Monday, November 6, 2023

मेरी रचनाएँ

  परिंदा खुशी।

पशु-पक्षी खुशी।

न उनको वर्तमान की चिंता।

न कपड़ों की चिंता।

न षडरस स्वाद की चिंता।

न परिवार की चिंता।

न अस्पताल की चिंता।

न नाते रिश्ते परिवार की चिंता।

न श्मशान खर्च की चिंता।

न आत्मशांति पुरोहित की चिंता।

न कर की चिंता।न आय की चिंता।

न नौकरी की चिंता, न पदोन्नति की चिंता।

न पेशाब पट्टी संभोग के लिए

आठ जगह की चिंता।।

न पंखा, वातानुकूलित कमरे की चिंता।।

न मान मर्यादा की चिंता।

न जलन न लोभ न ईर्ष्या।।

न स्वार्थ ।न अहंकार।न ख्वाब।

मानव  में न चैन।

 स्वरचित स्वचिंतक स्वरचनाकार एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

नमस्ते वणक्कम साहित्य बोध मंच को।

 शीर्षक ---नश नाश की जड़ है।

नाश नाश की जड़ हैं,

नशा नाश हानिकारक  

छपा है सही।

 नाश गरीब परिवारों का।

पर सरकार की आमदनी की जड।

जंगलों का नाश , नगरों का विकास।

जंगली जानवरों का नाश ,

ग्रामीण जनता की सुरक्षा।

 समुद्र की लहरों का आहार

 बड़ी बड़ी इमारतें,सुंदर मंदिर।।

पर लाभ खोज अनुसंधान करनेवालों को।

ताज़ी खबरें छापने वाले को।

तमिलनाडु में आत्महत्या,

  अपराध बढ़ाने 

राजनैतिक दलों के 

प्रोत्साहित रकम

आत्महत्या के विरुद्ध न बोलता

जनता,कानून, सरकार।

हजारों झीलों का नाश,

कितने कालेज, स्कूल,कारखाने,

गगन चुंबी इमारतें

नाश में लाभ ठेकेदारों को।।

नाश नाश की जड़,

एक का पतन, दूसरों का उत्थान।

एक व्यापारी का घाटा , दूसरे व्यापार का लाभ।

घोडागाडियों का धंधा नाश।

आटो, कार,टैक्सी धंधा का जोश।।

नाश में उत्थान,

खड़ी बोली का उत्थान हिंदी के रूप में,

कितनी बोलियाँ गायब।

कदम कदम पर नाश,

कदम कदम पर ।

नाश नाश की जड़,

पर उत्थान का मूल।।

एस.अनंतकृष्णन द्वारा

स्वरचित कविता।स्वचिंतक, स्वरचनाकार अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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