Tuesday, November 14, 2023

 [4:08 pm, 27/10/2023] sanantha 50: महिला  बला या अबला,

पता नहीं,

कैकेई रोयी, परिणाम रोती रही।।

सीता के जीवन में,

अग्नि प्रवेश होकर भी रोती रही।

कुंती के जीवन में 

शांति नहीं,

द्रौपदी भी सुखी नहीं।

दमयंती,शकुंतला, सावित्री,

अनुसिया , चंद्रमति,

  दुखी ही रही।

बलशालिनी महिला,

ईश्वरीय कोमल तत्वों से बनी।

 इतनी दुखी महिलाओं की सूची

तो पौराणिक कथाएँ देती ।

झांसी रानी वीरांगना सही,

 13साल की बावन साल के राजा से, वीरांगना के नाम से प्रसिद्ध,

व्यक्तिगत जीवन निरर्थ।

कवयित्री मीरा,

कृष्ण भक्ता 

 भी वैसी ही  दुखिनियों की सूची में।

 आधुनिक महिलाएँ,

तलाक के पात्र।

बलात्कार का पात्र।

 यह ईश्वरीय सृष्टि ही ऐसी।

अग जग में स्त्री ,

 भोग की वस्तु ही रही।।

 पुरुष समान वह 

 आज़ादी से घूम फिर नहीं सकती।

वेश्या को ही दंड,

वेश्या अर्थात वेश्या के सुख

 पाने वाले  पुरुष को दंड कहाँ?

 कोमल  तत्वों  से बनी नारी

पाश्चात्…

[10:11 pm, 27/10/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का  नमस्कार साहित्य बोध, राजस्थान इकाई को।

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उम्मीदों का दामन कभी मत छोड़िए।

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  मानव अपनी शादी के बाद

 संतान  की आशा करता है।

 संतान होने के बाद

 संतान की पढ़ाई, 

नौकरी की आशा करता है।

 उम्मीदों का जीवन मानव का।

मंदिर जाता है,

मिन्नतें करता है,

उम्मीद करता है 

 ईश्वर की कृपा मिलेगी।।

पल पल पर आशा,

न तो जिंदगी जीना दुश्वार।

परीक्षा देता है,

आशा रखता है,

अच्छे अंक मिलेंगे।

अच्छे महाविद्यालय में

 भर्ती मिलेगी।

  कैंपस साक्षात्कार में,

 नौकरी मिलेगी।

 विलायत जाएँगे।

भरोसा नहीं तो मानव को

बल नहीं,धैर्य नहीं,

 निराशा मानव का  लक्षण नहीं।।

नर है,तो सभी प्रकार का सामर्थ्यवान है।





 






 

एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का  नमस्कार साहित्य बोध, राजस्थान इकाई को।

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उम्मीदों का दामन कभी मत छोड़िए।

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[8:59 am, 29/10/2023] sanantha 50: சே. அனந்தகிருஷ்ணன். வணக்கம் .

தலைப்பு --விலங்குகள் நேசிக்கப்பட ஆன்மா விழிக்கட்டும்.

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ஆன்மா  உருவமற்ற நிலையான ஒன்று./1

உடல் மரணம்  உயிர் பிரியும்/2

விலங்குகள் மனிதனைப் போல உயர்ந்தவை/3.

சிங்க நடை மான் விழி/4

 நரி தந்திரம் , பசு சாது/5

ஆறறிவு ஆனால்

ஒப்பிட  குணம்?6

 அனைத்தும் உண்ணும்

ஆர்வம் கொண்டவன்/7

ஆண்டவன் வாகனங்கள்

காளை,சிங்கம்,மயில்,கருடன்/8

சேவல் கொடி  உடையவன்வேலவன்/9

விலங்குகள் நேசிக்கப்பட ஆன்மா விழிக்கட்டும்.,/10

[7:09 pm, 29/10/2023] sanantha 50: एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक,

हिंदू हायर सेकंडरी स्कूल तिरुवल्लिक्केणी, चेन्नै।

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मनोबल चाहिए मानव को,

केवल  मनोबल से नहीं होगा काम।

तन बल, स्वस्थ शरीर भी चाहिए,

केवल मन,तन बल से काम न बनेगा,

धन बल चाहिए।

 तन मन धन मिलने,

 मिलाने मिलवाने,

ईश्वर बल चाहिए।।

कबीर का दोहा चिर स्मरणीय है

"जाको राखे साइयां मारी न सके कोय।

बाल न बांका करि सके जो जग वैरी होय".

ईश्वरीय बल ही 

ज्ञान बल देगा जान।।

कर्मफल से मानव का जन्म

 धनी के यहाँ,

 भिखारी के यहांँ,

विद्वान के यहाँ

 वेश्या के यहाँ

 होता है।

सत्यवादी हमेशा 

धीरज से जाता तान कर रहता है।

वीर तो एक बार मरता है,

 कायर मरता रोज़ रोज़।

दान धर्म परोपकार जगत में

 मानव का नाम अमर कर देता है।

व्यवहार में

जिसकी लाठी,उसकी भैंस की नीति ही सत्य है।

एस. अनंत …

[7:13 pm, 31/10/2023] sanantha 50: mrityunjaytripathyofficial@gmail.com

[1:35 pm, 01/11/2023] sanantha 50: हम तमिलनाडु के लोग

कार्तिकेय को "मुरुगा" के नाम से,

षण्मुख के नाम से,

सुब्रह्मण्य के नाम से,

स्कंद के नाम से,

वेलन के नाम से,

दंडायुधपाणी नाम से,

लंगोटी संन्यासी के नाम से

कडंब के नाम से,

कदिरवेला (शूलकिरण)के नाम से 

कलियुग वरदाता के नाम से,

जप करते हैं।

भारतीय एकता में,

राम के रामेश्वर,

कार्तिक के पऴनी, तमिलनाडु

तमिल के प्रथम

 व्याकरणिक अगस्त्य,

जिनके कारण कावेरी नदी

पृथ्वी पर दक्षिण में बहने लगी,

भारतीय आध्यात्मिक एकता की

आधार शिला हैं,वह पक्की नींव

अति मज़बूत।।

हिलाना  असंभव।

पर सनातन धर्मियों में एकता नहीं,

अन्य धर्मों की तरह

 एक ही आवाज़ उठती नहीं।।

यह कमी  मिटने मिटाने में

ध्यान देना सनातन धर्मियों के लिए

अति अनिवार्य है।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

[5:57 pm, 01/11/2023] sanantha 50: https://www.facebook.com/groups/810202296271288/permalink/1330617644229748/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v

[9:53 am, 02/11/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन चेन्नई का नमस्कार वणक्कम साहित्य बोध उत्तराखंड इकाई को।

शीर्षक --बस इस जन्म साथ निभा देना।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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आधुनिक युवकों, युवतियों,

आधुनिक ताज़ी खबरें

अति दुखप्रद और चिंतनीय।

सम्मिलित परिवार नहीं,

 वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या।

 ताज़ी खबरें तलाक के मुकद्दमे अधिक।

अवैध संबंध,

  अपने नन्हें बच्चे की हत्या तक।

अपनी प्रिय पति या पत्नी की हत्या तक।

पाश्चात्य प्रभाव  त्याग मय प्रेम  नहीं,

 सनातन प्रेम में त्याग अधिक,

निस्वार्थ बंधन, त्याग की सीख।

न प्रधान शारीरिक सुख का,

 न स्वार्थ मय जीवन ।

 बस पारिवारिक बंधन,

वैवाहिक बंधन हो गया तो

अंत तक प्रेम निभा देना।

 संयम में है जीवन।

बस इस जन्म साथ निभा देना।।

 जीवन में सुखी कोई नहीं,

न राम,न सीता, न लक्ष्मण,न उर्मिला,

न सिद्धार्थ,न यशोधरा।

न शकुंतला,…

[11:21 am, 04/11/2023] sanantha 50: सत्ताधारी धनी हैं।

नोट पाकर ओट देने तैयार।

 अंक देने तैयार।

अंग देने तैयार।

 हत्यारे के धन कै लिए

 वकीलों की सेना तैयार।

एक सांसद या विधायक देश प्रेमी नहीं,

धनी व्यक्ति दाम सौ करोड़।

 फिर भी देश आगे,

कारण धन।

चैन नगर के चार बेकार।

खेती नगर विस्तार में विनाश।

 समाधि,तोरण द्वार, मूर्ति,

के लिए लाखों करोड़।

 किसान अन्नदाता चौराहे पर।

कारखाना कालांतर में

 खाना न देगा।

 प्रेम तो सच्चा होना चाहिए।

 आदर्श प्रेमी ईमानदारी होते हैं।

 सत्य बोलते हैं,

 ऐसा कोई भूलोक में अवतार नहीं,राम भी नहीं, लक्ष्मण भी नहीं।

सबका प्यारा मुहम्मद भी नहीं, ईसा भी नहीं। राम भी नहीं, 

शिव भी नहीं।

सच्चा प्यारा बड़ा त्यागी।

भोगी नहीं।

[0:24 pm, 04/11/2023] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

सनातन धर्म विश्व बंधुत्व का 

मार्गदर्शक है।

संसार के  सभी जीव राशियों के लिए युग युगों तक स्मरणीय और अनुकरणीय है।

सक्ला लोका सुखिनो भवन्तु।

वसुधैव कुटुंबकम्।

सर्वेजनाः सुखिनो भवन्तु।

ऐसे सिद्धांत केवल सनातन धर्म में है।

आसमान एक,

सूर्य एक,

चंद्रमा एक,

मानवता एक,

 सत्य चाहती दुनिया।

ईमानदारी चाहती दुनिया।

वचन का पालन चाहती दुनिया,

तटस्थता चाहती दुनिया,

  अहिंसा, संतोष, शांति, 

   चाहती  दुनिया।

चरित्र गठन चाहती दुनिया

समय का सदुपयोग चाहती दुनिया।

ईश्वरीय  सूक्ष्म लीला 

मानती दुनिया।।

अनुशासित संयम 

चाहती दुनिया।

इन सब की राह दिखाता 

एक धर्म सनातन।

यह शाश्वत धर्म है,

 मजहबों से परे,

मानव में मानवता भरने की कला

सनातन धर्म सिखाता है।


एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक स्वचिंतक स्वरचनाकार अनुवादक

[7:37 pm, 04/11/2023] sanantha 50: नमस्ते।

दीपावली है 

दीपों का त्योहार।

दुष्टों का वध,

इष्टों की रक्षा।

भारत भर में

आनंद का पर्व है।

कितनों को खुशी दे रहा है,

यह पर्व।

 तेल व्यापारी का व्यापार,

आलसी भी तड़के उठाकर

तेल स्नान करता है,

कपड़ों का व्यापार खूब चलता है,

पटाखों की गूँज है,

सर्वत्र है,

पटाखों के कारण अनेकों को

 नौकरी !

 दक्षिण में नरकासुर का वध,

सत्यभामा की मदद से 

कृष्ण ने किया।

 हर काम की सफलता 

नारी के साथ  रहने से 

सफलता जरूर।

 तमिलनाडु में दीपों से नहीं 

सजाते, पटाखें जलाते।

 अमावस्या के अंधेरे में

 फुलझडियां की उज्ज्वलता।

 व्यापार भी खूब,

मिठाइयों की दूकानों का व्यापार।

 बुरों की हत्या का आनंद।

 वाणिज्य का विकास,

भक्ति का महत्व,

ईश्वर की सूक्ष्म लीला।

भक्ति रस से भरा भारत।

 खेद की बात आजकल,

मधुशाला की बिक्री अधिक।

जुआभी खेलते हैं ।

सिनेमा टिकट में यूवकों की भीड़।

  यह माया छूटने ,

ईश्वर से प्रार्थना। 

 सर्वे जन: सुखिनो भवन्तु।


एस.अनं

[8:01 pm, 04/11/2023] sanantha 50: छोटों का नमस्कार,

बड़ों की आशीषें।

प्रथम साल शादी की

 बेटी दामाद  का स्वागत।

 अमीरों का आनंद,

 गरीबों में भी आनंद।

[9:26 am, 06/11/2023] sanantha 50: एस . अनंतकृष्णन

स्वरचित मौलिक रचना 

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शीर्षक --मउझए दंगा देनेवाले मुझे दगा देकर रोये।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति गद्य पद्य  विधान।

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दंगा देना अर्थात ठगना,

धोखा देना,

रामायण काल से 

आधुनिक काल तक

मानव मानव में चलता रहता है।।

रावण ने सीता को संन्यासी वेश में तो मारीच ने स्वर्ण हिरन के रूप में 

विष्णु ने रावण रूप में,

अफ़ज़ल ख़ान 

वीर शिवाजी को

दोस्ती के रूप में,

ठगना  युद्ध में  भी धर्म नहीं।

आजकल  चुनाव में,

चुनाव के बाद जीत में,

कितना ठग देते हैं।

 नाते रिश्तों का ठगना

दगा  देना क्या करें,

अशाश्वत  संसार में,

ठगने की शैतानियों

आदी काल से आजतक।

कीडे के आगे मारा तो वह भी

एक पल निश्चल रहता है।

बाघ छिपकर मारता है।

जो भी हो मानव सब को

  संताप सहना पड़ता है।

मुझे भी लगा देनेवाले नहीं,

जो किसी को भी दंगा देग…

[3:06 pm, 07/11/2023] sanantha 50: एस. अनंतकृष्णन‌  का नमस्कार।

साहित्य बोध  महाराष्ट्र इकाई को।

विषय -- बच के रहो आस्तीनों के साँपों से

विधा--अषनी  भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति भाव प्रधान।

+++++++++++

इतिहास पढ़ा,

पौराणिक कथाएँ पढ़ी।

 आस्तीनों के साँप  के कारण ही

   महा युद्धों के कारण।

 बौद्ध धर्म के दो भेद,

जैन धर्म के भेद,

 हिंदू धर्म के भेद 

कदम कदम पर जातीय मंदिर।

सांप्रदायिक लडाइयाँ।

काँग्रेस के दो दल,

प्रांतीय दल।

 दल बदलने का हेरा फेरी।

 आँभी का ठगना,

पुरुषोत्तम का हार।

विभीषण का राम से  


मिलना ,

स्वतंत्रता संग्राम में भी

आस्तीनों के साँप असंख्य।।

कथानक के विकास भी

आस्तीनों के साँप ही कारण।।

हर परिवार में स्वार्थी मामा,

स्वार्थी मायकेवालोले,

साले, साली,

ईर्ष्यालू कायर दोस्त,

जाने -अनजाने दुश्मन।

अतः ऐसे आस्तीनों के साँपों से 

 सावधानी से बचकर रहना।

एस.अनंतकृष्णन‌। द्वारा  स्वरचित कविता।

[9:11 pm, 07/11/2023] sanantha 50: December 10th old boys meetings

[7:18 am, 09/11/2023] sanantha 50: दीपावली अनूठा संगम

 दूर दूर के नाते रिश्ते

मिलते,

देश में आजकल 

दान धर्म  के लोग 

मध्यवर्गीय परिवार के।

 बड़े धनी भ्रष्टाचारी चारी नेता

 फुटपाथ के परिवारों पर,

गरीबो की बस्ती पर 

ध्यान ही नहीं देते।

 चुनाव के समय गरीबों की 

बस्ती में घूमते रहते,

गरीबों के ओट नहीं तो

 चुनाव क्षेत्र खाली ही रहता।।

 अमीर शिक्षित चुनाव के दिन

 पता नहीं ओझल हो जाते।

 ४०% अल्प संख्यक सत्ता धारी बनते।

पता नहीं भारतवासी कब जागेंगे?

दीपावली अवसर पर 

सर्वेश्वर से यही प्रार्थना

प्रवासी भारतीयों को भी

ओट देने का अवसर मिलें

ओट देने जो नहीं जाते

 उनकी बूद्धि में जागृति हो।

एस. अनंत कृष्णन तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

भारत भक्त।

[8:18 pm, 09/11/2023] sanantha 50: एस .अनंतकृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध राजस्थान इकाई को।

 विषय --मन के दीप।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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मन दीप है,यदि पवित्र हो तो।।

मन कलंकित हो तो अंधेरा।।

मन में शैतान बस गया तो

 मन के दीप का बुझना निश्चित ।।

नाना प्रकार के बद विचार।

बुरी संगति बुरा परिणाम।

 मन में भगवान को  बसाओ।

पूजा अर्चना का दीप जलाना।

ध्यान मग्न होकर

निश्चल-निश्छल बनाकर

ध्यान का दीप जलाओ।

मन के दीप में

 पवित्रता का तेल लगाना।

पवित्र विचार की बत्ती डालना।

 मन का पवित्र दीप जलाना।

चैन मन में संतोष जनक विचार।

ब्रह्मानंद परमानंद जीवन।।

मन का दीप उज्ज्वलतम होगा।।

एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित कविता।

[9:22 pm, 09/11/2023] sanantha 50: एस. अनंत कृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध,असम इकाई को।।


विषय ---रिश्तों में अपनत्व।

 विधा --अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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रिश्तों में अपनत्व है या नहीं,

संदेह प्रद शक नहीं।

अपनत्व है पर 

परिस्थिति अपनत्व 

मिटा देती है।

गलतफहमी, ईर्ष्या,अंधआक्रओध

ईश्वरीय लीला,

मंथरा के कारण

कैकेई अपनत्व   खो देती।

स्वार्थता घेर लेती।

अपने बेटे के लिए

 सिंहासन माँगती।

शकुनि  और कृष्ण भी

रिश्तों में अपनाने में

बदला लेने की भावना

कृष्ण चाहते तो युद्ध न होता।

कुंती के कर्ण  का त्याग,

रिश्तों में अपनत्व पर बड़ा कलंक।

आगे आधुनिक काल में

अनाथ आश्रम,व‌द्धाश्रम,

प्रेम विवाह, 

शादी के दिन बेटी का भागना

आज कल साधारण बात।।

अवैध संबंध, तलाक, 

पाश्चात्य प्रभाव।।

 सम लिंग शादी,

संतान को भारत समझना।

रिश्तों में अपनत्व कहाँ?

चित्रपट जगत में तो

  दांप…

[3:22 pm, 11/11/2023] sanantha 50: साहित्य कलम जिंदा मंच को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार। वणक्कम। दीपावली की शुभकामनाएँऔर बधाइयाँ।

    चित्र वर्णन। 11-11-2023

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मानव की मनो कामना

 मन की कल्पना,

पहाड़ की चोटी से चंद्रमा को छूना,

सूर्य मंडल   पर  घर बसाना,

अपने को अष्टसिद्धियाँ प्राप्त करना।।

लघु रूप लेना,महा रूप लेना।

 हनुमान सा समुद्र लांघना,

एक पहाड़ की चोटी से 

दूसरी चोटी पर,

छलांग मारना,

अनहोनी असंभव

 दुर्लभ साधना करना,

मानव मानव में

ईश्वरत्व लाना।।

  धन्य है सर्वेश्वर जिसने

 मानव को बुद्धि देना।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

द्वारा स्वरचित कविता।।

स्वचिंतक स्वरचनाकार 


  

साहित्य कलम जिंदा मंच को एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार। वणक्कम। दीपावली की शुभकामनाएँऔर बधाइयाँ।

    चित्र वर्णन। 11-11-2023

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