 pm, 29/10/2023] sanantha 50: एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक,

हिंदू हायर सेकंडरी स्कूल तिरुवल्लिक्केणी, चेन्नै।

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मनोबल चाहिए मानव को,

केवल  मनोबल से नहीं होगा काम।

तन बल, स्वस्थ शरीर भी चाहिए,

केवल मन,तन बल से काम न बनेगा,

धन बल चाहिए।

 तन मन धन मिलने,

 मिलाने मिलवाने,

ईश्वर बल चाहिए।।

कबीर का दोहा चिर स्मरणीय है

"जाको राखे साइयां मारी न सके कोय।

बाल न बांका करि सके जो जग वैरी होय".

ईश्वरीय बल ही 

ज्ञान बल देगा जान।।

कर्मफल से मानव का जन्म

 धनी के यहाँ,

 भिखारी के यहांँ,

विद्वान के यहाँ

 वेश्या के यहाँ

 होता है।

सत्यवादी हमेशा 

धीरज से जाता तान कर रहता है।

वीर तो एक बार मरता है,

 कायर मरता रोज़ रोज़।

दान धर्म परोपकार जगत में

 मानव का नाम अमर कर देता है।

व्यवहार में

जिसकी लाठी,उसकी भैंस की नीति ही सत्य है।

एस. अनंत …

[7:13 pm, 31/10/2023] sanantha 50: mrityunjaytripathyofficial@gmail.com

[1:35 pm, 01/11/2023] sanantha 50: हम तमिलनाडु के लोग

कार्तिकेय को "मुरुगा" के नाम से,

षण्मुख के नाम से,

सुब्रह्मण्य के नाम से,

स्कंद के नाम से,

वेलन के नाम से,

दंडायुधपाणी नाम से,

लंगोटी संन्यासी के नाम से

कडंब के नाम से,

कदिरवेला (शूलकिरण)के नाम से 

कलियुग वरदाता के नाम से,

जप करते हैं।

भारतीय एकता में,

राम के रामेश्वर,

कार्तिक के पऴनी, तमिलनाडु

तमिल के प्रथम

 व्याकरणिक अगस्त्य,

जिनके कारण कावेरी नदी

पृथ्वी पर दक्षिण में बहने लगी,

भारतीय आध्यात्मिक एकता की

आधार शिला हैं,वह पक्की नींव

अति मज़बूत।।

हिलाना  असंभव।

पर सनातन धर्मियों में एकता नहीं,

अन्य धर्मों की तरह

 एक ही आवाज़ उठती नहीं।।

यह कमी  मिटने मिटाने में

ध्यान देना सनातन धर्मियों के लिए

अति अनिवार्य है।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

[5:57 pm, 01/11/2023] sanantha 50: https://www.facebook.com/groups/810202296271288/permalink/1330617644229748/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

[9:53 am, 02/11/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का नमस्कार वणक्कम साहित्य बोध उत्तराखंड इकाई को।

शीर्षक --बस इस जन्म साथ निभा देना।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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आधुनिक युवकों, युवतियों,

आधुनिक ताज़ी खबरें

अति दुखप्रद और चिंतनीय।

सम्मिलित परिवार नहीं,

 वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या।

 ताज़ी खबरें तलाक के मुकद्दमे अधिक।

अवैध संबंध,

  अपने नन्हें बच्चे की हत्या तक।

अपनी प्रिय पति या पत्नी की हत्या तक।

पाश्चात्य प्रभाव  त्याग मय प्रेम  नहीं,

 सनातन प्रेम में त्याग अधिक,

निस्वार्थ बंधन, त्याग की सीख।

न प्रधान शारीरिक सुख का,

 न स्वार्थ मय जीवन ।

 बस पारिवारिक बंधन,

वैवाहिक बंधन हो गया तो

अंत तक प्रेम निभा देना।

 संयम में है जीवन।

बस इस जन्म साथ निभा देना।।

 जीवन में सुखी कोई नहीं,

न राम,न सीता, न लक्ष्मण,न उर्मिला,

न सिद्धार्थ,न यशोधरा।

न शकुंतला,…

[11:21 am, 04/11/2023] sanantha 50: सत्ताधारी धनी हैं।

नोट पाकर ओट देने तैयार।

 अंक देने तैयार।

अंग देने तैयार।

 हत्यारे के धन कै लिए

 वकीलों की सेना तैयार।

एक सांसद या विधायक देश प्रेमी नहीं,

धनी व्यक्ति दाम सौ करोड़।

 फिर भी देश आगे,

कारण धन।

चैन नगर के चार बेकार।

खेती नगर विस्तार में विनाश।

 समाधि,तोरण द्वार, मूर्ति,

के लिए लाखों करोड़।

 किसान अन्नदाता चौराहे पर।

कारखाना कालांतर में

 खाना न देगा।

 प्रेम तो सच्चा होना चाहिए।

 आदर्श प्रेमी ईमानदारी होते हैं।

 सत्य बोलते हैं,

 ऐसा कोई भूलोक में अवतार नहीं,राम भी नहीं, लक्ष्मण भी नहीं।

सबका प्यारा मुहम्मद भी नहीं, ईसा भी नहीं। राम भी नहीं, 

शिव भी नहीं।

सच्चा प्यारा बड़ा त्यागी।

भोगी नहीं।

[0:24 pm, 04/11/2023] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

सनातन धर्म विश्व बंधुत्व का 

मार्गदर्शक है।

संसार के  सभी जीव राशियों के लिए युग युगों तक स्मरणीय और अनुकरणीय है।

सक्ला लोका सुखिनो भवन्तु।

वसुधैव कुटुंबकम्।

सर्वेजनाः सुखिनो भवन्तु।

ऐसे सिद्धांत केवल सनातन धर्म में है।

आसमान एक,

सूर्य एक,

चंद्रमा एक,

मानवता एक,

 सत्य चाहती दुनिया।

ईमानदारी चाहती दुनिया।

वचन का पालन चाहती दुनिया,

तटस्थता चाहती दुनिया,

  अहिंसा, संतोष, शांति, 

   चाहती  दुनिया।

चरित्र गठन चाहती दुनिया

समय का सदुपयोग चाहती दुनिया।

ईश्वरीय  सूक्ष्म लीला 

मानती दुनिया।।

अनुशासित संयम 

चाहती दुनिया।

इन सब की राह दिखाता 

एक धर्म सनातन।

यह शाश्वत धर्म है,

 मजहबों से परे,

मानव में मानवता भरने की कला

सनातन धर्म सिखाता है।


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक स्वचिंतक स्वरचनाकार अनुवादक

[7:37 pm, 04/11/2023] sanantha 50: नमस्ते।

दीपावली है 

दीपों का त्योहार।

दुष्टों का वध,

इष्टों की रक्षा।

भारत भर में

आनंद का पर्व है।

कितनों को खुशी दे रहा है,

यह पर्व।

 तेल व्यापारी का व्यापार,

आलसी भी तड़के उठाकर

तेल स्नान करता है,

कपड़ों का व्यापार खूब चलता है,

पटाखों की गूँज है,

सर्वत्र है,

पटाखों के कारण अनेकों को

 नौकरी !

 दक्षिण में नरकासुर का वध,

सत्यभामा की मदद से 

कृष्ण ने किया।

 हर काम की सफलता 

नारी के साथ  रहने से 

सफलता जरूर।

 तमिलनाडु में दीपों से नहीं 

सजाते, पटाखें जलाते।

 अमावस्या के अंधेरे में

 फुलझडियां की उज्ज्वलता।

 व्यापार भी खूब,

मिठाइयों की दूकानों का व्यापार।

 बुरों की हत्या का आनंद।

 वाणिज्य का विकास,

भक्ति का महत्व,

ईश्वर की सूक्ष्म लीला।

भक्ति रस से भरा भारत।

 खेद की बात आजकल,

मधुशाला की बिक्री अधिक।

जुआभी खेलते हैं ।

सिनेमा टिकट में यूवकों की भीड़।

  यह माया छूटने ,

ईश्वर से प्रार्थना। 

 सर्वे जन: सुखिनो भवन्तु।


एस.अनं

[8:01 pm, 04/11/2023] sanantha 50: छोटों का नमस्कार,

बड़ों की आशीषें।

प्रथम साल शादी की

 बेटी दामाद  का स्वागत।

 अमीरों का आनंद,

 गरीबों में भी आनंद।

[9:26 am, 06/11/2023] sanantha 50: एस . अनंतकृष्णन

स्वरचित मौलिक रचना 

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शीर्षक --मउझए दंगा देनेवाले मुझे दगा देकर रोये।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति गद्य पद्य  विधान।

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दंगा देना अर्थात ठगना,

धोखा देना,

रामायण काल से 

आधुनिक काल तक

मानव मानव में चलता रहता है।।

रावण ने सीता को संन्यासी वेश में तो मारीच ने स्वर्ण हिरन के रूप में 

विष्णु ने रावण रूप में,

अफ़ज़ल ख़ान 

वीर शिवाजी को

दोस्ती के रूप में,

ठगना  युद्ध में  भी धर्म नहीं।

आजकल  चुनाव में,

चुनाव के बाद जीत में,

कितना ठग देते हैं।

 नाते रिश्तों का ठगना

दगा  देना क्या करें,

अशाश्वत  संसार में,

ठगने की शैतानियों

आदी काल से आजतक।

कीडे के आगे मारा तो वह भी

एक पल निश्चल रहता है।

बाघ छिपकर मारता है।

जो भी हो मानव सब को

  संताप सहना पड़ता है।

मुझे भी लगा देनेवाले नहीं,

जो किसी को भी दंगा देग…

[3:06 pm, 07/11/2023] sanantha 50: एस. अनंतकृष्णन‌  का नमस्कार।

साहित्य बोध  महाराष्ट्र इकाई को।

विषय -- बच के रहो आस्तीनों के साँपों से

विधा--अषनी  भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति भाव प्रधान।

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इतिहास पढ़ा,

पौराणिक कथाएँ पढ़ी।

 आस्तीनों के साँप  के कारण ही

   महा युद्धों के कारण।

 बौद्ध धर्म के दो भेद,

जैन धर्म के भेद,

 हिंदू धर्म के भेद 

कदम कदम पर जातीय मंदिर।

सांप्रदायिक लडाइयाँ।

काँग्रेस के दो दल,

प्रांतीय दल।

 दल बदलने का हेरा फेरी।

 आँभी का ठगना,

पुरुषोत्तम का हार।

विभीषण का राम से  


मिलना ,

स्वतंत्रता संग्राम में भी

आस्तीनों के साँप असंख्य।।

कथानक के विकास भी

आस्तीनों के साँप ही कारण।।

हर परिवार में स्वार्थी मामा,

स्वार्थी मायकेवालोले,

साले, साली,

ईर्ष्यालू कायर दोस्त,

जाने -अनजाने दुश्मन।

अतः ऐसे आस्तीनों के साँपों से 

 सावधानी से बचकर रहना।

एस.अनंतकृष्णन‌। द्वारा  स्वरचित कविता।

[9:11 pm, 07/11/2023] sanantha 50: December 10th old boys meetings

[7:18 am, 09/11/2023] sanantha 50: दीपावली अनूठा संगम

 दूर दूर के नाते रिश्ते

मिलते,

देश में आजकल 

दान धर्म  के लोग 

मध्यवर्गीय परिवार के।

 बड़े धनी भ्रष्टाचारी चारी नेता

 फुटपाथ के परिवारों पर,

गरीबो की बस्ती पर 

ध्यान ही नहीं देते।

 चुनाव के समय गरीबों की 

बस्ती में घूमते रहते,

गरीबों के ओट नहीं तो

 चुनाव क्षेत्र खाली ही रहता।।

 अमीर शिक्षित चुनाव के दिन

 पता नहीं ओझल हो जाते।

 ४०% अल्प संख्यक सत्ता धारी बनते।

पता नहीं भारतवासी कब जागेंगे?

दीपावली अवसर पर 

सर्वेश्वर से यही प्रार्थना

प्रवासी भारतीयों को भी

ओट देने का अवसर मिलें

ओट देने जो नहीं जाते

 उनकी बूद्धि में जागृति हो।

एस. अनंत कृष्णन तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

भारत भक्त।

[8:18 pm, 09/11/2023] sanantha 50: एस .अनंतकृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध राजस्थान इकाई को।

 विषय --मन के दीप।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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मन दीप है,यदि पवित्र हो तो।।

मन कलंकित हो तो अंधेरा।।

मन में शैतान बस गया तो

 मन के दीप का बुझना निश्चित ।।

नाना प्रकार के बद विचार।

बुरी संगति बुरा परिणाम।

 मन में भगवान को  बसाओ।

पूजा अर्चना का दीप जलाना।

ध्यान मग्न होकर

निश्चल-निश्छल बनाकर

ध्यान का दीप जलाओ।

मन के दीप में

 पवित्रता का तेल लगाना।

पवित्र विचार की बत्ती डालना।

 मन का पवित्र दीप जलाना।

चैन मन में संतोष जनक विचार।

ब्रह्मानंद परमानंद जीवन।।

मन का दीप उज्ज्वलतम होगा।।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित कविता।

[9:22 pm, 09/11/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध,असम इकाई को।।


विषय ---रिश्तों में अपनत्व।

 विधा --अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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रिश्तों में अपनत्व है या नहीं,

संदेह प्रद शक नहीं।

अपनत्व है पर 

परिस्थिति अपनत्व 

मिटा देती है।

गलतफहमी, ईर्ष्या,अंधआक्रओध

ईश्वरीय लीला,

मंथरा के कारण

कैकेई अपनत्व   खो देती।

स्वार्थता घेर लेती।

अपने बेटे के लिए

 सिंहासन माँगती।

शकुनि  और कृष्ण भी

रिश्तों में अपनाने में

बदला लेने की भावना

कृष्ण चाहते तो युद्ध न होता।

कुंती के कर्ण  का त्याग,

रिश्तों में अपनत्व पर बड़ा कलंक।

आगे आधुनिक काल में

अनाथ आश्रम,व‌द्धाश्रम,

प्रेम विवाह, 

शादी के दिन बेटी का भागना

आज कल साधारण बात।।

अवैध संबंध, तलाक, 

पाश्चात्य प्रभाव।।

 सम लिंग शादी,

संतान को भारत समझना।

रिश्तों में अपनत्व कहाँ?

चित्रपट जगत में तो

  दांप…

[3:22 pm, 11/11/2023] sanantha 50: साहित्य कलम जिंदा मंच को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार। वणक्कम। दीपावली की शुभकामनाएँऔर बधाइयाँ।

    चित्र वर्णन। 11-11-2023

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मानव की मनो कामना

 मन की कल्पना,

पहाड़ की चोटी से चंद्रमा को छूना,

सूर्य मंडल   पर  घर बसाना,

अपने को अष्टसिद्धियाँ प्राप्त करना।।

लघु रूप लेना,महा रूप लेना।

 हनुमान सा समुद्र लांघना,

एक पहाड़ की चोटी से 

दूसरी चोटी पर,

छलांग मारना,

अनहोनी असंभव

 दुर्लभ साधना करना,

मानव मानव में

ईश्वरत्व लाना।।

  धन्य है सर्वेश्वर जिसने

 मानव को बुद्धि देना।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

द्वारा स्वरचित कविता।।

स्वचिंतक स्वरचनाकार 


  

साहित्य कलम जिंदा मंच को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार। वणक्कम। दीपावली की शुभकामनाएँऔर बधाइयाँ।

    चित्र वर्णन। 11-11-2023

my creations

 [2:53 pm, 12/11/2023] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

विषय --फैसले में देरी हार निश्चित।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली

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 हमारा निर्णय सही है तो

तुरंत कार्रवाई पर लग जाना।।

देरी तीसरे को लाभप्रद होगा।

न्यायलय में देरी बारह साल तक

गवाही गायब,गवाही का निधन।।

फैल गायब, न्यायाधीशों का तबादला, अवकाश।

गलत फैसला अपराधी बच गया।।

देरी का फैसला

 अपराधिनी मर गई।

 दंड से बच गयी।

दूकान खोलने में देरी,

दूसरे ने वही दूकान खोली।

फैसले में देरी,हार निश्चित।

शादी में देरी,

शादी के बाद संतान का स्थगित,

देरी परिणाम निस्संतान का दुख।।

प्यार पत्र में देरी प्रेमी/प्रेमिका न मिला/न मिली हार निश्चित।।

फैसलों में देर हार निश्चित।।

एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित कविता।

[10:56 am, 13/11/2023] sanantha 50: त्रिंशत् - 30

इसलिए, त्रयः त्रिंशत् / त्रयस्त्रिंशत् - 33

कोटिः - प्रकार


संस्कृत शब्द कोटि के दो अलग-अलग अर्थ हैं। एक करोड़ है और दूसरा प्रकार है।


यहां त्रयस्त्रिंशत् कोटि देवता का अर्थ 33 प्रकार के देवता है, न कि 33 करोड़ देवताओं।


33 प्रकार के देवताओं के नाम -

• द्वे अश्विनी कुमार (2) : नासत्य, दस्र।

• अष्ट वसु (8) : जल, पृथिवी, अग्नि, वायु, व्योम (आकाश), सूर्य, चन्द्र (सोम) और नक्षत्र (तारा गण)।

• एकादश रुद्र (11) : प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीवात्मा।

• द्वादश आदित्य (12) : यम, अर्यमन्, इन्द्र (मार्तण्ड), रवि, वरुण, धातृ, भग, हिरण्यगर्भ, अर्क, अंश, मित्र, दक्ष (पूष)।


परमात्मा को प्रजापति / परब्रह्म / पुरुष / विष्णु / रुद्र / ललिता / गणेश / सविता (कभी-कभी सवितृ) कहा जाता है, जो इन देवों का निर्माता हैं।

[3:06 pm, 13/11/2023] sanantha 50: मेरा विवरण -

नाम --एस. अनंतकृष्णन,

पिता का नाम --

पी. वि. सेतुरामन


पता---

S. Anandakrishnan

A7, Archana Usha Square,

4&5, Kubernagar IV Cross Street Extension,

Madippakkam Chennai 600091.

Mobile no 

86101 28658

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शैक्षिक योग्यता --

M.A.,(Hindi)M.Ed.,

राष्ट्र भाषा प्रवीण, प्रचारक प्रशिक्षण उपाधि।

पत्रकारिता और जन-संपर्क उपाधि।

अनुभव --1967ई. से  1977तक हिंदी विरोध आंदोलन के समय पऴनी, केंद्र में तीव्र हिंदी प्रचार


हिंदी स्नातक अध्यापक  तमिलनाडु सरकार मान्यता प्राप्त वेस्ली हाई स्कूल, रायप्पेट्टै, चेन्नई।

1981 से स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक, 2006तक, 2006 से2008 तक प्रधान अध्यापक

1986से1990तक अंशकालीन प्राध्यापक, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, राजाजी  प्रशिक्षण कालेज, चेन्नई।

लेखन कार्य ---

प्राथमिक से प्रवीण तक 

हिंदी परीक्षा मार्गदर्शिका,

जय प्रकाशन।

[7:25 pm, 13/11/2023] sanantha 50: சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

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தலைப்பு ---

நாளை நமதே

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நம்பிக்கையே மனித வாழ்க்கை/1

நீட் தேர்வு தற்கொலை/2

அது அரசியல் சுயநலம்/3

அவநம்பிக்கை  தூண்டும் செயல்/4

தேர்வில் தோல்வி  ஊக்கமின்மை/5

காரணம் வீரம் இல்லாமை/6

காதல் நெருக்கம் விலக/7

வேதனையின் உயர் நிலை/8

முயன்று  வெற்றி தருவது/9

நாளை நமதே  எண்ணமே/10.

சே.அனந்தகிருஷ்ணனின்

சுய படைப்பு

[7:01 am, 14/11/2023] sanantha 50: 1.भगवान भी, मंदिर भी परिवर्तन की है संभावना।

प्रार्थना तो एक ही है प्रेम की चाह।

२.भगवान के अवतार दस ,

 भुवनों की रक्षा के लिए   हैं,

उस परमेश्वर का यशोगान कर!

३.पाप अमर न हो, इस सिद्धांत के लिए, ईसा चढ़े शूलई पर।।

४.मकडी की जान बचाकर,

 नबी ने चिंतन दिया।

उस नबी का यशोगान कर।।

५. सूरज पर विश्वास कर जग घूमता रहता है।

वैसा ही  भगवान की परिक्रमा कर।।

6.

कृपालू आश्रय दाता भगवान के रहते!

कहीं अंधकार में किसे खोजते हो।

7.हवा प्रत्यक्ष दीख नहीं पडती,पर देती रहती जान।

  वैसी ही हैभगवान की श्रेष्ठता ।।

8.इंद्रधनुष के सात रंग के समान।

 ज्ञान धनुष की सूक्ष्मता से गुप्त है देश।।

9.ईश्वरीय निंदा करना जानबूझकर।

अहंकार वश ही जान।।

10.अनसक्त भक्त पर आसक्त  परमेश्वर  है,

परित्यागी संन्यासी  ही है तो

यह  वास्तविकता नहीं जान।।



: 11. तन अस्वस्थ मन अस्वस्थ

      तभी मानव खोजता…

[9:38 am, 14/11/2023] sanantha 50: अमीरी का बाह्याडंबर,

गरीबी का भूखा पेट,

भाग्यवान का अहंकार

अपना अपना भाग्य आजमाकर

 आजीवन सुख-दुख भोगना

ईश्वरीय सूक्ष्म लीला।

 खुदा भी खुद दुखी

यही शाश्वत सनातन धर्म की

 सीख जान।।

[2:12 pm, 14/11/2023] sanantha 50: एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध दिल्ली इकाई को।

   1-11-23

विषय --जो दिखता है वह सत्य नहीं होता।

विधा --अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

+++++++++++

   नजर  से नजर मिलें,

   प्यार सा दिखा,

   पर वह तो सच नं निकला!

   बाह्याडंबर भक्ति,

  फूलों फलों से सज्जित

 ईश्वर की मूर्ति की चमक।

पुजारी की सृजन कला,

पर वह भक्ति सच नहीं निकला।

चुनाव के महीनों में,

दोनों हाथ जोड़कर,

मत माँगने आते थे,

चेहरे पर मुस्कुराहट,

मधुर वचन,

 सेवक का प्रति बिंब,

पर बनावटी मुस्कान।

सच नहीं था।

मोती माला तीन सौ रुपए,

सुंदर  थी,पर नकली मोती।।

पानी भरी चमक, पास गया तो मृग मरीचिका।।

सच क्या झूठ क्या पता नहीं,

पानी भरा था, पर पानी पीने का नहीं,

नमकीन पानी,  सच नहीं निकला।

जप माला हाथ में,

संन्यासी सा वेश भूषा,

दिखने में सच,पर भक्त नहीं था।

Monday, November 6, 2023

स्वरचित

 स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई, तमिलनाडु

 शीर्षक  कुम्हार

2-1-2021 

विधा अपनी भाषा अपनी शैली

चित्र पर आधारित।

माह जनवरी

पहला सप्ताह।

  हम रंग नींव  के  संयोजक, समन्वयक,सदस्य,पाठक, प्रशासक,

सब को वणक्कम। नमस्कार।।


  भगवान की  सृष्टि में, 

  मानव ही कलाकार।।

   वो धरती कितना देती है,

   अनाज,सोना,चांदी,हीरा,

   वही धरती की मिट्टी,

    कुम्हार के जीविकोपार्जन के लिए,

     मिट्टी के बर्तन, खिलौने,घड़ा वाद्य

     आधुनिकता के कारण 

       कुटिर उद्योग में जरा पतन।।

        पाठकों से निवेदन है,

        कम से कम एक 

        मिट्टी के बर्तन लेना।

       चक्र का पता चला,

        चीन से यह  चक्र कला  

         भारत आती।

        लाल मिट्टी,काली मिट्टी के बर्तन।।

         कलाकार अति ध्यान से बर्तन

        कच्ची मिट्टी से, फिर सुखाना।।

        मिट्टी के बर्तन का खाना,

       आजकल पाँच नक्षत्र  होटल में

       विशेष विज्ञापन के साथ प्रसिद्ध है।

      मिट्टी के बर्तन की रसोई ,

     स्वास्थ्य प्रद, आयु वृद्धि।

     मिट्टी के घड़े का पानी में

     प्राकृतिक धातु शक्ति।।

   और अनेक लाभ।।

  मिट्टी  वातानुकूलित बर्तन  

  तरकारियाँ ताजा रखते।

 स्वास्थ्य लाभ ही नहीं 

 भारतीय हस्त कला की सुरक्षा।

  कुम्हार का प्रोत्साहन।।

  अनेक भारतीय खोज में

   मिट्टी के बर्तन ही प्रमाण।

  बड़े बड़े बर्तन में,

  शव रख भूमि में गाढ़कर  रखते।

 मिट्टी की ईंटें भी 

आदी काल से आजतक।।

श्मशान में अंतिम क्रिया के समय

 चिता में शव रख,

 शव के बेटे या आग लगाने वाले,

 घड़े कंधे पर रख प्रदक्षिणा,

 प्रदक्षिणा के समय घड़े में 

  छेद कर  पानी निकालते

    अंत में  घडा फेंकते।

 शादी में कच्चे घड़े में 

 चूना लगा कर,

नागवल्ली घड़ा अति पवित्र।।

 मंगल अमंगल संस्कार में

 जिंदा है यह कला।।

कुम्हार की जय हो।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु


समाज में सकारात्मक, नकारात्मक चिंतन की अभिव्यक्ति का अधिकार है।

 एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार। वणक्कम।

शीर्षक --उदासियाँ कुछ दे नहीं सकती।

  ++++++++++++

मानव जीवन में  

उदासियां की कमी नहीं ।

उदासी?

 नौकरी नहीं मिली।

 शादी नहीं हुई।

बच्चा नहीं।

 बच्चा है बुद्धि नहीं।

अपना निजी घर नहीं।

  नयी नयी उदासियाँ।

 नयी नयी राहें।

 व्यापार में घाटा।

तन की चोरी।

 धन  की चोरी।

मन की चोरी।

 उदासी के कारण 

 बाहर नहीं जाता।

 किसी से मिलता-जुलता नहीं।

यों उदास बैठने पर,

उदासी कुछ नहीं दे सकती।।

   आलसी ही  ईश्वर, 

भाग्य लेकर रोता।

 उदासी मानवीय देन।

 उदासी ईश्वरीय देन।

 जन्म से अंधा,

जन्म से रोगी

 उदासी अपने अपने आप

 बिन बुलाए

 किसी न किसी रूप लेकर

छा जाती।।

   चुप बैठा, मच्छर काटा।

 बीमारी  आ गयी।

 सड़क पर चलता रहा ,

  तिनका चढ़ा,आँख में गिरा।

 हुई समान चुभा।

 यों ही उदासियाँ आती,

  दुख देती, सुख न देती।।

  स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक

एस. अनंत कृष्णन,चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

नमस्ते। वणक्कम।

  विचारों की अभिव्यक्ति में स्वतंत्रता चाहिए। समाज कल्याण के साहित्यकार धन के लिए नहीं लिखते।

जैसे समाचार पत्र नग्न चित्र अश्लीलता राजनीति अपनाकर धन अर्थ कमाकर अर्थ हीन जीवन बिताते हैं।

 सार्थक जीवन अर्थ प्रधान नहीं, अतः

साहित्यकार अमर बनते हैं। साहित्यकार की जीवनी में भूखे प्यासे  दरिद्र जिंदगी बीतनवाले ही अमर है।

 भक्त त्यागराज कबीर  प्रेमचंद  दरिद्र देते। उनकी ज्ञान धारा में डुबकी लगाकर मोती की सुंदर माला बनाकर बाजार चलानेवाले  डाक्टरेट की उपाधि पाकर प्राध्यापक बनकर रईस जीवन बिता रहे हैं।


समाज में सकारात्मक, नकारात्मक चिंतन की अभिव्यक्ति का अधिकार है।

 सब्रता से सोचना चाहिए कि

 लिखने का केंद्रीय भाव क्या है?

 आसाराम जैसे नकली त्रेता युग में द्वापर युग में कलियुग में तीनों युगों में ढोंगी संन्यासी थे, है, होंगे ही।  जग में ईश्वर ने गुलाब क…

[0:09 pm, 27/08/2023] sanantha 50: सर्वजन हिताय जो कुछ लिखा जाता है, वह साहित्य है।

 साहित्य कारों के मन में सकारात्मक भी नहीं नकारात्मक जन कल्याण के लिए तुलना करना ही पड़ेगा। गुलाब के का ही वर्णन करना साहित्य नहीं है, कांटों का भी उल्लेख करना है।

 इसकी अनुमति नहीं है तो साहित्यकार के विचारों का बंधन है।  मैं अन्यत्र अपने ब्लाग में लिखूंगा ही। गलामी लेखक बनना नहीं चाहता। मैं अपने दर्ज सभी लेखों को मिटा दिया है। 

 धन्यवाद आदरणीय। मैं फ़िदा लेता हूँ।

[1:24 pm, 27/08/2023] sanantha 50: पति नपुंसक है तो अन्य पुरुषों का संबंध द्वापर युग में माननीय रहा। विचित्र वीर्य के तीन रानियांँ तो  उनके पुत्र ऋषि के द्वारा।

आज कलियुग में शुक्लदान,

भाड़े की माँ। पांडवों का जन्म भी कुंती के पति पांडु के नहीं।

  दशरथ के पुत्र भी।

 द्वापर युग में त्रेता युग में ज्ञान का विस्फोट नहीं।

 ज्ञानार्जन भी सीमित।

 कलियुग में सर्वशिक्षा अभियान।

 जो गोपनीयता प्राचीन युग में थी, आज खुल्लमखुल्ला

 प्यार करेंगे हम दोनों,

इस दुनिया से न डरेंगे हम दोनों।

 स्त्री --छुआ तो  मैंने 

     मचाया उसने (पुरुष)शोर।।

हम तुम एक कमरे में बंद हो(आज)

 साहित्यकार समाज कल्याण के साहित्यकार लिखेगा ही।

 अश्लीलता लिखनी नहीं चाहिए,

 अश्लीलता था लिखनेवाले धनाढ्य।

 जनकल्याण के लिए लिखने के लेखक कौन में।

  यह केवल कलियुग का धर्म नहीं।

 कामायनी में छात्रों को हमेशा 

नींद में उठाकर  पूछने पर कामयनी का यही वाक्य प्रिय है,

 नील परिधान बीच  अधखुला अंग।

 जय हो।

माँबाप काम आएँगे । पर मातापिता क अवहेलने की बात  घन प्रधान विचार प्रदूषण और धन 

प्रधान । शिक्षाक पैसे के गुलाम .वेतनभोगी ट्यूषन शुल्क  के मिलतेही बेगार बन जाते शिक्षक और संस्थान ।छात्र केंद्रित शिक्षा सही या गलत ।पाश्चात्य प्रभाव है बडों का अनादार

मौलिक कविताएँ

 तमिलनाडु  के सरकारी  स्कूलों  में हिंदी  नहीं  पढाई जाती है।  कन्याकुमारी, रामेश्वरम्, मदुरै में जीविकोपार्जन  के लिए  हिंदी  तीर्थ यात्रियों  से हिंदी बोलते ह मदुरै  में  सौराष्ट्र  बोली बोली बोलने वाले हथकरघे  काम करनेवाले तीन लाख लोग रहते हैं। मदुरै, राजपालयम् ,कोयंबत्तूर में तेलुगू भाषी दो हजार सालों के पहले आकर बस गये हैं । जैन लोग बस गये हैँ,  तंजाऊर जिले में कन्नड भाषी है। पर  सब के सब तमिळ  भाषी बन गये हैं । तेलुगु बोलने वाले वैश्य हैं, नायुडू है, पोम्मी नासक्कर हैं। सब  के सब तमिळ भाषा प्रेमी है।  तेलुगु केवल बोली है। 48℅ तेलुगु भाषी  तमिल भाषी बन गये हैं। उत्तर चेन्नै  में साहूकार पेट में मारवाडी जैन समुदाय हैं।  वे भी तमिल के बडे विद्वान बन गये हैं।  कृष्ण  चंद चौरडिया तमिल के प्रसिद्ध  वक्ता ही नहीं, तमिल स्नातक हैं। तमिल के लेखक है। चित्रपट  जगत में जगत प्रसिद्ध  स्वर्गीय  गायक तमिल भाषीएस.पि.बालसुब्रमण्यम  तेलुगु भाषी है।  गायक टी.एम. सौंद्र राजन सौराष्ट्र  भाषी है। प्रथम स्वतंत्रता  संग्राम के राजा वीरपांडिय कट्टपोम्मन तेलुगु भाषी है।  स्वर्गीय  करुणानिधि तेलुगु भाषी है।वे तमिल के बडे  विद्वान  हैं।  रजनीकांत कन्नड भाषी तमिल सिनेमा का सूपर स्टार है।  

प्रसिद्ध  राजनैतिक  नेता वै.को, विजयकांत तेलुगु भाषी हैं। 

 तमिळ नाडु में बसने वाले मराठी, बिहारी, मारवाड़ी, गुजराती तमिळ भाषा प्रेमी भक्त हैं।  जैन मुनियों ने तमिल भाषा  में नीति ग्रंथ  लिखे हैं।  

 सबको  तमिळ यही मातृभाषा  बन गयी हैं।   तमिळ  ही सब का साँस हैं।

[09/04, 3:56 pm] sanantha .50@gmail.com: आप सवाल लिखिए सविस्तार जवाब लिखूँगा।

[09/04, 4:03 pm] sanantha .50@gmail.com: तमिलनाडु  में हिंदी विरोध  ,संस्कृत  विरोध,  ब्राह्मण विरोध  केवल राजनीति है। आज के मुख्य  मंत्रीश्री स्टालिन  हिंदु मंदिर नहीं  जाते। उनका बेटा हिंदु मंदिर  नहीं जाता। पर श्रीमती स्टालिन  मंदिर  जाती हैं। हवन यज्ञ  , पूजापाठ, प्रायश्चित्त करती हैं।

[09/04, 6:37 pm] sanantha .50@gmail.com: नमस्ते ,वणक्कम्.

जन्म और मरण 

जगन्नाथ की इच्छा से है तो

बीच की जिंदगी?

मानव के ज्ञान से नहीं,

मानव के तन बल से नहीं,

मानव के धन बल से नहीं,

मानव के मनोबल से नहीं,

मानवेतर  ईश्वरीय बल से.

रावण का तमोबल, बुद्धिबल,

 भुजबल्, ईश्वरीय बल,

अपने अहंकार और नारी वासना से 

धूल-धूल,चूर्ण-चूर्ण।

यही सूक्ष्म बल,सर्वेश्वर की सर्वशक्ति. 

जानो,समझो,पहचानो।

पल-पल परमेश्वर की  करो प्रार्थना ।.

 एस.अनंतकृष्णन,

स्वरचित,स्वचिंतक,सौहार्द पुरस्कार से सम्मानित तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी,प्रचारक.पद्म विद्यासागर।

[15/04, 3:24 am] sanantha .50@gmail.com: [14/04, 6:51 am] sanantha .50@gmail.com: தொடரும் பக்தி சிந்தனைகள்.

 சத்சங்கம் என்பது இன்றும் பல பெயர்களில் நடக்கின்றன. அங்கு பகவானை ப் பற்றியும் சத்திய மார்க்கங்கள் பற்றியும் தான தர்மங்கள் பற்றியும் பிரசாரங்கள் செய்தாலும் ஆடம்பரங்கள் அதிகமாக காலத்திற்கு ஏற்ப மாறும் போது  சத்சங்கம்  முதியவர்கள் கூடும் இடமாக மாறாமல் இளைஞர்கள்  சிறார்கள் சிறுமிகள் கூடும் இடமாக மாறவேண்டும். இன்றைய காலகட்டத்தில்  படிப்பு என்பது எளிதாக கடினமானதாக மாறுகிறது. படிக்க பல வசதிகள் இருந்தாலும் குழந்தைகள் இயந்திர கதியில் இயங்குகிறார்கள்.  

மூன்று வயதில் துவங்கும் கல்வி  முடிய 22வயதாகிறது. சிலருக்கு30வயதுகூட ஆகிவிடுகிறது. வாழ்க்கையில் பணம் சேர்த்து செட்டில் ஆகி இல்வாழ்க்கை ஆரம்பிக்க சிலருக்கு 30வயதாகிறது.  ஒரு டாக்டர் 35வயதில் எம். டி  முடித்து வெளிநாட்டில் சிறப்பு பட்டங்கள் பெற்று 38வயதில் திருமணமாம். நமது முன்னோர்கள் 38வயதில் பேரன் பேத்திகள் பெற்று தானும் கர்பம் தரித்து  மகள் அல்லது மருமகள் மாமியார் அம்மா அனைவரும் ஒரே காலத்தில் பிரசவகால அறுவை சிகிச்சை‍.  இன்று கருத்தரிப்பு உதவி மையங்கள் பெறுகுவதுடன் இளைஞர்கள் இளைஞர்கள் எந்திரகதியில் பொருளாதார வளர்ச்சி பெற்று முதுமையில் அநாதைகளாக வாழும் சூழல்‌ . இதற்கு அமைதிகான சத்சங்கங்கள் அவசியமாகின்றன.

அதில் ஆண்டவன் பெயரால் ஏமாற்றும் சத்சங்கங்கள் வேறு.

சிந்தனைகள் தொடரும்.

சே.அனந்த கிருஷ்ணன். சென்னை.

[14/04, 7:24 pm] sanantha .50@gmail.com: தொடரும் பக்தி சிந்தனைகள்.

 சத்சங்கம் என்பது இன்றும் பல பெயர்களில் நடக்கின்றன. அங்கு பகவானை ப் பற்றியும் சத்திய மார்க்கங்கள் பற்றியும் தான தர்மங்கள் பற்றியும் பிரசாரங்கள் செய்தாலும் ஆடம்பரங்கள் அதிகமாக காலத்திற்கு ஏற்ப மாறும் போது  சத்சங்கம்  முதியவர்கள் கூடும் இடமாக மாறாமல் இளைஞர்கள்  சிறார்கள் சிறுமிகள் கூடும் இடமாக மாறவேண்டும். இன்றைய காலகட்டத்தில்  படிப்பு என்பது எளிதாக கடினமானதாக மாறுகிறது. படிக்க பல வசதிகள் இருந்தாலும் குழந்தைகள் இயந்திர கதியில் இயங்குகிறார்கள்.  

மூன்று வயதில் துவங்கும் கல்வி  முடிய 22வயதாகிறது. சிலருக்கு30வயதுகூட ஆகிவிடுகிறது. வாழ்க்கையில் பணம் சேர்த்து செட்டில் ஆகி இல்வாழ்க்கை ஆரம்பிக்க சிலருக்கு 30வயதாகிறது.  ஒரு டாக்டர் 35வயதில் எம். டி  முடித்து வெளிநாட்டில் சிறப்பு பட்டங்கள் பெற்று 38வயதில் திருமணமாம். நமது முன்னோர்கள் 38வயதில் பேரன் பேத்திகள் பெற்று தானும் கர்பம் தரித்து  மகள் அல்லது மருமகள் மாமியார் அம்மா அனைவரும் ஒரே காலத்தில் பிரசவகால  சிகிச்சை‍.  இன்று கருத்தரிப்பு உதவி மையங்கள் பெருகுவதுடன் இளைஞர்கள் இளைஞர்கள் எந்திரகதியில் பொருளாதார வளர்ச்சி பெற்று முதுமையில் அநாதைகளாக வாழும் சூழல்‌ . இதற்கு அமைதிக்கான சத்சங்கங்கள் அவசியமாகின்றன.

அதில் ஆண்டவன் பெயரால் ஏமாற்றும் சத்சங்கங்கள் வேறு.

சிந்தனைகள் தொடரும்.

சே.அனந்த கிருஷ்ணன். சென்னை.

[15/04, 2:54 am] sanantha .50@gmail.com: 3. தொடரும் பக்தி சிந்தனைகள் .

 மனிதன் சத்சங்கத்தில் எப்பொழுதும் இருக்கவேண்டும்.சத்சங்கம் கவலை களைப் போக்கும்.மன சஞ்சலம் தீர்க்கும். சுயநல எண்ணங்களைப் போக்கி நல்ல எண்ணங்களை மனதில் ஏற்படுத்தும். மண் ஆசை,பெண் ஆசை பொன்னாசை,சுயநலம்,ஆணவம்,தலைக்கவனம் ஆகியவை போக்கி மனதை பொது நலம்,தானம்,தர்மம் ஆகிய புண்ணிய வழிகளில் சிந்திக்கத் தூண்டும். உலகம் அழியக்கூடியது. நிலையற்றது.

தான் சேர்த்து வைக்கும்சையும் அசையா சொத்துக்கள் 

 யார் அனுபவிப்பார்கள் என்பது தெரியாது. யாருக்காக சேர்த்து வைக்கிறோமோ அவர்கள் தான் அனுபவிப்பார்கள் என்பது நிச்சயமல்ல.

 இந்த உயர்ந்த எண்ணங்கள் சத்சங்கத்தால் தான் உண்டாகும். 

சத்சங்கம் என்பது நல்ல நூல்களைப் படிப்பது,நல்லறிஞர்கள் அறவுரைகள்,

அறிவுரைகள் 

ஆன்மீக சொற்பொழிவுகள் 

இவைகளை விட உயர்ந்தது ஏகாந்தம்.

தனிமை. தனிமையில் ஒரு நிமிடம் தியானம்.

 நம் வினைகள்,நம் உற்றார்,உறவினர்கள், நண்பர்கள்,சமுதாயம் , உலகம் ஆகியவற்றின் நிகழ்வுகள்,ஏற்படும் நல்லவை கள் ,தீயவைகள், ஆக்கங்கள்,அழிவுகள் ஆகியவற்றை அசைபோடுதல் . அசைபோடுதல் என்றால் 

நாம் கண்டவை,படித்த வை, மற்றவர்களின் இன்பங்கள்,துன்பங்கள், ஆரோக்கியங்கள், நோய்கள்,அந்த  நோய்களில் குணம் அடைபவை ,தீராதநோய்கள்,அகாலமரணம், மரணாவஸ்தை அனைத்தையும்  அறிந்து புரிந்து தெளிதல். அதுதான் ஞானம். 

ஆனால் நம்மில் பலர் அறிந்தும் தெரிந்தும் புரிந்தும் ஞானம் பெறுவதில்லை  விளைவு துயரங்கள். 

  கபீர் படிக்காதவர். அவர் மனம் சத்சங்கத்தால் தெளிவு பெற்றது. தன் குரு மந்திரம் ராம். ராம். அதை தன் குரு இராமானந்தரிடம் பெறவில்லை. குரு குளிக்கும் கரையில் படியில் படுத்துக் கொண்டார். இராமானந்தர் பாதங்கள் அவரை மிதித்தன. அவர் ராம்,ராம் என்றதை மந்திரமாக ஏற்றார். இது தான் கபீரின் சத்சங்கம்.

  தனிப்பட்ட முறையில் நேரில் குரு மந்திரம் பெற்றவர்கள் மனதில் மனிதம் மனிதநேயம் ஏற்படுமா? ஏற்படாது. மனிதர்களை வேறுபடுத்தும். 

 வேறுபடுத்தாமல் ஒற்றுமை ஏற்படுத்த அவர் ஞானமார்கத்தைத் தோற்றுவித்தார். ராமரை வழிபடுவோர் ராம சம்பிரதாயம். கிருஷ்ணனை வழிபடுவோர் கிருஷ்ண உபாசகர். அல்லாவை வழிவோர் முஸ்லிம். இறைதூதர் ஏசு வழி செல்பவர்கள் கிறிஸ்தவர்கள். 

மனிதர்களுக்குள் பிரிவுகள். மதக் கலவரங்கள். இனக்கலவரங்கள்.

ஜாதி சம்பிரதாயக் கலவரங்கள். இவைகளைத் தூண்டும் மத கலாசாரம் தெய்வீகம் கிடையாது‌ .

 தெய்வத்தைக்காண ஞானம் தான் வேண்டும். 

ஞானம் வந்தால் பஞ்ச தத்துவங்கள் புரியும். அவை உருவ மற்றவை.

 உயிர் தருபவை.

 காற்று பிரதானம்‌ ஒரு நிமிடம் காற்று இல்லை என்றால் உயிர் போகும் நிலை. ஞானம் பெறததால் காற்றை மாசுபடுத்தும் பட்டதாரி மனிதர்கள். அவர்களுக்கு ஆன்மீகம் தெரியாது. புகைப் பழக்கம்,குடிப்பழக்கம், தாசி வீட்டுப் பழக்கம் படித்தவர்களுக்கும் அதிகாரத்தில்  உள்ளவர்களையும் முட்டாள் களையும் 

எளிதில் பற்றிக் கொள்ளும்.

 ஏனென்றால் அவர்கள் ஞானம் பெறவில்லை. 

காற்று உருவ மற்றது. உயிர் தருவது.

  அரசியல் அஞ்ஞானம்.

தனி நபர் ஸ்துதி.  சோனியா கிறிஸ்தவர். ராஜீவ் கான். ஆந்திராவில் சோனியா ஹிந்து ஆலயம். எதிர்காலத்தில் பல சோனியா கோவில்கள் ஏற்படும்.  ஒரு காங்கிரஸ் என்ற சுயநலக் கும்பல்  ஏற்படுத்தும் சம்பிரதாயம் இன்று அது சோனியாகட்சி

வழிபடு வது. அவ்வாறே மோடி ஜெயலலிதா எம்ஜி ஆர் நடிகை குஷ்பு‌ மம்தா. இதெல்லாம் மாயை. மனிதர்களின் ஒற்றுமையை வேற்றுமை படுத்தி தங்கள் அதிகாரத்திற்காக மக்கள் மனத்தை மாசு படுத்துபவை. 

கபீரின் ஞானமார்க்கம் ஒன்றே. 

கடவுளால் காப்பாற்றப்படும் ஒருவன்,அருளுக்குப் பாத்திரமானவன் தனி ஒருவனாக உலகமக்கள் அனைவரையும் எதிர்த்து வாழமுடியும்‌ . அதற்கு ஞானம் தேவை.

 தொடரும் பக்தி சிந்தனைகள்.

சே. அனந்த கிருஷ்ணன். பாகம் மூன்று.

[15/04, 3:56 am] sanantha .50@gmail.com: [15/04, 3:51 am] sanantha .50@gmail.com: हिंदी व्याकरण और तमिल व्याकरण में  परेशानियाँ।

 நான் அவரிடம் பேசுவேன்.

  அவரிடம் अवरिडम् =उनके पास.

अत: हिंदी अनुवाद  उनके पास. यह गलत है.

  हिंदी में उनसे बोलूँगा।/उनसे माँगूँगा/उनसे पूछूँगा। उनसे कहूँगा।

से कहना, से पूछना से माँगना 

से इनकार करना।

 ऐसा ही छात्रों कोसमझाना है।

[15/04, 3:54 am] sanantha .50@gmail.com: कडउळै नंबू।  भगवान को विश्वास करो । गलत है अनुवाद।

भगवान पर भरोसा रखो।  ईश्वर पर विश्वास करो । 

पर विश्वास, पर भरोसा।

[15/04, 7:41 am] sanantha .50@gmail.com: नमस्ते  वणक्कम् । 

  मानव को अधिक  सोचना है।  

     सोचने के लिए  प्रकृति  को लेना है।

     प्रकृति की सृष्टियाँ अधिक विचित्र है।

आँखों को दिखाई पडनेवाली,सूक्षम दर्शी के द्वारा  भी

 

न दीख पडनेवाले रोगाणु, साध्य रोग, असाध्य रोग।

 मानव को करोडों जीवाणुओं को देखना -समझना भी अति मुश्किल  है। 

 जरा सोचिए, मानव   समर्थ है या नहीं।

 बिलकुल असमर्थ  है।

 हाथी का बल मानव में नहीं,

 खटमल ,मच्छर, दीमक से डरता है।

  सिंह  की गंभीरता मानव में है नहीं।

    सियार की चालाकी नहीं।

 चींटियों से डरता है।

 फिर मानव शक्तिशाली कैसे?

इन सबकी मिश्रित क्षमता मानव में है तो

प्राकृतिक  कोप  और विनाश से बच नहीं सकता।

 तभी याद करना, प्रार्थना करना   पडता है

 मानवेतर शक्ति  पर। अमानुष्यता पर।

 मानना पडता है ईश्वरीय  शक्ति को।।

 रोग,असाध्य  रोग, अल्पआयु, 

बुद्धि  लब्धि के भेद ।

रंग भेद ,स्वर भेद, आकार भेद, आहार भेद।

 बाल के रंग में भेद।

 अमीरों  गरीबी भेद।

बल-दुर्बल भेद।

 अति सूक्ष्म निर्गुण तटस्थ ईश्वर को।

अनंतकृष्णन ।

 


  


इन

[19/04, 11:08 pm] sanantha .50@gmail.com: नमस्ते।वणक्कम्।வணக்கம்.

    आ सेतु हिमाचल तक,  இமயம் முதல் குமரிவரை

      आश्चर्य जनक  एकता,

வியக்கத்தக்க ஒற்றுமை.

      आध्यात्मिक  एकता।।

ஆன்மீக ஒற்றுமை.

     यह चमत्कारिक  शक्ति 

இது அதிசய சக்தி.

      एकता दे  रही है।

ஒற்றுமை அளித்துக் கொண்டிருக்கிறது.

   हिंदु,जैन,बौद्ध    ஹிந்து ஜான் பௌத்தர்கள் 

    पैदल ही 

  भारत भर  भ्रमण करते

 பாரதம் முழுவதும் நடந்தே சுற்றி 

  विचारात्मक எண்ணங்களின் 

  स्थाईநிலையான 

एकता की स्थापना  की है।

ஒற்றுமையை  நிறுவினர்.

चेंगिस्कान, मंगोल, मुगल,पटान, फ्रांसीसी, डा,पोर्तकीस, 

ग्रीक, इटाली, अंग्रेज 


செங்கிஸ்கான்,மங்கோலிய ர்,முகலாயர்,பிரஞ்சுக்காரர்கள், பட்டானியர்,

டச்சுக்காரர்கள்  கிரேக்கர்கள்,

 न जाने  தெரியவில்லை

कितने  எத்தனையோ

आक्रमण करके आये।

படைஎடுத்து வந்தனர்.

 पर एक आध्यात्मिक  बल ,

ஆனால் ஒரு ஆன்மீகபலம்

  नंगे,अर्द्ध नग्न  साधु संत,

நிர்வாண,அரை நிர்வாண,சாதுக்கள் முனிவர்கள்

दांडियान  தாண்டியாயன ரிஷி

जिसने 

सिकंदर का सर झुकाया।।

அலெக்ஸாண்டரை சிரம் தாழ்த்தி வணங்கவைத்தான்.

 मंदिर तोडते तोडते 

ஆலயங்களை நொறுக்கி நொறுக்கி


 शत्रु  விரோதிகள் 

 लूटते रहे, கொள்ளை அடித்துக் கொண்டே இருந்தனர்.

आध्यात्मिक  शक्ति ஆன்மீக சக்தி

  भारत की பாரதத்தின் 

तोडे मंदिर  , நொறுக்கிய ஆலயங்களை

 मिटाये मंदिर, அழித்த ஆலயங்களை 

 आज स्वर्ण गोपुर बन,

இன்று தங்க கோபுரமாகி

 चमक रहे हैं, 

மின்னிக் கொண்டிருக்கின்றன.

वही आध्यात्मिक  अद्भुत चमत्कार।।

அதுதான் ஆன்மீக வியக்கத்தக்கும் அதிசயம். 


स्वरचित स्वचिंतक  एस.अनंतकृष्णन.  चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक ।


 

 

 






 


 


 



   साधु संत

[23/04, 9:46 am] sanantha .50@gmail.com: नमस्ते.वणक्कम्. 

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई  तमिलनाडु  के हिंदी प्रेमी प्रचारक.  १९६७ के हिंदी विरोध  के भयंकर  वातावरण से हिंदी प्रचारक द्वारा स्वरचित स्वचिंतक स्वसोच.

आशा है हिंदी  क्षेत्र से प्रेरणा मिलेगी.

मेरी रचनाएँ  केवल भाव प्रधान. 

 सौहार्द पुरस्कार प्राप्ति, कबीर कोहिनूर अवार्डी. अत: जिम्मेदारी में सावधानी चाहिए.



जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।

संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥ 

तुलसी दास जी के अनुसार  संसार   दोष रहित १००%नहीं है.  चिराग तले अंधेरा होता है.  

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शीर्षक  --आत्म परीक्षण. 

 मानव को अपने को पहचानना चाहिए.  ईश्वर की सृष्टियों मं फूल और कांटे होते हैं तो मानव की बुद्धि लब्धी से  सृजित वस्तुएँ दोष रहित नहीं हो सकती। 

अपवाद रहित भी नहीं। व्याकरण  के कठोर नियम में भी अपवाद  होते हैं।

 खारे पानी के समुद्र तट पर पीने के लिए  पानी मिलता है।रामेश्वरम् क्षेत्र  में भगवान राम की कृपा  से बीच समुद्र में स्वादिष्ट पानी मिलता है।  आत्म परीक्षण  की सफलता केवल अपने  के चिंतन में नहीं, आसपास की घटनाओं  के चिंतन में नहीं, अगजग की हर प्राचीन  और ताजी घटनाओं  के परीक्षण  में ही है।

 आत्म परीक्षण   में कबीर का दोहा भी साथ देगा। 

बुरा जो देखन मैं गया, बुरा न मिला या कोय।

 अपने दिल को खोजने पर अपना दोष मालूम होगा। पर हमें अपने दोषों को सुधार लेना चाहिए । पर हम अपने दोषों को ढककर उन दोषों को दोहराते रहते हैं, तब आत्म परीक्षण  से कोई प्रयोजन या प्रगति नहीं  होगी। दोषों की प्रगति होगी।परिणाम  मानव को अधोगति होगी। मत लेने ,मत देने रिश्वत। परिणाम  लेनेवाले मत देनेवाले के कारण भ्रष्टाचार  बढेगा ही। सद्यःफल बुद्धि  को भ्रष्ट कर देती है।

 अपने स्वार्थ के लिए  अपराध, खून के रिश्तों  को बचाने के लिए अपराध, मित्रमंडली के लिए  अपराध । 

आत्मपरीक्षण  के बाद भी  अपराध  के समर्थन की विवश्ताएँ। राम के चरित्र भी वाली वध के कारण कलंकित। महाभारत में एकलव्य से अंगूठे को गुरु दक्षिणा  के रूप में माँगने  का अपराध, कर्ण के कवच कुंडल के दान माँगने का अपराध, युद्ध  में निहत्थों  पर शस्त्र चलाने का अपराध,  गलत पात्र को भगवान  के वर देने का अपराध,  ये तो साधारण बातें  नहीं,  आत्मपरीक्षण  के बाद भी  अपराधी की आरधना का अपराध ।

 मंदिर  पवित्र  है,पर सोनिया का मंदिर, अभिनेत्री  खुशबू का मंदिर, जयललिता का मंदिर, ममता को पराश्क्ति का रूप मानना,जयललिता ,एम जी आर का मंदिर , इन सब को सहना , आत्म  परीक्षण  के बाद भी चुप रहना सनातन धर्म  का अपराध ।  

आत्म परीक्षण  से लाभ अपने को निडर,साहसी, स्पष्टवादी,  सत्यशील, कर्तव्य निष्ट ,  तटस्थ  बनने में हैं। यह अगजग के व्यवहार  में  कहाँ तक सफलता होगी पता नहीं ।पढेलिखे वकील अपराधी को बचाने लडता है। 

आडिटर  मिथया हिसाब लिखवाता है।

सत्ताधारी  अरबपति बनता है। वे सब आत्मपरीक्षण  करेंगे तो  नश्वर दुनिया  में संपत्ति  बेकार, कफन ही श्मशान तक का ज्ञान  मिलेगा।

 यह तो संभव ही नहीं  । परिणाम  मानव का जग जीवन संताप से परिपूर्ण ।


 स्वचिंतक अनंतकृष्णन द्वारा  स्वरचित । 

 


++++++++++++++++++

[25/04, 12:45 pm] sanantha .50@gmail.com: मानव मानवता नहीं तो

 वह मानव नहीं और कुछ  बन जाता ।

और कुछ बन जाता तो 

 लालची बन जाता।

 लालची बन जाता  तो

असंतोषी बन जाता ।

 असंतोषी  बन जाता तो

शांति खो बैठता,

 अपने को जितना भी सुख मिलता,

उतना ही दुखी हो जाता ।

 दुखी इसलिए कि हमेशा 

अभाव का ही महसूस  करता।

आजीवन लोभी दुखी ही रहता।।

 मानवता हीन मनुष्य बदमाश बन जाता को युग का ही नहीं, 

अगजग की शांति बिगाड देता।

 उनमें नहीं  दया, नहीं धर्म,  न सत्य।

बगैर इन्सानियत  का मनुष्य,

 इन्सान  नहीं ,पशु भी नहीं,

राक्षस से भी गया गुजरा है।

 स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक 

सौहार्द पुरस्कार प्राप्ति, 

पद्म विद्यासागर,

तमिलनाडु  का हिंदी प्रचारक प्रेमी 

एस.अनंतकृष्णन ।

[25/04, 3:19 pm] sanantha .50@gmail.com: मानवता -2.


मानवता  नहीं  तो मानव


 मानव नहीं ,और कुछ बन जाएगा!


 अहंकारी  बनेगा तो मनमाना  करेगा.


 मनमाना करेगा  तो अनाचार बढेगा!


 अनाचार  बढेगा तो  सदुपदेश न मानेगा!


भाई भी शत्रुओं  से मिल जाएगा;


 भगवान भी अवतार  लेकर


 वानरों के सहारे वध करने आएगा.


 मनुष्यों की सेना लाएगा तक


उनमें स्वार्थी लोभी भ्रष्टाचारी, 


शत्रुओं से मिलकर आंभी बन जाएगा!


रामावतार की सीख ,मानव है गिरगिट ।


 वाली का प्रसंग, वाली का वध।।


स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन.  एस.


तमिलनाडु  का  हिंदी प्रेमी प्रचारक.

[05/05, 6:21 am] sanantha .50@gmail.com: [04/05, 8:51 pm] Tholeti Chandra Shekhar: अपनी पिरामिड कविता


                 मैं

                गमों

               से जरा

               घबराया

             कुछ बौराया

           सोचा पीछे हटूं

         ये तो भागना ही है

         खुद से हारना ही है

[04/05, 8:59 pm] +91 80747 50098: आपकी बात 100 % सच है ।

[05/05, 6:08 am] sanantha .50@gmail.com: गम

बेगम से

बेईमानी से

 भ्रष्टाचार  कर्मों से

 जगत मिथ्या, ब्रह्म सत्यम् 

 जान अनजान  स्वार्थ क्रिया  से

कर्म फल मानव को भोगना ही

 ब्रहम खेल विधि की विडंबना ।।

++++++++++++

    यह तोलेटी चंद्र शेखर  के 

 मेरा मन पसंद

 प्रमिड कविता का असर.

प्रयत्न.

++++++++

यह ऐसा ही है ,कैसा?!


तमिल मूल :


 कान मयिल  आड,கான மயில் ஆட

कंडिरुंद वान कोळि, 

கண்டிருந்த வான் கோழி

तानुम अतुवाक, भावित्तुत् तन,

தானும் அதுவாக பாவித்துத் தன், 

पोल्लाच् चिरकिनै

பொல்லாச் சிறகினை

विरित्ताडिनार  पोलुमे 

விரித்து ஆடினால் போலுமே,

कल्लातान कट्र कवि।।

கல்லாதான் கற்ற கவி.



 हिंदी अनुवाद   ----


 कानन में मोर नाचा

 अति सुंदरनाच!

देख  चतुर्मुर्खी ने अपने को

 मोर माना ,

अपने भद्दे पंखों से

 नाचा भद्दी नाच!

वैसा ही है ज्ञानी कवि को देख 

 अज्ञानी कवि की कविता रचना!!


  स्वचिंतक स्वरचनाकार 

अपनी हिंदी, अपने विचार,  

अपनी शैली   के

 भाव प्रधान 

 कवि लेखक

एस. अनंतकृष्णन,चेन्नै तमिलनाडु ।

[08/05, 5:47 am] sanantha .50@gmail.com: मानव में मान है,

 मान में मन है।

 मन सही है तो 

  मान लो मान मिलेगा ही।।

मान,सम्मान,  नाम 

 माव की  चाह है।

 वह मान

 हमें 

अपने आप

 मिलना है।

  मान। ,अपमान तो 

मानव के चिंतन पर, 

विचार पर, 

व्यवहार  पर,

तटस्थता पर, 

परोपकार  पर,

  सेवा पर निर्भर  है।।

 तमिल कवि वळ्ळुवर का कहना है,

 तुम जन्म लेते हो तो यश के साथ  जन्म लो।

 वह न तो जन्म न लेना  ही अच्छा है।।

 

 236

 जन्म लेने पर,कर्म में लगने पर 

   पुकळोडु -- यश के साथ

 तोन्रुक -जन्म लीजिए ।

 अहतिलार -- नहीं तो 

 तोन्रलिन - जन्म लेने से  

 तोन्रामै  नन्रु --

. जन्म न लेना अच्छा है/

 काम में न लगना ही अच्छा है।

[, धर्म भाग  இல்லறவியல் गृहस्थ

, पुकळ यश 

++++++++++

मानव को अपने कर्तव्य

खूबी से निभाकर 

 नाम 

प्राप्त करना चाहिए ।

 न तो काम में न लगना ही 

अच्छा है।

।ऐसा भी अर्थ ले सकते हैं।

सेव रचनाकार स्वचिंतक अनुवादक 

एस. अनंतकृष्णन,  चेन्नै

[08/05, 11:32 am] sanantha .50@gmail.com: भगवान  की सृष्टि  ही ऐसी है?

 क्या करें?

चोर को चोरी करने की प्रेरणा

 न दे सकते हम?

 बाघ, सिंह साँप को 

 पाल नहीं सकते हम।

 सियार, भालू, भेडिया

पालतू जानवर कह नहीं सकते।

 पर भ्रष्टाचार,  रिश्वत खोर को

 स्वार्थ  मानव को क्षमा  

वोट दे सकते हैं हम।

 कोरे कागज पर अंक दे सकते हैं हम।

 मिथ्या ववुचर लिख सकते हैं हम।।

 हर अन्याय को सह सकते हैं हम ।

पैसे देकर वोट पा सकते हैं।

 पैसे  लेकर वोट पा सकतेहैंहम 

 सोचते यह नहीं  हरिश्चंद्र भी मर गया।

पुरुषोत्तम भी मर गया।

आंबी भी मर गया,

दुर्योधन  भी चल बसा।

कृष्ण  भी मर गये।

सिकंदर हिट्लर भी मर गये।।

ऋषि, मुनि भी मर गये.

असुर भी मर गये.

 हम मानव मच्छर को भी 

जीने देकर  जी नहीं  सकते. 

स्वरचित   एस. अनंतकृष्णन, चेन्नै.

प्रश्नवाचक शब्द --- प्रश्नवाचक शब्द : तमिल भाषा बोलने आप प्रश्नवाचक शब्द पर ध्यान दीजिये:

 



प्रश्नवाचक शब्द : तमिल भाषा बोलने आप प्रश्नवाचक शब्द पर ध्यान दीजिये:

. कहाँ -- एंगे

'ए" का ह्रस्व रूप.

जैसे elephant men" ए" के उच्चारण जैसे.

कितना =एव्वलवु , एत्तनै ,

कितने रूपये =एत्तनै रूपाय.

कितने बजे =एत्तनै मणिक्कू.

कितनी दूर= एव्वलवु दूरम.

कितने लोग =एत्तनै पेर.

"ए : का ह्रस्व रूप.

कैसा ,कैसे ,कैसी --एप्पडि ;

किसलिए = एतर्काक.

किसकेलिए==यारुक्काक.

क्या =एन्न ;

इसमें सभी "ए" का उच्चारण ह्रस्व ही हैं.

कब =एप्पोलुतु

प्रश्न वाचक शब्दों को सीखिए. अगले पाठ प्रश्न और उत्तर  के वाक्य होंगे.










तमिल पाठ --२.

तमिल में दो रूप मिलते हैं.

इसलिए लोग ज़रा कठिनाई महसूस करते हैं.

बोलचाल और लिखित. आगे बो,चा./लिख. में आप समझ लें कैसे बोलना है और लिखित भाषा कैसी है.

नी काफी कुड़ी.==तुम काफ़ी पीओ. .....आप काफी पीजिए ===== नींगल काफ़ी कुडियुंगल. (लि). नींग काफी कुडिंग.( बो.चा.)

नी -तुम . आप =नींगल बोलचाल में नींग काफी है.

वैसे ही आप --विधि वाक्यों में इए हिंदी में धातु के साथ जोड़ते हैं.

तमिल में -इंगल जोड़ते हैं.

बोलचाल में इंग काफ़ी है,

तुम बैठो.=नी वुट्कार. आप बैठिये==नींगल वुट्कारुंगल.--/- वुट्कारुंग.

तुम पूछो --नी केळ. आप पूछिए.=नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग .

तुम सुनो.= नी केळ. आप सुनिए =नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग.

तुम मांगो.=नी केळ . आप माँगिए.==नींगल केलुंगल./नींग केलुंग .

पूछो.सुनो ,मांगो. तीनों के लिए तमिल में एक ही धातु है. =केळ .

bolch तमिल पाठ --२.तमिल में दो रूप मिलते हैं.इसलिए लोग ज़रा कठिनाई महसूस करते हैं.बोलचाल और लिखित. आगे बो,चा./लिख. में आप समझ लें कैसे बोलना है और लिखित भाषा कैसी है.नी काफी कुड़ी.==तुम काफ़ी पीओ. .....आप काफी पीजिए ===== नींगल काफ़ी कुडियुंगल. (लि). नींग काफी कुडिंग.( बो.चा.)नी -तुम . आप =नींगल बोलचाल में नींग काफी है.वैसे ही आप --विधि वाक्यों में इए हिंदी में धातु के साथ जोड़ते हैं.तमिल में -इंगल जोड़ते हैं.बोलचाल में इंग काफ़ी है,तुम बैठो.=नी वुट्कार. आप बैठिये==नींगल वुट्कारुंगल.--/- वुट्कारुंग.तुम पूछो --नी केळ. आप पूछिए.=नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग .तुम सुनो.= नी केळ. आप सुनिए =नींगल केलुंगल./ नींग केलुंग.तुम मांगो.=नी केळ . आप माँगिए.==नींगल केलुंगल./नींग केलुंग .पूछो.सुनो ,मांगो. तीनों के लिए तमिल में एक ही धातु है. =केळ .


भक्ति

 भक्ति माने धर्म काम! न फेंको ईश्वर की मूर्ति।।


 ईश्वर की मूर्ति विसर्जन में,


 करोड़ों रूपये व्यर्थ।।


  विसर्जन  विघ्नेश्वर  का  अपमान।


अपमानित  गणपति कुपित।


 जैसे मूर्ति बिखेरती,वैसे ही हिंदू बिखरेंगे।।


शाप का परिणाम एकता की कमी।


  ईश्वर वंदनीय है, विसर्जन निंदनीय जान।


 न करो ऐसा दुष्कर्म।।


 शास्त्रों में वेदों में


 दान धर्म का संदेश।।


 तीस हजार रूपयों की मूर्ति,


 लहरों के थप्पड़ से छिन्न-भिन्न।


 यह तो मूर्ख अंध भक्ति  समझना।।


करोड़ों के विसर्जन रूपये,


 गरीबों के देश के शिक्षा के 


 विकास में करना ही बुद्धिमानी।।


सोचो, समझो, जानो पहचानो


करो भक्ति का पैसों का सदुपयोग।।


  एस. अनंतकृष्णन,

दो

 दो +दो =चार। आँखें 

 परिणाम -प्रेम।

 प्रेम न तो न संसार।।

एक संत दो आँखें,

अनुयायी हजार।

 दो आँखें बारह हाथ।

 एक अधिकारी 

छे निर्दयी  खूनी

 डाकुओं को सुधारता है ।।

एक मनु, एक श्रद्धा

 जल मग्न उत्तुंग शिखर पर।।

 संसार बना,

एक आदाम 

एक एवाळ संसार बना।

 दो आँखों में इतनी शक्ति।

 भगवान की कृपा दृष्टि

 अग जग का विकास।

 एक शैतान की कुदृष्टि

 माया मोह में मानव।।

 आँखें लाल होना 

 एक रण का शुरुआत।।

प्रेम दृष्टि,  सेवा दृष्टि,

 कृपा कटाक्ष।

 चार मिलें,

 चारों दिशाओं की ताज़ी

  खबरें।

   सोचता विचार करता जानें पर

   धर्म अर्थ काम मोक्ष। चार।

   वेद हैं चार  ऋक,साम,यजुर,अधर्वनवेद।

  दो के कारण अनंत परिणाम।।


एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

मेरी रचनाएँ

  परिंदा खुशी।

पशु-पक्षी खुशी।

न उनको वर्तमान की चिंता।

न कपड़ों की चिंता।

न षडरस स्वाद की चिंता।

न परिवार की चिंता।

न अस्पताल की चिंता।

न नाते रिश्ते परिवार की चिंता।

न श्मशान खर्च की चिंता।

न आत्मशांति पुरोहित की चिंता।

न कर की चिंता।न आय की चिंता।

न नौकरी की चिंता, न पदोन्नति की चिंता।

न पेशाब पट्टी संभोग के लिए

आठ जगह की चिंता।।

न पंखा, वातानुकूलित कमरे की चिंता।।

न मान मर्यादा की चिंता।

न जलन न लोभ न ईर्ष्या।।

न स्वार्थ ।न अहंकार।न ख्वाब।

मानव  में न चैन।

 स्वरचित स्वचिंतक स्वरचनाकार एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

नमस्ते वणक्कम साहित्य बोध मंच को।

 शीर्षक ---नश नाश की जड़ है।

नाश नाश की जड़ हैं,

नशा नाश हानिकारक  

छपा है सही।

 नाश गरीब परिवारों का।

पर सरकार की आमदनी की जड।

जंगलों का नाश , नगरों का विकास।

जंगली जानवरों का नाश ,

ग्रामीण जनता की सुरक्षा।

 समुद्र की लहरों का आहार

 बड़ी बड़ी इमारतें,सुंदर मंदिर।।

पर लाभ खोज अनुसंधान करनेवालों को।

ताज़ी खबरें छापने वाले को।

तमिलनाडु में आत्महत्या,

  अपराध बढ़ाने 

राजनैतिक दलों के 

प्रोत्साहित रकम

आत्महत्या के विरुद्ध न बोलता

जनता,कानून, सरकार।

हजारों झीलों का नाश,

कितने कालेज, स्कूल,कारखाने,

गगन चुंबी इमारतें

नाश में लाभ ठेकेदारों को।।

नाश नाश की जड़,

एक का पतन, दूसरों का उत्थान।

एक व्यापारी का घाटा , दूसरे व्यापार का लाभ।

घोडागाडियों का धंधा नाश।

आटो, कार,टैक्सी धंधा का जोश।।

नाश में उत्थान,

खड़ी बोली का उत्थान हिंदी के रूप में,

कितनी बोलियाँ गायब।

कदम कदम पर नाश,

कदम कदम पर ।

नाश नाश की जड़,

पर उत्थान का मूल।।

एस.अनंतकृष्णन द्वारा

स्वरचित कविता।स्वचिंतक, स्वरचनाकार अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

Friday, November 3, 2023

सनातन धर्म

 सनातन धर्म  विश्व का शाश्वत धर्म है।  अगजग का आम धर्म है। 

वसुधैव कुटुंबकम्  का संदेश देनेवाला है।

 हिंदू धर्म स्वार्थ से भरा व्यापार केन्द्र है। रामायण काल में नकली संन्यासी छद्मवेशधारी से लोग धोखा खाते हैं। सीता ने भी रावण के शिव भक्त संन्यासी के रूप से धोखा खाया है।।

सनातन धर्म यही सिखाता है कि 

मानव को मनुष्यता निभानी है।

ईमानदारी, परोपकार, दान धर्म

निस्वार्थ जीवन , त्याग प्रेम, सहानुभूति, भलमानसाहस  यही 

सनातन धर्म है।

कुरान, बाइबिल जैसा सनातन धर्म   एक ग्रंथ का नहीं, वेदों में, पौराणिक कथाओं में मानव जीवन  के चरित्र गठन के शाश्वत सिद्धांत  है, मानव  मानव में एकता के संदेशों से भरा है।

 आजकल मोदी मंदिर, खुशबू मंदिर, सोनिया मंदिर, एमजीआर मंदिर, रजनीकांत मंदिर आदि हिंदू धर्म के लिए अति कलंक है।

अतः मानव निर्मित मंदिर तटस्थ नहीं है।

 हवा, नीर, अग्नि,आकाश, भूमि  

आदि पंच तत्व सभी मानवों के लिए  समान है। पंचतत्व का प्रदूषण मानव के लिए 

विनाशकारी  है।

सनातन धर्म अग जग का कल्याण चाहता है।

सर्वेजनाः सुखिनो भवन्तु।

 ऐसा कहनेवाले सनातन धर्म

 स्वार्थ हिंदू, मुस्लिम ईसाई जो मानव मानव में नफ़रत पैदा कर रहे हैं, एक दूसरे की हत्या करने तुले हैं, वे शैतान है।

 एस. अनंत कृष्णन चेन्नई

Thursday, November 2, 2023

प्रेम निभाना

 बस इस जन्म बंधन का साथ निभा देना।

आधुनिक युवकों, युवतियों,

आधुनिक ताज़ी खबरें

अति दुखप्रद और चिंतनीय।

सम्मिलित परिवार नहीं,

 वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या।

 ताज़ी खबरें तलाक के मुकद्दमे अधिक।

अवैध संबंध,

  अपने नन्हें बच्चे की हत्या तक।

अपनी प्रिय पति या पत्नी की हत्या तक।

पाश्चात्य प्रभाव  त्याग मय प्रेम  नहीं,

 सनातन प्रेम में त्याग अधिक,

निस्वार्थ बंधन, त्याग की सीख।

न प्रधान शारीरिक सुख का,

 न स्वार्थ मय जीवन ।

 बस पारिवारिक बंधन,

वैवाहिक बंधन हो गया तो

अंत तक प्रेम निभा देना।

 संयम में है जीवन।

बस इस जन्म साथ निभा देना।।

 जीवन में सुखी कोई नहीं,

न राम,न सीता, न लक्ष्मण,न उर्मिला,

न सिद्धार्थ,न यशोधरा।

न शकुंतला, न दुश्यंत।

कारण न बंधन निभाया।

सोचो, समझो,

बस इस जन्म बंधन का साथ निभा देना।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक स्वरचनाकार स्वचिंतक।