Tuesday, November 14, 2023

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 [2:53 pm, 12/11/2023] sanantha 50: नमस्ते वणक्कम।

विषय --फैसले में देरी हार निश्चित।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली

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 हमारा निर्णय सही है तो

तुरंत कार्रवाई पर लग जाना।।

देरी तीसरे को लाभप्रद होगा।

न्यायलय में देरी बारह साल तक

गवाही गायब,गवाही का निधन।।

फैल गायब, न्यायाधीशों का तबादला, अवकाश।

गलत फैसला अपराधी बच गया।।

देरी का फैसला

 अपराधिनी मर गई।

 दंड से बच गयी।

दूकान खोलने में देरी,

दूसरे ने वही दूकान खोली।

फैसले में देरी,हार निश्चित।

शादी में देरी,

शादी के बाद संतान का स्थगित,

देरी परिणाम निस्संतान का दुख।।

प्यार पत्र में देरी प्रेमी/प्रेमिका न मिला/न मिली हार निश्चित।।

फैसलों में देर हार निश्चित।।

एस. अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित कविता।

[10:56 am, 13/11/2023] sanantha 50: त्रिंशत् - 30

इसलिए, त्रयः त्रिंशत् / त्रयस्त्रिंशत् - 33

कोटिः - प्रकार


संस्कृत शब्द कोटि के दो अलग-अलग अर्थ हैं। एक करोड़ है और दूसरा प्रकार है।


यहां त्रयस्त्रिंशत् कोटि देवता का अर्थ 33 प्रकार के देवता है, न कि 33 करोड़ देवताओं।


33 प्रकार के देवताओं के नाम -

• द्वे अश्विनी कुमार (2) : नासत्य, दस्र।

• अष्ट वसु (8) : जल, पृथिवी, अग्नि, वायु, व्योम (आकाश), सूर्य, चन्द्र (सोम) और नक्षत्र (तारा गण)।

• एकादश रुद्र (11) : प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त, धनञ्जय और जीवात्मा।

• द्वादश आदित्य (12) : यम, अर्यमन्, इन्द्र (मार्तण्ड), रवि, वरुण, धातृ, भग, हिरण्यगर्भ, अर्क, अंश, मित्र, दक्ष (पूष)।


परमात्मा को प्रजापति / परब्रह्म / पुरुष / विष्णु / रुद्र / ललिता / गणेश / सविता (कभी-कभी सवितृ) कहा जाता है, जो इन देवों का निर्माता हैं।

[3:06 pm, 13/11/2023] sanantha 50: मेरा विवरण -

नाम --एस. अनंतकृष्णन,

पिता का नाम --

पी. वि. सेतुरामन


पता---

S. Anandakrishnan

A7, Archana Usha Square,

4&5, Kubernagar IV Cross Street Extension,

Madippakkam Chennai 600091.

Mobile no 

86101 28658

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शैक्षिक योग्यता --

M.A.,(Hindi)M.Ed.,

राष्ट्र भाषा प्रवीण, प्रचारक प्रशिक्षण उपाधि।

पत्रकारिता और जन-संपर्क उपाधि।

अनुभव --1967ई. से  1977तक हिंदी विरोध आंदोलन के समय पऴनी, केंद्र में तीव्र हिंदी प्रचार


हिंदी स्नातक अध्यापक  तमिलनाडु सरकार मान्यता प्राप्त वेस्ली हाई स्कूल, रायप्पेट्टै, चेन्नई।

1981 से स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक, 2006तक, 2006 से2008 तक प्रधान अध्यापक

1986से1990तक अंशकालीन प्राध्यापक, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, राजाजी  प्रशिक्षण कालेज, चेन्नई।

लेखन कार्य ---

प्राथमिक से प्रवीण तक 

हिंदी परीक्षा मार्गदर्शिका,

जय प्रकाशन।

[7:25 pm, 13/11/2023] sanantha 50: சே. அனந்த கிருஷ்ணன்.

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தலைப்பு ---

நாளை நமதே

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நம்பிக்கையே மனித வாழ்க்கை/1

நீட் தேர்வு தற்கொலை/2

அது அரசியல் சுயநலம்/3

அவநம்பிக்கை  தூண்டும் செயல்/4

தேர்வில் தோல்வி  ஊக்கமின்மை/5

காரணம் வீரம் இல்லாமை/6

காதல் நெருக்கம் விலக/7

வேதனையின் உயர் நிலை/8

முயன்று  வெற்றி தருவது/9

நாளை நமதே  எண்ணமே/10.

சே.அனந்தகிருஷ்ணனின்

சுய படைப்பு

[7:01 am, 14/11/2023] sanantha 50: 1.भगवान भी, मंदिर भी परिवर्तन की है संभावना।

प्रार्थना तो एक ही है प्रेम की चाह।

२.भगवान के अवतार दस ,

 भुवनों की रक्षा के लिए   हैं,

उस परमेश्वर का यशोगान कर!

३.पाप अमर न हो, इस सिद्धांत के लिए, ईसा चढ़े शूलई पर।।

४.मकडी की जान बचाकर,

 नबी ने चिंतन दिया।

उस नबी का यशोगान कर।।

५. सूरज पर विश्वास कर जग घूमता रहता है।

वैसा ही  भगवान की परिक्रमा कर।।

6.

कृपालू आश्रय दाता भगवान के रहते!

कहीं अंधकार में किसे खोजते हो।

7.हवा प्रत्यक्ष दीख नहीं पडती,पर देती रहती जान।

  वैसी ही हैभगवान की श्रेष्ठता ।।

8.इंद्रधनुष के सात रंग के समान।

 ज्ञान धनुष की सूक्ष्मता से गुप्त है देश।।

9.ईश्वरीय निंदा करना जानबूझकर।

अहंकार वश ही जान।।

10.अनसक्त भक्त पर आसक्त  परमेश्वर  है,

परित्यागी संन्यासी  ही है तो

यह  वास्तविकता नहीं जान।।



: 11. तन अस्वस्थ मन अस्वस्थ

      तभी मानव खोजता…

[9:38 am, 14/11/2023] sanantha 50: अमीरी का बाह्याडंबर,

गरीबी का भूखा पेट,

भाग्यवान का अहंकार

अपना अपना भाग्य आजमाकर

 आजीवन सुख-दुख भोगना

ईश्वरीय सूक्ष्म लीला।

 खुदा भी खुद दुखी

यही शाश्वत सनातन धर्म की

 सीख जान।।

[2:12 pm, 14/11/2023] sanantha 50: एस.अनंतकृष्णन का नमस्कार साहित्य बोध दिल्ली इकाई को।

   1-11-23

विषय --जो दिखता है वह सत्य नहीं होता।

विधा --अपनी भाषा अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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   नजर  से नजर मिलें,

   प्यार सा दिखा,

   पर वह तो सच नं निकला!

   बाह्याडंबर भक्ति,

  फूलों फलों से सज्जित

 ईश्वर की मूर्ति की चमक।

पुजारी की सृजन कला,

पर वह भक्ति सच नहीं निकला।

चुनाव के महीनों में,

दोनों हाथ जोड़कर,

मत माँगने आते थे,

चेहरे पर मुस्कुराहट,

मधुर वचन,

 सेवक का प्रति बिंब,

पर बनावटी मुस्कान।

सच नहीं था।

मोती माला तीन सौ रुपए,

सुंदर  थी,पर नकली मोती।।

पानी भरी चमक, पास गया तो मृग मरीचिका।।

सच क्या झूठ क्या पता नहीं,

पानी भरा था, पर पानी पीने का नहीं,

नमकीन पानी,  सच नहीं निकला।

जप माला हाथ में,

संन्यासी सा वेश भूषा,

दिखने में सच,पर भक्त नहीं था।

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