लव फेइलियर
मुझे हमेशा समाज का चिंतन है.
नव युवकों की दशा बिलकुल बदल गई है.
चित्रपट, चित्रपट गीत, दूरदर्शन के नाटक,
सब के सब प्रेम/मुहब्बत/इश्कआदि ही.
संयम की बात नहीं सिखाई जाती.
र्रुष्यशृंग की कहानी तो नहीं सिखाते.
भारतीय इतिहास में भी
युद्ध राजकुमारियों को लिए होता था.
भगवान कार्तिक भी अपनी प्रेयसी से शादी करने
लडे थे. छद्मवेश में गये थे. रावण सीता को
उठाकर ले गया. शाहजहाँ ने शेरखाँ को मारकर
मुहताज से शादी की थी.
तमिल कवि कंबर के बेटे ने भी राजकुमारी से प्रेम किया.
परिणाम मृत्यु दंड मिल गई.
इतिहास, पुराण, कहानी आदि सब में
जिन घटनाओं का चित्रण मिलते हैं,
वह आजकल के समाज के अध्ययन से
स्पष्ट होता है. बलात्कार की खबरें आजकल
के समाज के अध्ययन से पता चलता है.
समाज में स्नातक-स्नातकोत्तर की संख्याएँ
उत्तरोत्तर बढती रहती है. पर उन सब में
एक प्रकार का मानसिक तनाव ज्यादा है.
तलाक की संख्याएँ बढ रही हैं. शिक्षित समाज में
ऐसी परेशानियाँ. हैं. खूब कमाते हैं, आर्थिक कष्ट नहीं है.
यों कई प्रकार के विचार सोचते सोचते बस में बैठा,तो
अचानक उदासी युवक मेरे पास बैठा . उसका चेहरा ऐसा लगा मानो मुझसे कुछ कहना चाहता हो.
मैं उसको देखता रहा. वह मोबाइल में किसी नंबर को काल करता रहा. जवाब न आने से उसकी परेशानियाँ बढती रही.
उसकी दशा देखकर मेंने उससे पूछा- तुम क्यों इतनी परेशानी दुख पडता है? क्या तुम्हारे घर में कोई बीमार है?
क्या उसकी पूछ ताछ कर रहे हो?
युवक की आँखों से आँसू निकले. दुखी स्वर में कहा-
लव फेइलियर. टिल यसटर्डे शी वास रेडी टु मेरी मी
नौ शी ईस नाट रेडी टु मेरी मी. नाट अटंडिंग मै कालस.
मैं कल आत्महत्या करूँगा. उसकी यु
सिसकियाँ बढने लगी. अन्य यात्री भी मुडकर दे खने लगे.
सिसकियाँ भरते हुए कई बातें बताई. वह और उसकी प्रेमिका कहाँ कहाँ घूम रहे थे और फोटो भी दिखाया.
और दोहराता रहा कि मैं मर जाऊँगा. उसकी दशा देखकर
मैं असमंजस में पड गया.
उसको कैसे समझाऊँ? कैसे धीरज बाँधूँ?
कैसे समझाऊँ? यह तो संवेदनशील बात है.
मेंने पूछा -वह कल अन्य से शादी कर लेगी तो
आनंदमय जीवन बिताएगी. तुम तो अपने परिवार वालों को
दुख सागर में डुबोकर चले जाओगे. क्या तुम्हारी आत्मा को शांति मिलेगी. माँ-बाप ,भाई -बहन की हालत क्या होगी?
तुम्हारी प्रेमिका का प्रेम मिथ्या है. यदि उसका प्रेम सच्चा है तो बिताएगी. वह तो बिलकुल इनकार कर दिया. तुम पुरुष हो. नया आदर्श दिखाओ.
सार्वजनिक काम में मन लगाओ. वह तो अपने मन को काबू में न पाया. वह अपनी आत्म हत्या का धुन दोहराता रहा. लव फेइलियर, हौ केन ऐ लिव? सूसयिड ओन ली वे. दूसरा कोई
मार्ग नहीं. वह न मिलती तो जीना बेकार.
उसके प्रति मेरी हम दर्दी बढती गयी.
उसके दिल में परिवर्तन लाना था.
मेंने उसको समझाया--
असफलता तेरी भाषा के कारण.
लव फेइलियर....
मातृभाषा में बोलने पर तो
प्रेम में विजय मिलेगी.
तेरी विजया मिलेगी.
वह अंग्रेजी तो तलाक (डैवर्स)की भाषा है.
तुम को संयम सीखना चाहिए.
जितना अंग्रेज़ी बोलते हो,
उतना आमदनी बढेगी.
आत्म शांति ,भारतीयों का विशिष्ट आत्माभिमान,
आत्म संतोष, संयमी जीवन न मिलेगा.
हमारी संस्कृति लड़कियों से दूर खडे होने को सिखाती
वह पाश्चात्य सभ्यता हाथ मिलाने,
आलिंगन करने की बात सिखाती.
इतना ही नहीं पराई स्त्री के संभोग को
पशु के समान सार्वजनिक मानता है.
हमारी ऊँची सभ्यता देखिए,
अग्नि प्रवेश से पतिव्रता स्थापित सीता को
धोबी की बात को महत्व देकर वन में छोड दिया.
अब रोज भारतीय समाचार पत्र में
गैर पुरुषों से संबंध स्थापित कर
अपने निजी पति को केवल शारीरिक संबंध के लिए
हत्या कर देती है. यह अंग्रेज़ी प्रभाव है.
अपनी तमिल भाषा में देखो,
तिरुवल्लुवर की पत्नी
वासुकि पति की आज्ञा कारी पत्नी है.
सति सावित्री, नलायिनी, ,सति अनुसिया ,आदि की दुनिया,
शकुंतला का प्रेम, दुष्यंत को भूलना
ये सब आदर्श प्रेमिकाएँ हैं.
तेरी प्रेमिका तो सच्ची नहीं है.
तुम को संयम सीखना है, कायर ही मरते हैं.
एक मिथ्या
प्रेमी के लिए आत्महत्या करना
मनुष्यता नहीं है.
पौरुष नहीं है.
लैला मजनू की कहानी तो युवकों को
गलत मार्ग दर्शक है.
हम भगवान को घाट घाट का निवासी मानते हैं.
वह कहानी तो जहाँ देखो,
वहाँ लैला का लौकिक
माया मोह सिखाती है.
एक चंचल प्रेम की बात तजो,
उसे भूल दो, तेरे प्रेम को अलौकिक
प्रेम में बदल लो.
सार्वजनिक की सेवा में लगो.
तुम वन्दनीय नायक बनोगे.
वल्लुवर को पढो .
कछुए के समान पंचेंद्रियों को
काबू में रखो. वह तो " यू टू ब्रूटस " है.
तुमको जितेन्द्र बनना है.
चार-पांच कुत्ते ही कुतिया के पीछे जाएँगे.
लड़ेंगे. लडकी के पीछे जानेवाला नायक नहीं बनेगा.
हीरो बनो ,जीरो न बनो.
कुत्ता तो पशु है ,वह मनुष्य नहीं है.
तुम तो मनुष्य हो. तुममें पशुत्व नहीं ,
मनुष्यता होनी चाहिए.
जवानी में एक लडकी के लिए मरना,
आत्म हत्या की बात सोचना कायरता है.
आत्म हत्या कायरता की चरम सीमा है.
कसम खाओ ;आत्म हत्या का विचार छोड़ो.
मेरी बात मानो . ठुकराई लडकी को तुम ठुकरा दो.
उसने कहा- आपकी दिलासा भरी बातें ज़रा धीरज बंधा रही है.
मैं कुत्ता नहीं , मनुष्य हूँ .
कुत्ते का विशेष गुण कृतज्ञता इ.
उसमें वह नहीं है.
मैं अपनी माता -पिता के प्रति कृतज्ञ रहूँगा.
उसने तिरुक्कुरल तक कहा--
आमै पोल ऐन्तडक्कल आट्रिन
एलुमैयुम एमाप्पुडैत्तु .
अर्थात कछुए की तरह अपने पंचेंद्रियों को नियंत्रण न रखें तो
सातों जन्मों में श्रेष्ठ पुरुष रहोगे.
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मुझे हमेशा समाज का चिंतन है.
नव युवकों की दशा बिलकुल बदल गई है.
चित्रपट, चित्रपट गीत, दूरदर्शन के नाटक,
सब के सब प्रेम/मुहब्बत/इश्कआदि ही.
संयम की बात नहीं सिखाई जाती.
र्रुष्यशृंग की कहानी तो नहीं सिखाते.
भारतीय इतिहास में भी
युद्ध राजकुमारियों को लिए होता था.
भगवान कार्तिक भी अपनी प्रेयसी से शादी करने
लडे थे. छद्मवेश में गये थे. रावण सीता को
उठाकर ले गया. शाहजहाँ ने शेरखाँ को मारकर
मुहताज से शादी की थी.
तमिल कवि कंबर के बेटे ने भी राजकुमारी से प्रेम किया.
परिणाम मृत्यु दंड मिल गई.
इतिहास, पुराण, कहानी आदि सब में
जिन घटनाओं का चित्रण मिलते हैं,
वह आजकल के समाज के अध्ययन से
स्पष्ट होता है. बलात्कार की खबरें आजकल
के समाज के अध्ययन से पता चलता है.
समाज में स्नातक-स्नातकोत्तर की संख्याएँ
उत्तरोत्तर बढती रहती है. पर उन सब में
एक प्रकार का मानसिक तनाव ज्यादा है.
तलाक की संख्याएँ बढ रही हैं. शिक्षित समाज में
ऐसी परेशानियाँ. हैं. खूब कमाते हैं, आर्थिक कष्ट नहीं है.
यों कई प्रकार के विचार सोचते सोचते बस में बैठा,तो
अचानक उदासी युवक मेरे पास बैठा . उसका चेहरा ऐसा लगा मानो मुझसे कुछ कहना चाहता हो.
मैं उसको देखता रहा. वह मोबाइल में किसी नंबर को काल करता रहा. जवाब न आने से उसकी परेशानियाँ बढती रही.
उसकी दशा देखकर मेंने उससे पूछा- तुम क्यों इतनी परेशानी दुख पडता है? क्या तुम्हारे घर में कोई बीमार है?
क्या उसकी पूछ ताछ कर रहे हो?
युवक की आँखों से आँसू निकले. दुखी स्वर में कहा-
लव फेइलियर. टिल यसटर्डे शी वास रेडी टु मेरी मी
नौ शी ईस नाट रेडी टु मेरी मी. नाट अटंडिंग मै कालस.
मैं कल आत्महत्या करूँगा. उसकी यु
सिसकियाँ बढने लगी. अन्य यात्री भी मुडकर दे खने लगे.
सिसकियाँ भरते हुए कई बातें बताई. वह और उसकी प्रेमिका कहाँ कहाँ घूम रहे थे और फोटो भी दिखाया.
और दोहराता रहा कि मैं मर जाऊँगा. उसकी दशा देखकर
मैं असमंजस में पड गया.
उसको कैसे समझाऊँ? कैसे धीरज बाँधूँ?
कैसे समझाऊँ? यह तो संवेदनशील बात है.
मेंने पूछा -वह कल अन्य से शादी कर लेगी तो
आनंदमय जीवन बिताएगी. तुम तो अपने परिवार वालों को
दुख सागर में डुबोकर चले जाओगे. क्या तुम्हारी आत्मा को शांति मिलेगी. माँ-बाप ,भाई -बहन की हालत क्या होगी?
तुम्हारी प्रेमिका का प्रेम मिथ्या है. यदि उसका प्रेम सच्चा है तो बिताएगी. वह तो बिलकुल इनकार कर दिया. तुम पुरुष हो. नया आदर्श दिखाओ.
सार्वजनिक काम में मन लगाओ. वह तो अपने मन को काबू में न पाया. वह अपनी आत्म हत्या का धुन दोहराता रहा. लव फेइलियर, हौ केन ऐ लिव? सूसयिड ओन ली वे. दूसरा कोई
मार्ग नहीं. वह न मिलती तो जीना बेकार.
उसके प्रति मेरी हम दर्दी बढती गयी.
उसके दिल में परिवर्तन लाना था.
मेंने उसको समझाया--
असफलता तेरी भाषा के कारण.
लव फेइलियर....
मातृभाषा में बोलने पर तो
प्रेम में विजय मिलेगी.
तेरी विजया मिलेगी.
वह अंग्रेजी तो तलाक (डैवर्स)की भाषा है.
तुम को संयम सीखना चाहिए.
जितना अंग्रेज़ी बोलते हो,
उतना आमदनी बढेगी.
आत्म शांति ,भारतीयों का विशिष्ट आत्माभिमान,
आत्म संतोष, संयमी जीवन न मिलेगा.
हमारी संस्कृति लड़कियों से दूर खडे होने को सिखाती
वह पाश्चात्य सभ्यता हाथ मिलाने,
आलिंगन करने की बात सिखाती.
इतना ही नहीं पराई स्त्री के संभोग को
पशु के समान सार्वजनिक मानता है.
हमारी ऊँची सभ्यता देखिए,
अग्नि प्रवेश से पतिव्रता स्थापित सीता को
धोबी की बात को महत्व देकर वन में छोड दिया.
अब रोज भारतीय समाचार पत्र में
गैर पुरुषों से संबंध स्थापित कर
अपने निजी पति को केवल शारीरिक संबंध के लिए
हत्या कर देती है. यह अंग्रेज़ी प्रभाव है.
अपनी तमिल भाषा में देखो,
तिरुवल्लुवर की पत्नी
वासुकि पति की आज्ञा कारी पत्नी है.
सति सावित्री, नलायिनी, ,सति अनुसिया ,आदि की दुनिया,
शकुंतला का प्रेम, दुष्यंत को भूलना
ये सब आदर्श प्रेमिकाएँ हैं.
तेरी प्रेमिका तो सच्ची नहीं है.
तुम को संयम सीखना है, कायर ही मरते हैं.
एक मिथ्या
प्रेमी के लिए आत्महत्या करना
मनुष्यता नहीं है.
पौरुष नहीं है.
लैला मजनू की कहानी तो युवकों को
गलत मार्ग दर्शक है.
हम भगवान को घाट घाट का निवासी मानते हैं.
वह कहानी तो जहाँ देखो,
वहाँ लैला का लौकिक
माया मोह सिखाती है.
एक चंचल प्रेम की बात तजो,
उसे भूल दो, तेरे प्रेम को अलौकिक
प्रेम में बदल लो.
सार्वजनिक की सेवा में लगो.
तुम वन्दनीय नायक बनोगे.
वल्लुवर को पढो .
कछुए के समान पंचेंद्रियों को
काबू में रखो. वह तो " यू टू ब्रूटस " है.
तुमको जितेन्द्र बनना है.
चार-पांच कुत्ते ही कुतिया के पीछे जाएँगे.
लड़ेंगे. लडकी के पीछे जानेवाला नायक नहीं बनेगा.
हीरो बनो ,जीरो न बनो.
कुत्ता तो पशु है ,वह मनुष्य नहीं है.
तुम तो मनुष्य हो. तुममें पशुत्व नहीं ,
मनुष्यता होनी चाहिए.
जवानी में एक लडकी के लिए मरना,
आत्म हत्या की बात सोचना कायरता है.
आत्म हत्या कायरता की चरम सीमा है.
कसम खाओ ;आत्म हत्या का विचार छोड़ो.
मेरी बात मानो . ठुकराई लडकी को तुम ठुकरा दो.
उसने कहा- आपकी दिलासा भरी बातें ज़रा धीरज बंधा रही है.
मैं कुत्ता नहीं , मनुष्य हूँ .
कुत्ते का विशेष गुण कृतज्ञता इ.
उसमें वह नहीं है.
मैं अपनी माता -पिता के प्रति कृतज्ञ रहूँगा.
उसने तिरुक्कुरल तक कहा--
आमै पोल ऐन्तडक्कल आट्रिन
एलुमैयुम एमाप्पुडैत्तु .
अर्थात कछुए की तरह अपने पंचेंद्रियों को नियंत्रण न रखें तो
सातों जन्मों में श्रेष्ठ पुरुष रहोगे.
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