Thursday, May 31, 2018

संयम की सीख.

सबको  प्रातःकालीन प्रणाम.
प्रार्थना पर जोर,
प्राचीन भारत का जोर.
संयम की सीख,
सनातन धर्म  की जान.
पर भी न रोका प्राकृतिक
माया-मोह. संभोग.
मंदिरों की शिल्पकला में
गर्भ ग्रह की गल्तियों में
प्रेम के प्रधानता देकर
भक्ति को प्रधान बनाया.
मलिकमुहम्मद डायरी के पहले
हमारे पूर्वजों  का प्रेम मार्ग.
 हजारों साल पुराना वेदकाल,
आदी सभ्यता का केंद्र
ज्ञान मार्ग.
रूप अरूप ईश्वर का महत्व
उद्भव गोपी संवाद.
न किसी मज़हब -संप्रदाय से नफरत.
प्रार्थना  में प्राकृतिक  शक्तियों की प्रधानता
नवग्रहों  कोईश्वर मान,
स्थल वृक्षों की पूजा,
प्रदूषण से बचने का मार्ग.
ज़रा गंभीरता से सोचना.
भारतीय भाषाओं के साहित्य,
वेद की प्रधान्यता देना. विश्व बंधुत्व,वसुदैव कुटुंब का आदर्श  संदेश
भारतीय  अपनाना विश्व शांति का मार्ग.

Wednesday, May 30, 2018

जपो जपो

प्रातःकालीन प्रणाम.
इनिय कालै  वणक्कम.
 हमारे मन में चाहिए  संयम.
इच्छा शक्ति चाहिए.
ईश्वर भक्ति चाहिए.
ज्ञान  शक्ति चाहिए
क्रिया शक्ति चाहिए.
तीनों  शक्तियाँ प्रदान करने
ईश्वरीय अनुग्रह चाहिए.
तब तो  हमें क्या करना चाहिए
ईश्वर  पर भरोसा चाहिए.
मंत्र तंत्र नहीं जानते,
ऐसा  सोच नहीं चाहिए.
 केवल सदाचार संयम  का बल,
ईश्वर के नाम जपना
मनोकामनाएँ पूरी होने का सरल मार्ग.
बोलो भजो जपो ध्यान में लगो.
 ऊँ गणेशाय नमः|
 ऊँ कार्तिकेयाय नमः
 ऊँ नमः शिवाय
ओम दुर्गायै नमः.
जपो जपो हमेशा,
मन लगाओ,
काम में लगो
सत्य कर्तव्य पालन, सदाचार
नाम जपो
 पाओ,
वाँछित फल.
तजो लौकिक इच्छाएँ.
अलौकिक  चाहें में  मन लगा.
सपरिवार  जिओ.
विषय वासना से दूर रहो .
जपो जपो जपो
,ऊँ गणेशाय नमः
ऊँ कार्तिकेयाय नमः
ऊँ नमः शिवाय
ओम दुर्गायै नमः

Monday, May 28, 2018

இறைய ரு ள்भगवान का अनुग्रह
இரு ந் தா ல்  साथ रहे
रहें तो
இன்ன லு ம்  दुख भी
இன்பம்  ஆகு ம். सुख होगा.
எண்ணங்கள்   सोच विचार  
ஏற்ற மா கு ம். उच्चतम होंगे.
எண்ணி ய வை  जो सोचते हैं
எளிதில் சா த்தி ய மா கு ம். वे साध्य होंगे.
 ஐயம் சி றி து ம்  இல்லை.  तनिक भी नहीं संदेह.
ஆண்டவனைத் து தி த் தா ல்  भगवान की स्तुति में
ஆனந்தம் ஆனந்த மே.
आनंद ही आनंद.

Friday, May 25, 2018

मित्र

मित्रों को नमस्कार.
स्वस्थ  तन, मन, धन से
अनंत काल ईश्वर की कृपानुग्रह
प्राप्त होने मेरी प्रार्थनाएँ.
जय हिंदी!  जय हिंद!
जग पहचानना,
जग व्यवहार  पहचानना
 नेक मित्र, ईमानदार  मित्र
सहन शील मित्र,
सदा साथ देनेवाले मित्र,
संकट दूरकरनेवाले मित्र,
सद्यः  सहायक मित्र,
बुद्धि  भ्रष्ट  से बचाने वाले मित्र
 रक्षक-भक्षक मित्र
परखो, जानो,  सिवा
भगवान के कोई नहीं  अगजग में

अर्थ ही जीवन

कहना अति सरल, करना अति कठिन.
 अर्थ बगैर सार्थक कुछ नहीं,
अर्थ प्रधान संसार.
 समर्थन  करते  अर्थ सहित जीवन को,
अर्थ बल से हत्यारा  भी  छूट जाता,
अर्थ बल से भ्रष्टाचारी बन जाते सांसद वैधानिक.
कामार्थ,इष्टार्थ सब के सब के
आधार काल नहीं अर्थ जान.

Thursday, May 24, 2018

हम ने देकर लिये है,

लेकर देकर जीते  हैं हम.
लेकर देकर पाते हैं हम
अधिकार.
अधिकार पाकर हम,
दिये धन से सौ गुणा लाभ
अपने  देकर मिले पद,
शासन करते हैं हम,
अपने मुनाफा के लिए
धन्यवाद  समर्पण  हो गया,
आगे पाँच साल कमा ही लेंगे सौ  गुणा.
भुलक्कड़   जनता के सामने
वही वचन  देंगे,
वही वजन रखेंगे.
सरलतम तरीका हमारा
जीतेंगे,धन्यवाद समर्पण  करेंगे.
हमारे स्वयं अपने लिए जीते हैं.
भोला भाला जनता धन्य है.
न जाने  हमारे रहते,
कैसे   होती है देश की तरक्की.
इसी अचंभा मेंं और भी हैं
लूटने हैं  मन मना.

Wednesday, May 23, 2018

भक्ति भाव भूमि


आज के विचार.

भारत में   मजहब नहीं,
धर्म है. मजहबी  स्वार्थ  होते हैं.
स्वार्थता दूर होने
 मजहब  का पैगाम या संदेश
ईश्वर से मिलते हैं.
पर  जिस महान के द्वारा
जग में शांति ,प्रेम,
 इनसानियत  की
स्थापना  हुई,
 उनके स्वर्ग वास या जीवन  मुक्ति  के होते ही
उनके  चेले  नये सुधार  लाना चाहते हैं,
मूल  गुरु  के उपदेश से कुछ लोग
 जरा भी परिवर्तन  लाना  नहीं चाहते.
जो परिवर्तन लाना चाहते हैं,
वे नया संप्रदाय
 नया मार्ग या नयी शाखा
बनाने में सफल हो जाते हैं.
हिंदु धर्म एक सागर है.
इसमें अघोरी को देखते हैं.
सिद्ध  पुरुषों  के देखते हैं,
आचार्यों के देखते हैं,
नाना प्रकार के संप्रदाय  देखते हैं.
 भोगी धनी आश्रमों को देखते  हैं,
पागल सा फुटपाथ  पर
भटकनेवाले
 ईश्वर तुल्य भविष्यवाणी
 बतानेवाले
दैविक पुरुष देखते हैं,
लोगों में फूट पैदा करनेवाले
विरोध  भाव उत्पन्न करनेवाले,
शैव- वैष्णव संप्रदाय  देखते हैं.
 अंध विश्वासों को दूरकर
मानव मानव में एकता, प्रेम, परोपकार,
सहानुभूति  ,हमदर्दी आदि शाश्वत भाव
की ओर चलनेवाला कबीर जैसे
वाणी का डिक्टेटर देखते हैं.
मनको कलुषित रखने से
 आदर्श  सेवा या
ईश्वरत्व  नहीं के बराबर  का
भाव  ही होगा.
 भगवान विराट रुपी,
 जन्म मरण
 ही सत्य हैं
पाप कर्म का दंड,
पुण्य कर्म का पुरस्कार.
पर जग में किसी को शांति नहीं,
आत्म संतोष  नहीं
बडे बडे  राजा- महाराजाभी दुखी,
गरीब भी दुखी,
 अधिकारी भी दुखी.
राम कहानी  सुनाना तो
 केवल दुख का वृत्तांत सुनाना है.
महाभारत  तो बदला लेने के लिए ,
 दुखांत ही है.
  कबीर की वाणी स्मरणीय  है.
मिथ्या संसार में  सुख ही सुख का भोगी
कोई भी नहीं है.
हमें जितना सुख मिला ,
वह हमारे सद्करम का फल है.
जितना दुख मिला, हमारे दुष्कर्म  का फल है.
 ईश्वरावतार राम, कृष्ण सभी दुखी ही रहे.
 मुहम्मद नबी को पत्थर का चोट लगी तो
ईसामसीह  को रक्त बहाना पडा.
 हिंदू भाव भूमि सगुण निर्गुण  को मानता है.
अहम् ब्रह्मास्मि  खुद को
 भगवान मान कर चलने का
अद्वैत सिद्धांत.
हर आदमी ईश्वर है.
वही स्पष्ट है.
 पर मृत्यु उसके हाथ  में नहीं.
तब मनुष्य अपने से परे,
दूसरी शक्ति वही ईश्वर मानता है.
द्वैत भावना जगती है.
मनुष्य मनुष्य में  जाति संप्रदायों से दूर

मानव सेवा अपनाने विशिष्टाद्वैत  .
 इन सब में गोता लगाकर,
 खोदकर तराशकर
मोती, हीरा लाना
मानव धर्म है.
*














Tuesday, May 22, 2018

துர் கா. दुर्गा

दुर्गा  दुष्ट संहारिणी , து ர்  கா  து ஷ்ண ஸம் ஹா ரி  ணி.
इष्ट वर दायिनी   இஷ்ட வர தா யி னி

ईश्वरी अखिललोक रक्षकी,
ஈஸ்வரி  அகில லோக  ரக்ஷகி
अखिलांडेश्वरी,   அ கி லா ண் டே ஷ்வரி

अगजग  संताप निवारिणी  அகில ஸத் தா ன் நிவா ரி ணி
सिंहवाहिनी,  சி ம்ம வா ஹி னி

शीघ्र असुर संहारिणी.  சீ க் கி ர அ சு ர ஸம் ஹா ரி ணி

महिषासरवर्द्धिनी,  மகி ஷா சு ர மர்த் திணி
महेश्वर पत्नी.  மஹே ஷ் வர பத் னி
भक्ताकर्षिणी.  க்க தா க ர் ஷனி
लोकनायकी, லோ க நா யகி.


Sunday, May 20, 2018

प्रेम

எப்படி,  कैसे?
இப்படி. ऐसे?
அப்படி  वैसे?
என்றா லு ம்  जो भी हो,
நம்  எண்ண ப்படி   हमारे विचारानुसार,
மன சாட்சி ப் படி  मनःसाक्षी के अनुसार
நடந்தா லு ம்  चलने पर भी
வி தி ப்படி   विधि के मुताबिक  ही
பலன். फल  मिलेगा.
இறை வன்..  ईश्वर
தரு ம்  பலன்.  जो  फल देता है,
ஒன் றே    वह एक ही है.
இன்னல்  தீ ர் த்து  संताप मिटाकर
 இன்பம  தரு ம்.  सुखप्रद है.
இறை வ னு க் கு ம் ईश्वर और
இறையன்ப னு க்கு ம்  भकत के बीच
கா தல் ஏற் பட வே ண்டும்.  प्यार होना चाहिए.
காதலர்கள் நடு வி ல்   प्रेमियों के बीच
இடை த்தரகர்  வே ண் டு மா? क्या दलाल की आवश्यकता  है?  नहीं.

Saturday, May 19, 2018

बंधन

इसका हिंदी  अनुवाद.
माता पिता  रखे सुंदर नाम भी,
प्राण पखेरू उडने  के बाद
शव को नाम भी पाता.
नये पसंद के कपडे भी
 फटे कपडे का नाम पाता.
मेहनत की संपत्ति  भी
वारिस का बन जाता.
मिलकर रही पत्नी या पति
 क्या मरने के बाद साथ ही मरते?
मेहनती शरीर लाश बनकर पडा है .जिन लोगों ने कहा-प्राण दूँगा,
लाश के सामने गूँगा बन खडा है.
जिनको  अपना माना, वे पराये बन गये.
नाता रिश्ता सब अब छोड गये बंधन.
भगवान के दिये शरीर में न कोई नाता रिश्ता. हम सब केवल
चंद समय के राहगीर मात्र.
ऊँ नमः शिवाय नमः शिवाय नमः 

पानी

पानी  बिना सब सून.
मनुष्य जीवन अंत,
वनस्पति जीवन अंत
पशु पक्षी  अंत.
नदी वाला शून्य

धरती में फरारें पड जाती.
पानी देना ,पानी फेरना, पानी  रखना
पानी चले जाना, जीभ में पानी का लार टपकना,
 बिन पानी  सब सून
पानी गये न भरे मोती मानुस सून

भक्ति

भले ही भगवान हो,
 ज्ञान  के प्रकाश  फैलाता है.
भरोसा श्रद्धा -भक्ति
अपने आप  जगना है.
भगवान असुर  को भी वर देता है.
भक्तों के भी.
पागल, अंधे,बहरे, लूले- लंगडे
इत्तिफाक से मनुष्य  को बुद्धि  दी है,
 एक  छापेखाने के मालिक  ने अपने  लाभ के लिए  अफवाहें फैलाई कि 200नोटिस  छपकर बाँटो,
मालामाल हो जाओगे,  भगवान के
प्रत्यक्ष दर्शन मिलेंगे.
देखा, छापाखाने का मालिक
मालामाल बन गया.
 भक्त प्रहलाद, ध्रुव, भक्त त्याग राज, रमण महर्षि, महावीर, बुद्ध, नानक, मुहम्मद, ईसा देखिए.
केवल भक्ति की, धर्म कर्म अपनाया.भगवान का नाम जपो,
मनो कामनाएँ पूरी होंगी. बाकी सब मिथ्याडंबर  की भक्ति है.

Friday, May 18, 2018

नव लेखक शिबिर का प्रभाव


पुदुच्चेरी  में   पुदुच्चेरी हिंदी साहित्य  अकादमी ,

  केन्द्रीय निदेशालय दोनों

मिलकर    नव  लेखक शिबिर  का  प्रबंध किया.

उसमें    भाग  लेने  का सुअवसर  मिला.

यह  मेरे लिए  पहला  शिबिर  था.

मैं      सोच  रहा  था कि  ६८ साल की उम्र  का

दिलतल     का युवक  मैं ही हूँगा.

पर वहां   श्रीमती चेल्लं, चंद्रा ,वासुदेवन , कल्याणी  जैसे
मुझसे    बड़े बहनों का ,  वासुदेवन जैसे साठ साल  के छोटे भाई का
मधुर      मिलन  हुआ.

आये नवयुवकों  में से  श्रीमती चेल्लम जी, चंद्राजी  के सक्रिय  भाग ,
 परिश्रम ,उत्साह देख मुझे लगा , मैं तो निष्क्रिय  हूँ.
उन्होंने  हिंदी किताब आर्थिक लाभार्थ नहीं ,
साधक     के  रूप  में    प्रकाशित किया  है.

मेरे     ब्लॉग लेखन  का  उन्हें  पता  ही नहीं.

 शिबिर   की प्रतिक्रिया :-
 
भला      मेरी   उम्र  बड़ी ,
मन में   जो  विचार  आते,
जिन्हें  मेरा  मन  माना ,
उन्हें    अपनी हिंदी ,अपनी शैली , अपने विचार
अपना     स्वतंत्र   प्रकाशन
यों      ही  लेखनी  दौडाई.
उनमें    कितनों  ने  प्रशंसा  की ,
कितनों   निंदा की ,
कित्नोने ने समझा  पागल ,
कितनों   ने  समझा चतुर
पता       नहीं ,
मेरे     ब्लॉग  नव  भारत टाइम्स  में
आ  सेतु  हिमाचल, मतिनंत  के  नाम  से ,
राम्क्री  सेतुक्री.ब्लॉग स्पॉट  के  नाम से ,
तमिल-    हिंदी संपर्क ,anandgomu.ब्लॉग स्पॉट .कॉम
स्पीकिंग ट्री  इण्डिया टाइम्स  में
अनूदित,   स्वरचित ,नकल की  रचनाएँ
लिखता     रहा हूँ ,
किसी      का  बंधन  नहीं ,
विश्व    भर के एक लाख लोग
न जाने   सरसरी नजर  से    देख  रहे  हैं ,
या  पढ़   रहें   हैं  पता  नहीं ,
चाहक     की  संख्या  से ,
संतुष्ट  रहा,
११-५-  १८   से  १८.५ .१८  तक के   आठों  दिनों  में
मेरे     अष्ट वक्र  विचार,
लेखन      शैली  में  ,
कितनी    गलतियां  हैं ,
कितनी    श्रद्धा  हीनता  है,
 यह       सोचकर  लज्जित  हूँ.

शिबिर    की   प्रक्रिया  जो   कहूं ,
जितना    भाई   चारा   बंधुत्व  मिला,
जितनी    अधिक  प्रेरणा   मिली ,
प्रोत्साहन मिला ,
वे       वर्णनातीत  और शब्दों  से  परे
अनुभूतियात्मक   हैं.
 पुदुच्चेरी   हिंदी  साहित्य  अकादमी  के  अध्यक्ष
श्री      श्रीनिवास गुप्त जी, ,श्री जयशंकर बापू जी , सचिव    चेंदिलकुमरन जी ,
 व्यवस्थापिका समिति के सदस्या मुरली जी , राधिकाजी

केन्द्रीय निदेशालय  के    निदेशक  अश्विनी कुमार  जी ,
सहायक निदेशक
 गांधारी पांके जी, , मार्गदर्शक  त्रिदेव   डाक्टर  श्यामसुंदर पांडे जी ,
प्रत्युष गुलेरी जी ,डाक्टर   राधाकृष्णन जी   आदि  का मार्ग   दर्शन  मिला.

शिबिर    की   यादें हमेशा  हरा रहेगा,

मैंने     कहा -- यह हरियाली  हमेशा हरी  रहेगी .
तब -गुलेरीजी  ने  कहा --  घरवाली ,
मैंने    कहा -
वसंत     वसंत   है    सदा ,
सताने    की  गर्मी  है कभी -कभी ,
वर्षा     है , शीतल  है, पतझड़  है ,
छह  ऋ तुओं  का चक्कर   है

सुनकर    पांडे  जी  ने   कहा ,
यह  तो   यह   कविता   बन   गयी.

इन   मधुर  स्मृतियों   के   साथ
चेन्नई   पहुंचा.  सधन्यवाद.

परिवर्तन


  मीनू,मीनू  --नानी   ने  नाम  लेकर  चिल्लाया.

 मीनू बाहर  खेल  रही  थी .  उसकी  उम्र  ८- १०  साल  की   होगी .

नानी   ने   कहा --आओ ,जल्दी बाहर  के  शहर   जाना  है.

   मीनू  ने  देखा,भोले -भाले  चेहरे .नानी  कहा , कल  तेरी शादी है.

  माँ-बाप  ,उसके  दो  बड़े  भाई,एक छोटा  भाई ,नानी  सब  बैल-गाडी में

निकले.  नानी  पास  के  शहर गयी थी ;
वहां   मंदिर  में अपने  रिश्तेदार  को  देखा.
रिश्तेदार ने  कहा कि  कल   मेरी  बेटी की    शादी   थी.
 क्या तेरे जान-पहचान  में  कोई लडकी  है?

नानी को अपनी  पोती  की  याद  आयी.  तुरंत   शादी पक्की  हो  गयी.
नानी ने कहा --वर अमीर घर का  है.
वर  सिनेमा   हीरो  की   तरह  रहेगा.

गाडी  सीधे विवाह मंडप  में रुकी.

 नादान  लडकी से सब ने  प्यार  की वर्षा  की. उसको नयी  सादी पहनाई.
गहनों से अलंकार किया.  न  वर  ने वधु  को   देखा ,न  वधु  ने  वर को.

 मीनू    की  माँ  ने उससे  कहा-- मीनू,वर   पास  बैठो. मीनू  सीधे  नंदोई के  पास बैठी.

ननदोई  ने तो उसकी गोरी ननद को  पहले  ही देखा है. अपने  पास दूसरी नयी लडकी को  देख   उठ गया.  ऐसे  अचानक शादी बिना वर देखे हुयी. अब साठ  साल    गए.

मीनू को  सारी   यादें  आ  रही   थी.
तभी  किसीने  पुकार की घंटी बजायी.
जाकर दरवाजा खोला.   तो  उसकी  पोती एक  लड़के  के  साथ आयी. दोनों के  गले  में फूल  माला   थी. दोनों रिजिस्टर मेरेज  करके आये  हैं.
न नमस्कार ,न सूचना. सीधे दोनो   कमरे  में  चले  गए.
 पोती  ने  दादी माँ   मीनू   से  कुछ  न  कहा.
मीनू  ने  अपनी  बेटी  को  बुलाया- रोटी हुयी  कहा -- पोती बिना  बताये  शादी  करके  आयी  है.
बेटे  पर  इसका कोई असर  न  पड़ा. क्या करूँ   माँ ,
मुझे मालूम  है. वह तो जिद्दी लडकी  है. स्नातकोत्तर है.
महीने एक लाख  ऐ.टी. कंपनी में  कमाती  है..

अब  लाखों रुपयों  की  शादी  का  खर्च  कम.
मुफ्त में  विश्वस्त ड्राइवर.

उसको विश्वसनीय ड्राइवर चाहिए. उसने आठवीं   पढी, आटो  ड्राइवर से  प्रेम किया. ड्राइविंग लैसंस भी दिलवाई.
 अब कल से  अपने पति ड्राइवर के   साथ       दफ्तर  जायेगी  और   घर  आएगी.
आमदनी    की  कमी  नहीं  है.

  ज़माना  बदल  गया. सब स्नातक- स्नातकोत्तर.

भारतीय  संस्कृति में  इतना  बड़ा  परिवर्तन.

मीनू को  न सूझा, पछताना  है  या  आनंद मनाना  है.

Thursday, May 17, 2018

पाश्चात्यीकरण

हमारे पूर्वज कितने चतुर
 और मानव जीवन की शांति  के लिए  जीवन को
बहुत आनंदमय, त्यागमय
मार्ग दिखाया.

तेरह साल की उम्र में शादी.
 सम्मिलित परिवार.
त्यागमय   जीवन.
संयम की सीख.
 ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास.
पतिव्रत, पत्नी व्रत का महत्व.
 आजकल संयम नहीं,
संभोग का महत्व देकर
प्रेम  का महत्व देकर
जनसंपर्क के साधन,
युवक कुत्तों की तरह
प्रेमिका की तलाश में.
न संयम, शादीसुदा
युवक के मन में चंचल,
युवतियों के  मन  मेंचंचल,
न नियंत्रण,
सार्वजनिक स्थानों में
चुंबन, आलिंगन,  यहाँ तक
दोपहर के समय
समुद्रतट पर स्तन पकडकर काम लीला,
पाश्चात्यीकरण
 मनको प्रदूषित कर रहा है.
तन   सुख में पति बदलने
तैयार युवतियाँ-युवक,

गैर प्रेम में पति पत्नी
 एक दूसरे को
 छोडने
मारने तैयार.

पत्नी पति को मारने तैयार.
तलाक  तलाक के मुद्दों की बढती,

प्रेमी या प्रेमिका  न मिलें तो
तेजाब  फेंकना, हत्या करना,
आत्महत्या कर लेना,
पाश्चात्यीकरण
 हमें पशु तुल्य
जीवन की ओर
ले जा रहा है,
कौन समझाएगा इसे.
समाज हित
 हमें संयम की बात
भारतीय  जीवन शैली
विदेशियों के आने के
 पहले जो थी,
उनका प्रचार करना है,
 जितेंद्र  बनना बनाने बनवाने की
सीख
 सिखाना है,
भारतीय  भाषाओं  के नीति ग्रंथ
जो धूल दूषित हैं,
इनमें युवकों में अति प्रचार करना है.

Sunday, May 13, 2018

लव फेइलियर

लव फेइलियर

   मुझे हमेशा समाज का  चिंतन है.
नव युवकों  की दशा बिलकुल बदल गई है.
चित्रपट,  चित्रपट गीत, दूरदर्शन   के नाटक,
सब के सब प्रेम/मुहब्बत/इश्कआदि ही.
संयम की बात नहीं सिखाई जाती.
र्रुष्यशृंग  की कहानी तो नहीं सिखाते.
भारतीय इतिहास  में भी
 युद्ध  राजकुमारियों को लिए होता था.
भगवान कार्तिक  भी अपनी प्रेयसी से शादी करने
लडे थे. छद्मवेश  में गये थे.  रावण सीता को
उठाकर ले गया.  शाहजहाँ  ने शेरखाँ  को मारकर
मुहताज से शादी की थी.
तमिल कवि कंबर के बेटे ने  भी  राजकुमारी  से प्रेम  किया.
परिणाम  मृत्यु दंड मिल गई.
 इतिहास, पुराण, कहानी आदि सब में
जिन घटनाओं का चित्रण  मिलते हैं,
वह आजकल के समाज के अध्ययन  से
स्पष्ट होता है. बलात्कार  की खबरें आजकल
के समाज के अध्ययन से पता चलता है.
समाज में स्नातक-स्नातकोत्तर  की संख्याएँ
 उत्तरोत्तर  बढती रहती है. पर उन सब में
एक प्रकार  का मानसिक तनाव ज्यादा  है.
तलाक की संख्याएँ बढ रही हैं. शिक्षित  समाज में
ऐसी परेशानियाँ. हैं. खूब कमाते  हैं, आर्थिक  कष्ट नहीं है.

यों कई प्रकार के विचार  सोचते सोचते बस में बैठा,तो
अचानक उदासी  युवक मेरे पास बैठा . उसका चेहरा  ऐसा लगा मानो मुझसे कुछ कहना चाहता  हो.
मैं उसको देखता रहा. वह मोबाइल में किसी नंबर को काल करता रहा. जवाब न आने से उसकी परेशानियाँ  बढती रही.
  उसकी दशा देखकर  मेंने उससे पूछा-  तुम क्यों  इतनी परेशानी दुख पडता है?   क्या तुम्हारे  घर में  कोई बीमार है?
क्या उसकी पूछ ताछ कर रहे हो?
 युवक की आँखों से आँसू  निकले. दुखी  स्वर में कहा-
लव फेइलियर. टिल यसटर्डे  शी वास रेडी टु मेरी मी
नौ शी ईस नाट रेडी टु मेरी  मी. नाट अटंडिंग मै कालस.
मैं कल आत्महत्या  करूँगा. उसकी  यु
सिसकियाँ  बढने लगी. अन्य यात्री भी मुडकर  दे खने लगे.
सिसकियाँ  भरते हुए कई बातें  बताई. वह  और उसकी प्रेमिका कहाँ कहाँ घूम रहे  थे और फोटो भी दिखाया.
और दोहराता रहा  कि  मैं मर जाऊँगा. उसकी दशा देखकर
मैं असमंजस में पड गया.
 उसको कैसे समझाऊँ?  कैसे धीरज बाँधूँ?
कैसे समझाऊँ?  यह तो  संवेदनशील  बात है.
 मेंने पूछा -वह कल अन्य से  शादी कर लेगी तो
आनंदमय जीवन बिताएगी.   तुम तो अपने परिवार वालों  को
दुख सागर में डुबोकर  चले जाओगे. क्या तुम्हारी  आत्मा को शांति  मिलेगी. माँ-बाप ,भाई -बहन की हालत  क्या होगी?
 तुम्हारी  प्रेमिका का प्रेम मिथ्या है. यदि उसका प्रेम सच्चा है तो बिताएगी. वह तो बिलकुल इनकार कर दिया.  तुम पुरुष हो.  नया आदर्श दिखाओ.
 सार्वजनिक काम में मन लगाओ. वह तो अपने मन को काबू  में न पाया. वह अपनी आत्म हत्या का धुन दोहराता रहा. लव फेइलियर, हौ केन ऐ लिव?  सूसयिड ओन ली वे. दूसरा कोई
मार्ग नहीं. वह न मिलती तो जीना बेकार.
उसके प्रति मेरी हम दर्दी  बढती गयी.
उसके दिल में परिवर्तन  लाना था.
 मेंने उसको समझाया--
असफलता तेरी  भाषा  के कारण.
लव फेइलियर....
मातृभाषा  में बोलने पर तो
प्रेम में विजय मिलेगी.
 तेरी विजया मिलेगी.
वह अंग्रेजी  तो तलाक  (डैवर्स)की भाषा है.
तुम को संयम सीखना चाहिए.
जितना अंग्रेज़ी  बोलते हो,
 उतना आमदनी बढेगी.
आत्म शांति  ,भारतीयों का विशिष्ट आत्माभिमान,
आत्म संतोष, संयमी जीवन न मिलेगा.
हमारी संस्कृति लड़कियों से दूर खडे होने को सिखाती

वह  पाश्चात्य  सभ्यता  हाथ मिलाने,
आलिंगन करने की बात सिखाती.
  इतना ही नहीं पराई   स्त्री  के संभोग को
 पशु के समान  सार्वजनिक  मानता है.
 हमारी ऊँची सभ्यता देखिए,
अग्नि प्रवेश  से पतिव्रता स्थापित   सीता को
धोबी की बात  को महत्व देकर वन में छोड दिया.
  अब रोज भारतीय  समाचार  पत्र में
  गैर पुरुषों  से संबंध  स्थापित कर
अपने निजी पति को  केवल शारीरिक  संबंध  के लिए
हत्या कर देती है.  यह अंग्रेज़ी  प्रभाव   है.

अपनी  तमिल भाषा    में देखो,
 तिरुवल्लुवर की पत्नी
वासुकि पति की आज्ञा कारी पत्नी है.
   सति सावित्री, नलायिनी,  ,सति अनुसिया ,आदि की दुनिया,
शकुंतला का प्रेम, दुष्यंत को  भूलना
 ये सब  आदर्श  प्रेमिकाएँ हैं.
तेरी प्रेमिका तो सच्ची नहीं है.
  तुम को संयम  सीखना है,   कायर ही मरते हैं.
 एक  मिथ्या
प्रेमी के लिए   आत्महत्या   करना
 मनुष्यता नहीं है.
पौरुष नहीं है.
लैला मजनू की कहानी तो   युवकों  को
गलत मार्ग दर्शक है.
हम भगवान  को  घाट घाट का निवासी मानते हैं.
वह कहानी तो  जहाँ देखो,
 वहाँ लैला का लौकिक
 माया मोह सिखाती है.
 एक चंचल प्रेम  की बात तजो,
उसे भूल दो,  तेरे प्रेम को अलौकिक
प्रेम में बदल लो.
सार्वजनिक की सेवा में लगो.
तुम वन्दनीय नायक  बनोगे.
वल्लुवर  को पढो .
कछुए  के  समान   पंचेंद्रियों को
काबू  में  रखो. वह  तो " यू  टू  ब्रूटस " है.
तुमको  जितेन्द्र  बनना  है.
 चार-पांच  कुत्ते    ही  कुतिया    के  पीछे  जाएँगे.
लड़ेंगे. लडकी  के  पीछे जानेवाला नायक नहीं  बनेगा.
हीरो  बनो ,जीरो  न  बनो.
कुत्ता  तो  पशु है ,वह  मनुष्य नहीं  है.
तुम तो  मनुष्य हो.  तुममें पशुत्व नहीं ,
मनुष्यता होनी  चाहिए.
जवानी में   एक  लडकी  के  लिए  मरना,
आत्म हत्या की  बात  सोचना  कायरता  है.
आत्म हत्या  कायरता  की चरम  सीमा  है.
कसम  खाओ ;आत्म हत्या का  विचार  छोड़ो.
 मेरी बात मानो . ठुकराई लडकी को तुम ठुकरा दो.
उसने  कहा- आपकी दिलासा भरी बातें   ज़रा  धीरज बंधा  रही    है.
 मैं कुत्ता नहीं ,   मनुष्य  हूँ .
कुत्ते  का  विशेष गुण  कृतज्ञता  इ.
उसमें   वह  नहीं  है.
 मैं अपनी  माता -पिता  के  प्रति   कृतज्ञ  रहूँगा.
उसने  तिरुक्कुरल तक  कहा--
आमै  पोल  ऐन्तडक्कल  आट्रिन
एलुमैयुम एमाप्पुडैत्तु .

अर्थात  कछुए  की  तरह अपने पंचेंद्रियों  को  नियंत्रण  न रखें  तो
सातों  जन्मों  में  श्रेष्ठ पुरुष  रहोगे.
*********


























तरंगें

विचारों  की तरंगें
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच के  समुद्र तो शांत.
पर मन तो कभी शांत  नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मत्व  पाना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना  का
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में न मोह ,
न बंधन.
 हवा रहित स्थिति  में  ही
तरंगें  रुकती है.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान, न बाइबिल.
वैसा तो मन की तरंगों  को
रोकना कैसा?





मन की बात

मन की बातें
बताने में है,
मान की बात.
मनाने की बात.
उम्र का बात.
उलझनों की बातें
ऊधम मचाने की बातें
उत्तम बातें
अधम बातें
बडों की बातें.
छोटों  की बातें.
चोरों की बातें.
बूढों की बातें.
ठगों की बातें.
राजनैतिक बातें.
राजनीतिग्ञ की दुरंगी बातें.
मोह की बातें.
प्यार की बातें.
बच्चों की तुतली बातें
वात्सल्य भरी बातें
मनोरंजन  का बातें
हास्य-व्यंग्य  की बातें
रोचक बातें
अरुचि बातें
सब के सब कीअंतरंग बातें
सहकर्मी  की  बातें.
सहपाठी  की बातें
योग -ध्यान  की बातें.
भोग विलास की बातें
ऐश आराम की बातें
इन सब बातों  में अच्छी लगती
अगजग के कल्याण  की बाते़
दुख भुलाने की तुतली बातें.







Saturday, May 12, 2018

पकौडा

पकोड़ा  बनाना रोजगार , सही या गलत ,
चुप रहने से  कुछ करना  बेहतर.
अचार बनाना ,मसाला चूर्ण बनाना
कितने लोग  रईश बने हैं ?
क्रिकट खेलना  अब फेशन बन गया.
क्रिकट मैं कोच से सिखा,पर क्रिकट में नौकरी नहीं ,
यह खेल  केवल मनोरंजन  के  लिए.
इन्जनीयर  कालेज  में केम्पस इंटरव्यू में ही नौकरी पानेवले ,
कोइल पिच्चाई जैसे  बड़े पद पर रहनेवाले,
केवल मासिक दो हज़ार  पाकर काम  करनेवाले बी.ई.,
परंपरागत  संपत्ति  और दहेज़ की संपत्ति से
सानंद रहनेवाले, कितने भाग्यवान.
  जो  भी सरकार हो इन्जनीयर स्नातक जितने  हैं
सब को कोई भी सरकार हो ,नौकरी देना असंभव.
कितने माँ -बाप  अपने बच्चों को पढ़ाते नहीं,
कितने बच्चे भीख मांगते जी रहे  हैं ,
पकौड़ा बेचना कोई अपमानित  काम  नहीं,
उदहारण  बता दिया, कोई न  कोई व्यापार करना.
खेती कर सकते हैं , स्नातक कीचड में उतरना अपमान नहीं,
कितने स्नातक ऑटो चला  रहें है,
भाजापा   के शासन और कांग्रस के शासन
दोनों के शासन काल  में स्व व्यवसाय ,भारतीय कुछ बनाओ
आत्म निर्भरता  ,आत्म विशवास,  किसकी  सरकार दे रही  है
सोचिये  पता चलेगा पकोड़ा बेचना , आत्म निर्भर  धंधा करना.

समाज.

प्रातःकालीन प्रणाम.
अति कालै वणक्कम.
 समाज धनि यों की है.
समाज खुशामदियें का है.
समाज स्वार्थियों का है.
समाज नम्रता से प्रेम  से
ठगनेवलों का समर्थक  हैं.
समाज प्रशासक, शासक,
आदि की गल्तियों  को,
अपराधों को सह लेता है.
स्वार्थ मय संसार  में
निस्वार्थ  स्वयं सेवकों  को
ईमानदारियों को
अधिकारियों   को

भी
कमी नहीं है.
इसलिए  प्राकृतिक प्रकोप
 कभी कभी  होता है.
निस्वार्थी  के कम  होते  होते
 प्राकृतिक संतुलन
बिगड़ता जाएगा.
 देश  सूखा पडेगा,
 पानी नहीं मिलेगा.
लोग दाने दाने के लिए
 तरसेंगे.
दुखी रहेंगे.

माँ

माँ!   ममता का प्रतीक.
हर दिन पूजनेलायक. .
अंग्रेजों को माँ अलग हो जाती.
पिता अलग हो  जाते.
हमारी संस्कृति  स्वर्ग वास के बाद
हर साल दिवस पूजा.
ज़िंदा माता पिता को
खुश रखना ,
दैनंदिन  का कर्तव्य है.
अतः माता -पिता पूजनीय
वंदनीय प्रतिदिन, प्रशिक्षण.
माँ को  प्रणाम.



माँ

माँ अपूर्व,
माँ निराली,
माँ ममतामयी,
माँ त्याग का  प्रतिबिंब.
माँ   रक्षिका.
भगवान ने सब में
अपवाद, गुणदोष
 की रचना की है.
माँ में कैकेयी,
कर्ण की माँ कुमति,
कबीर की माँ,
 यह क्यों पता नहीं.

समाज

प्रातःकालीन प्रणाम.
अति कालै वणक्कम.
 समाज धनि यों की है.
समाज खुशामदियें का है.
समाज स्वार्थियों का है.
समाज नम्रता से प्रेम  से
ठगनेवलों का समर्थक  हैं.
समाज प्रशासक, शासक,
आदि की गल्तियों क को,
अपराधों को सह लेता है.
स्वार्थ मय संसार  में
निस्वार्थ  स्वरों, गाडियों, ईमानदारियों को भी
कमी नहीं है.
इसलिए  प्राकृतिक प्रकोप  कभी कभी  होता है.
निस्वार्थी  के कम  होते  होते
 प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जाएगा.
 देश  सूखा पडेगा, पानी नहीं मिलेगा.
लोग दाने दाने के लिए  तरसेंगे.
दुखी रहेंगे.

खुशामद

प्रातःकालीन प्रणाम.
கா லை வணக்கம்.
प्रेम भरी दुनिया में,
खुशामदयों  और  चम्मचों को
जितना सम्मान
उतना कटु सत्य बोेलनेेवालों  को नहीं.
 शासक, अधिकारी तटस्थ  नहीं,
 केवल चाहते अपनी अमीरी.
अपने ही आमदनी.
शाश्वत सत्य भूल जाता,
अमीरी गरीबी  का दहन या गाढन
एक ही श्मशान में या एक ही कब्र में ही.

जीने की कला

मनुष्य  के जीवन में
कई बातें समझ में न आती.
छद्मवेश  में ठगने की कला.
चिकनी चुपड़ी बातों में
ठगने की कला.
डरा धमकाकर ठगने की कला.
ईश्वरीय   शक्ति  का भय दिखाकर
लूटने की कला.
जादू टोने के नाम से
ठगने की कला.
मृत्यु का भय
रोग का भय
भय भीत संसार.
समझ  में नहीं आता
संसार में जीने की कला.

Friday, May 11, 2018

तरंगें

तरंगें
विचारों की तरंगें,
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच समुद्र तो शांत है,
पर मन तो कभी शांत नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मतेज, ब्रह्मतेज पाना.
ब्रह्मतेज पाना है तो
ध्यान मग्न होना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर से प्राण तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना की,
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में
न मोह, न बंधन.
तरंगों का रुकना
हवा रहित स्थिति.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान,  न बाइबिल
तब मन की तरंगों   को रोकना कैसा?
न रामायण, न महाभारत, न शेक्सपियर के नाटक.

मनुष्य

प्रातःकालीन प्रणाम.
கா லை வணக்கம்.
प्रेम भरी दुनिया में,
खुशामदयों  और  चम्मचों को
जितना सम्मान
उतना कटु सत्य बोेलनेेवालों  को नहीं.
 शासक, अधिकारी तटस्थ  नहीं,
 केवल चाहते अपनी अमीरी.
अपने ही आमदनी.
शाश्वत सत्य भूल जाता,
अमीरी गरीबी  का दहन या गाढन
एक ही श्मशान में या एक ही कब्र में ही.

लव फेइलियर

आज मैं चेन्नै  से पुदुच्चेरी जा रहा था.
मेरे पास बीस वर्ष का जवान बेटा
उदासी  बैठा था.
उससे पूछा तो कहा..
लव फेइलियर.
मेंने उस से  पूछा-.
असफलता तेरी भाषा पर है.
मातृ भाषा में बोलते तो प्रेम में कामयाबी  होगी.
वह अंग्रेजी तो तलाक की भाषा है.
कछुआ जैसे पंचेंद्रियों  को काबू  में रखना है.
वल्लुवर कोे पढना है,
यू टू ब्रूटस को नहीं.
जितेंद्र बनना है.
कुत्ते ही कुतिये के पीछे जाएँगे.
लडकी के पीछे जाने वाला नायक नहीं बनता.

खलनायक भी.  वह तो जोकर भी न बन सकता.
वह पशु है, मनुष्य नहीं.
जवानी में एक लडकी  केलिए मरना,
आत्म हत्या की बात सोचना  पौरुष  की बात  नहीं  है.
कायरता की चरम सीमा  है.
  क्या मेरी बात मानोगे?
उसने कहा. मानूँगा.  मैं मनुष्य हूँ.
हीरो बनने लडकी के लिए आत्म हत्या नहीं करूँगा.
मैं कुत्ता नहीं, मनुष्य हूँ.
 यह सुना तो बहुत खुश हुआ.
 आमै पोल ऐंदटक्कल आट्र्स एळुमैयुम एमाप्पुडैत्तु.
कछुए के समान पंचेंद्रियों को काबू में रखें तो
 सातों जन्मों में श्रेष्ठ पुरुषों सा रहोगे.

न जाने वह जिन्दा है  या   नहीं . उसका स्मरण  तो मुझे हैं .

Tuesday, May 8, 2018

சமுதாய சிந்தனை --सामाजिक चिंतन

कालैवणक्कम नन्बर्कले . காலை வணக்கம் நண்பர்களே !
सुप्रभात दोस्तों !

हर कोई बड़ा पद , ஒவ்வொருவரும் ஏதாவது பெரிய பதவி
अधिकार = அதிகாரம்

धन दौलत --செல்வம்

सुन्दर पत्नी =அழகான மனைவி

रईश पति --பணக்கார கணவன்

पाना चाहता है .= பெற விரும்புகிறான் .

पर दिमाग से कमजोर , ஆனால் மூளை பலகீனமாக,

भद्दे चेहरे ,= அசிங்கமான முகம்
दुर्बल शरीर ,--பலமற்ற தேகம் ,

रजो गुण ,-ரஜோ குணம்
तमो गुण தமோ குணம்

तेज गुण -தேஜோ குணம்

प्रतिभा सम्पन्न आदमी -- மதிப்புள்ள அருள் பெற்றவன்

औसत बुद्धि ,= சராசரி அறிவு

जन्म से पागल =பிறவிப் பைத்தியம்

ये हमें पाप से बचने का , இவைகள் நம்மை

भ्रष्टाचार से बचने का , ஊழலில் இருந்து தப்பிக்க ,

अधर्म कर्म करने भय =அதர்மமான செயல் செய்ய அச்சம்

आदि का सन्देश है, முதலியவைகளின் செய்திகள்.

धनी संतान हीन ,--பணக்காரன் குழந்தை இல்லை

पिता से बढ़कर बेटा चतुर, தந்தையை விட கெட்டிக்கார தனயன்
पिता तो निरक्षर पुत्र अति मेधावी,அப்பா படிக்காதவர் ,பிள்ளை மேதாவி

शिव को उपदेश कार्तिकेय देता
சிவனுக்கு கார்த்திகேயன் உபதேசம் .

कितने भेद भाव सृष्टियों में . படைப்புகளில் எத்தனை வேறுபாடுகள்.

खरा नीर ,मीठा नीर ,--உப்புத்தண்ணீர் ,இனிப்பான நீர்

खट्टे,मिट्ठे ,कडूए फल புளிப்பு ,இனிப்பு ,கசப்பு பழங்கள்

मधुर्वचन ,कठोर वचन , இனிய, கடுமையான சொற்கள்,

मधुर स्वर ,कर्ण कठोर स्वर. இனிய, கடுமையான குரல்

ईश्वर की लीला अपरम्बार. கடவுளின் லீலை எல்லையற்றது .

सामाजिक अध्ययन सब कुछ सिखाता . சமுதாயக் கல்வி அனைத்தையும் கற்றுக்கொடுக்கிறது.

पाप कर्म से दूर -பாவச் செயலில் இருந்து விலகினால்
,वही आत्मसंतोषी जान. அவன்தான் ஆத்ம திருப்தி உள்ளவன்.
ब्रह्मानंद उसीको प्राप्त जो பிரம்மானந்தம் அவனுக்கே ,

निष्काम कर्तव्य निभाते . பலன் எதிர்பாரா கடமை செய்வோருக்கு.
सद्यः आर्थिक लाभ , உடனடி பணப் பயன் ,

करते जो अन्याय , அநியாயம் செய்பவர்கள்

उनके व्यक्तिगत जीवन -அவர்களின் தனிப்பட்ட வாழ்க்கை
चाहे महाराज दशरत हो या करुणा
जेया,ममता माया, शशि ,लाल ,सोनिया அவர்மகாராஜாதசரதராகஇருந்தாலும்
ஜெயா ,மம்தா, மாயா,ஷஷி ,லால் ,சோனியா

पीड़ा से ही भरा है जान. மனத்துன்பன்களால் நிரம்பியிருப்பதை அறிந்துகொள்.

Monday, May 7, 2018

भद्रगिरियार प्रलाप --३.


 १ . उलियिट्ट  कल्लुम  उरुप्पिडित्त  सेंचान्तुम
पुलियिट्ट सेम्बुम  पोरुलावतु  येक्कालम ?

   छेनी  से बने ईश्वर की मूर्ति,   मांस -मज्जा से  बनी मूर्तियाँ ,

   मुलम्मा  की  हुयी  पंच-लोह   की   मूर्तियाँ , आदि   में

 ब्रह्म-सत्य-ज्ञान के दर्शन  का   अनुग्रह   कब  प्राप्त होगा ।
**************************************************************

  २.   वेडिक्कैयुम    सोकुसू मेय्प्प कट्टुम पोय्प्प कट  टुम
          वाडिक्कई   एल्लाम   मरंतिरुप्पतु   एककालं ?


        तमाश -ऐश-आराम    मिथ्या   भूषण   पहनकर
         शरीर से  और मिथ्या बोली  से    दूसरों को  ठगकर
        जीने के  मिथ्याचरण छोड़कर  तेरे  अनुग्रह प्राप्त कर
      जीने का समय  कब    प्राप्त  होगा ?

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३.  पट्टू  उडै  पोरपनियुम  भावनैयुम     तीविनैयुम 
     विट् टु     विटटु    पातं  विरुम्बुवतु  एककालं .?

     रेशम के  कपडे  और    स्वर्णाभूषण  पहनकर
      सज्जन -सा अभिनय और बुराई छोड़कर
   तेरे  ही चरण वन्दना में   जीवन  बिताने  का  अनुग्रह कब  प्राप्त  होगा ?
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4. आमै   वरुम  आळ  कंडू      अयन्तु   अडक्कम  सेयतार पोल

   ऊमै  उरुक्कोंडु   ओदुन्गुवतुम  एककालं ?

  जैसे  कछुआ    मनुष्य   के  आते   ही पन्द्रियों को  अपने अन्दर छिपाकर
  रखता  है , वैसे   ही दुखों को या दुःख पहुँचाने के  माया  मोह को
 नियंत्रण करके   गूंगे के  समान  रहने  का   अनुग्रह कब  प्राप्त होगा ?
*****************************************************
५.  तंडिकैयुम    चावाडियुम   सालिकैयुम  मालिकैयुम
 
     कंडू कलिक्कुम करुत्तोलिवतु  यक्कालम ?

शिविका, आवास,खजाना ,महल    आदि  की  सुविधाओं  और ऐश -आराम  का  जीवन छोड़कर  जीने का अनुग्रह  कब  प्राप्त होगा?
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Sunday, May 6, 2018

समाज की दशा.. गलत दिशा.

 गुजरात कोर्ट  का फैसले के बाद
  अनुशासन  ,संयम तोड़े  कोरट.
मेरे विचार

वेश्यागमन  सही हैं ,
विनोद की रिहाई ,
मन मानकर गलती करना ,
माननीय है . यह तो सोचनीय हैं .
वैवाहिक व्यक्ति पत्नी के रहते ,
रखैल रखना  या दूसरी शादी करना
यह तो गैर -कानूनी.
पर  पैसे देकर वेश्या से संपर्क  रखना
न अपराध .
आहा! न्यायाधीश .
वह वेश्या मानकर लेती  या  किसी के डराने -धमकाने से
या गरीबी की विवशता  में
या बदमाशों के चंगुल से
जो भले ही पेशेवर हो
वैवाहिक पुरुष से संपर्क ,
उस शादी शुदा  स्त्री के प्रति का द्रोह .
परिवार का नाश.
पुत्र-पुत्री का धर्म संकट
किसी की परवाह नहीं ,
पुरुष को अपने शारीरिक सुख प्रधान.
वह मनुष्य नहीं , मनुष्य के रूप का
ज्ञान चक्षु  विहीन  पशु ही है.
इसकी रिहाई का न्यायाधीश की पत्नी अपनी इच्छा से
पर-पुरुष गमन  सहेंगे क्या ?
यह ऐसी नीति  को अपनाने
दशरथ  , द्रौपती, भीष्म के पिता ,
शाहजहान   ऐसे पौराणिक उदाहरण
वाली का शुग्रीव पत्नी का  अपहरण
ऐसी गलत दृष्टांत
गुजरात के न्यायाधीश ने लिया होगा.
उनकी पुतुत्रियों  को यों ही  छोड़ेंगे क्या ?
विनोद की रिहाई , विनोद फैसला.
रंडी को दंड ,
रंडे  को रिहाई
डंडे को काटे बिना
यही जबर्दश्ती का मूल .
क़ानून भी साथ.
नारियों की सुरक्षा दल चुप.
इच्छित नारी सी वैवाहिक पुरुषों के गमन की छूट
पारिवारिक जीवन को शोकमय बनाना.
हे न्याधीश! आप  अपनी इच्छा से वेश्यागमन करते तो
अपनी पत्नी के प्रति द्रोह या नाहीं.
सोचकर न्याय सुनाना.

Friday, May 4, 2018

मनुष्य जीवन की यथार्थता



   मनुष्य  पाषाण  काल  में असभ्य रहा|   सभ्य बना तो पशु  तुल्य  जीवन छोड़कर   सभ्य  बना.  आखेटक  संघर्ष  मय  जीवन  छोड़कर  कृषी करने  लगा. शान्ति चाही ;अहिंसा  चाहा. अहिंसा ,शान्ति , आत्मसंतोष ,परोपकार ,दान ,धर्म , पाप-पुण्य,स्वर्ग -नरक ,
सादा जीवन ,उच्च विचार ,त्याग, देशभक्ति, मातृभाषा पर  प्रेम     आदि सद्गुणों  के  प्रचार के लिए बड़े-बड़े साधू-संत, महान ,पैगम्बर,देव-दूत ,युग पुरुष  पैदा   हुए.

  विश्व   शान्ति ,विश्व प्रेम    के  कारण    बुद्ध धर्म  भारतीय धर्म  चीन ,जापान ,श्री लंका, तिब्बत    आदि देशों एन भी फैला. जैन धर्म  के दिगंबर तो   वस्त्र तक त्यागा.
 मुहम्मद नबी ,ईसा मसीह  आदि का   जन्म न होतो  उनके समय के  मारकाट,निर्दयता
मानव -मानव  में घृणित भावना कभी  नहीं छूटती.
 इतने  होने पर  भी  भक्ति और अन्य  क्षेत्रों  के  बाह्याडम्बर  गरीबी मिटाने  साथ नहीं  देते.

   हर  साल गणेश  उत्सव और अन्य   उत्सवों  के बेकार होनेवाले    कई करोड़ रूपये, मंदिरों के हुंडी में डाले जाने वाले सोना-चांदी, रूपये  तहखाने  न गाढ़कर रखते  तो
देश की गरीबी कैसे दूर  होती. बड़े -बड़े शहरों  में आवास  हीन ,घर   हीन  पुत्पाथ  पर जीनेवालों की गरीबी   कैसे  दूर  होगी;  सबको सुशिक्षित कैसे  कर सकते  हैं ?
 राजनीतिज्ञ  करोड़पति बनते जाते  हैं ,संपत्ति  पर  संपत्ति जोड़ते हैं।
देश हित   की योजनायें  शिक्षा     आ  सेतु   हिमाचल  तक   एक समान  नहीं  है|

आजादी  के  बाद राष्ट्रीयता  बदनी चाहिए. कांग्रस  सरकार  की बड़ी भूल यही थी कि
प्रांतीय मोह बढाने वाली राजनीती और प्रान्तीय  दलों को बढ़ने देना, स्वार्थमय कांग्रस दल ने  राष्ट्रीय    शिक्षा, नदियों का  राष्ट्रीय करण  आदि पर अत्यधिक ध्यान दिया; धार्मिक एकता   समानता पर ऐसा जोर देता कि  धार्मिक कट्टरता,द्वेष भाव   बढ़ता रहा.
 वोवसी   जैसे  मुसलमान  खुल्लमखुल्ला हिन्दुओं को समूल नष्ट करने का  भाषण दे रहे  हैं.  धर्म- और आस्था के  नाम मानव हत्या भाई चारे भाव को नष्ट   कर देती.

राष्ट्रीय झंडे को जलाना,   राष्ट्र गीत का अपमान ,राष्ट्रीयता   भंग करने -कराने-करवाने के भाषण ,नाबालिग बलात्कार  आदि का कठोर दंड नहीं।  ऐसी स्थिति बढ़ते    जाना
 देश के   कल्याण  का  अनुकूल नहीं  है.

Thursday, May 3, 2018

भद्रगिरियार -प्रलाप --२.

भद्रगिरियार


 ८.पेय्पोल तिरिन्तु पिनाम्पोल किडन्तु   पे णनै
     ताय पोल निनैत्तुत    तव मुदिप्पतु एककालं .

भाव :
भूत -सा  भटककर ,(भूत के  लिए निश्चित  समय नहीं  है )

शव - सा  लेटकर ,,(  किसी प्र कार  के चिंता  स्मरण  रहित }
 तेरी     याद  कर ,
तपस्या  अंत करने का   समय
 कब  प्राप्त  होगा?
*****************
९.   काल   काट्टी,कै  काट्टी, कणकल    मुकम  काट्टी
     
      माल काट्टू  मंगैयरै    मरंतिरुप्पतु  एककालं ?

    अपने  पैर,हाथ ,आँखें ,चेहरा  आदि के  अंग चेष्टाओं  के  द्वारा ,
      नशा उत्पन्न करनेवाली महिलाओं को  भूल,
      तेरी ही याद में जीने  का समय
     कब  प्राप्त  होगा ?

१०.   पेन्निन   नल्लार   आसैप पिरमैयिने  वित्टोलित्तु
       कन्निरेंडू  मूडिक   कलंतिरुप्पतु  एककालं ?

   नारियों  पर होने वाली इच्छाओं को तजकर ,
   आँखें बंदकर    तेरे  ब्रह्मानंद में डुबकी  लगाने  का समय कब  प्राप्त   होगा ?

११.  वेट्टुंड    पुण पोल    विरिन्त  अल्कुल पैतनिले 
     
       तट्टूण्डु    निर्कई  तविर्वतुवुम   एककालं.?

  नारी  योनी   काटे हुए घाव के   सामान  घृणित ,
  उसका मोह तज  जीने का   वक्त कब  प्राप्त होगा ?

१२.  आरात  पुण निल   अलिन्तिक किडवामल
       तेरात   सिन्तई तनैत  तेट्रूवतु   एककालं ?

  कभी न भरनेवाले  घाव-सा जो योनी है ,
 उसकी हीनता    जान  ज्ञान पाकर मन को
तेरे ही स्मरण में रखने  का समय    कब  प्राप्त होगा ?

१३.  तंतै-ताय   मक्कळ सकोतररुम  पॉय एनवे कंडु तिरुक्करुप्पतु एककालं.?

     माता-पिता   ,संतान आदि  न  स्थायी सहायक  यों अनुभव ज्ञान पाकर
 उनके प्रेम-माया मोह छोड़ ,तेरी ही याद  में जीने का  समय कब प्राप्त होगा.




Wednesday, May 2, 2018

नाम जपो

भगवान के नाम की महिमा , अति प्रशंसनीय . विक्सित होता है आत्म संतोष . विक्सित होता है , आत्मानन्द. विक्सित होताहै
आत्मविशवास विक्सित होताहै ब्रह्म ज्ञान. प्राप्तहोता हैं ब्रह्मज्ञान प्रगति के पथ पर  आगे बढ़ता है मानव समाज . सर्वत्र मिलता है शान्ति. अहिंसा की भावना बढ़कर अगजग के वातावरण अमन चैन से बढ़ जाता है.

Tuesday, May 1, 2018

भद्र गिरियार सिद्ध पुरुष



भद्र गिरियार    सिद्ध पुरुष


   उज्जैन  के राजा  भद्र गिरी.   तमिल भाषा के प्रसिद्ध   अठारह सिद्ध पुरुषों में एक  हैं.


तमिल के  सिद्ध पट्टिनत्तार  एक बार उज्जैन के काली के  मंदिर के दर्शन के बाद एक गणेश  मंदिर में ध्यान मग्न बैठे हुए थे. तब कुछ   चोर राजमहल में चोरी करके आये थे. उन चोरों ने एक मोती  की माला फेंकी तो वह पट्टिनत्तार  के गले में पडी.   राजा के सिपाही चोर की  तलाश में आये. उन्होंने  पट्टिनत्तार के गले में मोती की माला  देखी. सिपाही उनको चोर समझकर राजा   भद्र गिरि के सामने ले गए.  राजा बिना सोचे विचारे उनको शूल में  लटकाने की सजा सुनायी. पर  वह शूल   पेड़ जल गया.  राजा को अपनी गलती मालूम  हुई. वे अपने राजा पद त्यागकर पट्टिनत्तार  के साथ साधू बनकर  निकले.

 पट्टिनत्तार   को उन्होंने अपने गुरु मान लिया .

दोनों  तिरूविडै मरुदूर के  मंदिर में साधू बनकर ठहरे.
शिष्य  रोज़ भिक्षा  माँगकर गुरु को  खिलाता . एक दिन उन्होंने  एक कुतिया को खिलाया तो वह  उनके साथ रह गई. एक दिन एक भिखारी ने पट्टिनत्तार से भीख  माँगी तो उन्होंने कहा-- दूसरे गोपुर के द्वार पर एक कुटुम्बी रहता है , उससे   माँगो. भद्रगिरियार समझ गए और उस कुतिया पर अपने भिक्षा पात्र फेंका ,कुत्ता मर गया.
वे बिलकुल साधू और  सिद्ध पुरुष बन गए.

फिर सिद्ध पुरुष  बनकर सिद्ध गीत गाने में लग   गए.

उनके ग्रंथों में  एक है == भद्र गिरियार के   सत्य ज्ञान  प्रलाप.

 गणेश वन्दना :--

मुक्ति प्रद ज्ञान देने  के प्रलाप गाने
श्री गणेश  की कृपा कब पाऊंगा ?
मूल : तमिल :- मुक्ति तरुम ज्ञान  मोलियाम पुलाम्बल सोल्ल
                    अत्ति मुकवन अरुल पेरुवतु एककालम.
ग्रन्थ :--
१. आन्गारम उल्लडक्की   ऐम्पुलनैच चुट्टरुत्तुत
तून्गामल  तूंगिच सुकम पेरुतल एककालं.?

अहंकार  तजकर ,पंचेद्रियों  को नियंत्रण में रखकर
ईश्वरीय ध्यान में  सुख कब प्राप्त करूँगा?

२. नींगाच शिवयोग  नित्तिरै कोंडेयिरुन्तु
   तेंगाक  करुण तेक्कुवतु  एककालं .

शिव से मिलकर  सदा शिव की याद में  मेरा मन
लगने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा?

३.    मेरा मन  ईश्वर की करुणा  से खाली है,
     सत्यज्ञान (ब्रह्मज्ञान )की वह  कमी ,
     पूरी होने का अनुग्रह कब प्राप्त  होगा ?
मूल :-तेंगाक     करुनै वेल्लम तेककियिरून्तुणपतर्कू
                  वांगामल विट्टकुरै  वन्त्तडुप्प्तु येक्कालं।
४.  निरंतर दुखी होकर जीने  के कारण की
     माया से बचने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा ?

५  जन्म के कारण की माया रुपी अज्ञान की सेना      जीतकर  मन के किले को काबू रखने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा?

      मायाप्पिरवी  मयक्कत्तै ऊडरुत्तुक
       काया पुरिक्कोटटैक्  कैक्कोल्वतु एक्कालं।

६. मन रुपी किले को वश में  करने शिवानुभूति की
    शक्ति कब   प्राप्त होगी ?
 
मूल ;-

७. बच्चों- सा   मन , बहरे- गूंगे के समान,भूत -समान
    तेरी कृपा के बंधन में फंसकर रहने का अवसर कब प्राप्त होगा ?