Friday, February 28, 2020

kamaal

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
शीर्षक: कमाल।
कमाल कर दिखाया,
हिंदी का प्रभाव।
साहित्य संगम में,
हिंदी प्रेमी समुदाय में,
काव्यालय में,
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी प्रेमी दल में,
शीर्षक साहित्य में,
वर्णमाला मानक हिंदी में।
विश्व हिंदी साहित्य,
कलम की यात्रा,
हिंदी लेखक संघ,
नवोदित हिंदी प्रेमी लेखक,
आ सेतु हिमाचल अपना ब्लॉग।
तमिल हिन्दी संपर्क
रामक्री आदि सब में
अपनी हिंदी अपनी शैली अपने विचार।
पाठक की निंदा स्तुति का पात्र बन
कुछ लिखकर कमाल कर दिया।
मोहनदास करमचंद गाँधी की देन।
सिर्फ हिंदी में ही काम चलाकर
हिंदी विरोध क्षेत्र में जीने वाले
तमिल भाषा हिंदी प्रेमी प्रचारक
कमाल कर दिखा रहे हैं।
प्रांतीय हिंदी विरोधी दुधारी बंदूक के
सामने सिर तान खडे होकर,
कमाल कर दिखाया, दिखा रहे हैं।
उदय सूर्य संस्कृत शब्द ही
द्राविड मुन्नेट्र दल संस्कृत
विरोधी का चुनाव चिन्ह।
कमाल कर दिया संस्कृत।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।
यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार

Monday, February 24, 2020

नीर





नीर शीर्षक। 24-2-2020
पंच तत्वों में एक नीर।
बगैर हवा के दो पल जीना असंभव।
दो दिन नीर न तो वनस्पतियों का
सूख जाना प्रमाण।
भारत में जल की कमी नहीं।
नीर संचयन की योजना की कमी।
चेन्नै ,मुंबई जल समुद्र।
उतने पानी बचत की योजना नहीं।
बाढ के समय गंगा के पहले दर्शन।
पानी घाट डूबकर बही।
सब नीर कहाँ?
स्वार्थ सांसद विधायक मंत्री
520×100=52000 लाख करोड़
पोस्ट-दर-पोस्ट पताका मतदाता खरीदने चुनाव खर्च।
सरकार सुरक्षा का चुनाव खर्च।
सचमुच देश की भलाई हो तो
चुनाव रोककर सब मिलकर
पानी की कमी के बिना
स्थाई योजना बना सकते।
इनकी साधना मद्रास को चेन्नै बदला।
बंबई को मुंबई, कलकत्ता कोलकत्ता।
नीर/जल/पानी जीने की अनिवार्यता
अति आवश्यकता पूरी करने के बदले।
तीन हजार झीलों के शहर में
झील गली नाम मात्र।
झील नहीं,तालाब नहीं।
सब के सब बन गये घर।
करोडों के भ्रष्टाचारियों के धन
चुनाव में नीर बनकर।
ग्रीष्मकालीन पर्वत क्षेत्र।
इमारतों का भंडार।
गिरि परिक्रमा का मार्ग
व्यापारियों का अड्डा।
नदियों के रेत गायब।
पैसे केवल चुनाव जीतने।
कमाने, हर कोई अरब पति।
न पीने के लिए पानी।
गणेश जुलूस विसर्जन।
छे हजार मूर्तियाँ
न्यूनतम 3000रुपये।
केवल चेन्नै शहर में मात्र 6000 मूर्तियाँ।
3000×6000=18000000 एक करोड़ अस्सी लाख। न्यूनतम।
किसके लिए?
भगवान को छिन्न-भिन्न कर
अपमानित करने के लिए।
कहते हैं हिंदुओं की एकता केलिए।
ईसाई मुसलमान की एकता बढ रही है।
तिलक लगाने की लडाई अदालत तक।
भगवान सब भाषा जानते हैं पर
मंत्र की भाषा के लिए अदालत में।
नीर की चिंता कहीं
किसी को नहीं।
पैसे की कमीनहीं,
नीर जैसा खर्च करने तैयार।
नीर महँगा,
आधी बाल्टी पानी में नहाना।
अंग्रेज़ी प्रभाव कुल्ला करना नहीं।
उठते ही बिस्तर चाय।।
नीर की चिंता नहीं।
पाखाना के बाद टिस्सू पेपर बस।
भावी पीढ़ी कितना कोसेगी?
माता पिता का पाप पुत्र पर।
जब ब्राह्मण ने अपना धर्म छोड़
अंग्रेज़ी सीखी, तभी शुरु हुआ
जल प्रदूषण ।वायु प्रदूषण।
जल की कमी।
अब भी है जागने का समय।
जागो न कहो जगाने कोई नहीं।
स्वचिंतक स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार करें।

खून शक्ति पसीना

नमस्ते। खून शक्ति।
पसीना बहाना
स्वास्थ्य के लिए ही नहीं ,
जीविकोपार्जन के लिए।
तोंद घटाने के लिए।
स्वस्थ तन के लिए।
स्वस्थ धन के लिए।
स्वस्थ धनी परिवार के लिए।
संतान पालने के लिए।
सुख- सुविधा के
वैज्ञानिक सुख के लिए।
कितना सुख।
जवानी में दौड धूप।
बुढापे में धनी।
यही संसार मिथ्या नश्वर जगत।
खून पसीना एक कर
कमाई पैसे सानंद भोगने
सदानंद सच्चिदानंद का अनुग्रह चाहिए।
तीस हजार की सुंदर मूर्ति गंगा में
विसर्जन से प्रदूषण बाह्याडम्बर।
हिंदु मिलकर गरीबों की शिक्षा
आवास में खर्च करें तो
धर्म परिवर्तन क्यों ?
धन के बल पर आतंकवाद सेना।
मजदूर सेना,
आत्म हत्या सेना।
मतदाता को पैसे देना।
गरीब सच्चे शासक नहीं।
असुर शासक देव गुलाम
ऐसे सिद्धांत बदलना चाहिए।
ये भ्रष्टाचार धनी भी यम का मेहमान।
अभिनेता, क्रिकेट प्लेयर सांसद या विधायक बन क्या क्या योजना बनाई।
खून पसीना एक कर
अच्छे सच्चे ईमानदार निस्वार्थ
प्रतिनिधि चुनिये।सुनिए
पाँच सौ के लिए या रिश्वत केलिए
अन्यायों को ईश्वर जैसे वर मत दीजिये।
असुरों का शासन या अबच्चों का शासन
मतदाता ईश्वर की संकेत उंगली में।
खून पसीने के मेहनत का फल
सानंद भोगिए ।
सबहिं नचावत राम गोसाई।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार।

Saturday, February 22, 2020

खड़िया और पोंछन

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक
 यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
शीर्षक  : खड़िया और    पोंछन।

  फिल्म  नहीं  देखा।
  बचपन की याद आई।
  अध्यापक/अध्यापिका
   श्याम  पट पर लिखते ।
 खड़िया का चूर्ण
 श्याम पट के किनारे पर।
 अध्यापक  के बाहर जाते ही
चूर्ण बन जाता, मुख चूर्ण।
मूँछें  सफेद  मूँछ।
मेरे सहपाठी
चूर्ण से खींचता
अति सुंदर  चित्र ।
 आज चाक और डस्टर
फिल्म है नहीं  देखा।
एक  दूसरे की हँसी के कारण।
लड़ने के कारण।
मजाक के कारण।
पाठशालाओं  की पुरानी  यादें।
 अध्यापक  के पोंछन के फेंकने से
दोस्त के सिर से रक्त बहना।
अध्यापक  का डर।
अभिभावक की गालियाँ।
कभी न भूलते,
यादें  हरी हुई।
अतःशुक्रिया साहित्य  संगम को।

भूल

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
  शीर्षक  -भूल।
   भूल के दो अर्थ
    गल्तियां-विस्मरमण।
भूल चूक होना सहज।
  जान -समझकर भूल करना।
   दंडनीय।
 भूल गया  सब कुछ ।
याद नहीं  अब कुछ।
प्यार  करने की भूल
नारी तो भूल  जाती।
नर पागल क्यों  बन जाता।
 कुंती की भूल ,
 कर्ण  की चिंता।
कर्ण  का अपमान।
सभा में  अपमान।
कबीर  का लहर तालाब  पर फेंकना।
ये ऐतिहासिक  भूलें  भूलना
सुशासन में  भूलें।
परीक्षा  में  उत्तर की भूल।
 कृतज्ञ  मत भूल।
कवि तिरुवळ्ळुवर
कृतज्ञता  कभी न भूल।
ऋण चुकाने  मत भूल।
 भूल से दंड,
 भूल से कम अंक।
 भूल से गर्भ धारण
 आजीवन दंड  शोक जान।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार