भद्रगिरियार
८.पेय्पोल तिरिन्तु पिनाम्पोल किडन्तु पे णनै
ताय पोल निनैत्तुत तव मुदिप्पतु एककालं .
भाव :
भूत -सा भटककर ,(भूत के लिए निश्चित समय नहीं है )
शव - सा लेटकर ,,( किसी प्र कार के चिंता स्मरण रहित }
तेरी याद कर ,
तपस्या अंत करने का समय
कब प्राप्त होगा?
*****************
९. काल काट्टी,कै काट्टी, कणकल मुकम काट्टी
माल काट्टू मंगैयरै मरंतिरुप्पतु एककालं ?
अपने पैर,हाथ ,आँखें ,चेहरा आदि के अंग चेष्टाओं के द्वारा ,
नशा उत्पन्न करनेवाली महिलाओं को भूल,
तेरी ही याद में जीने का समय
कब प्राप्त होगा ?
१०. पेन्निन नल्लार आसैप पिरमैयिने वित्टोलित्तु
कन्निरेंडू मूडिक कलंतिरुप्पतु एककालं ?
नारियों पर होने वाली इच्छाओं को तजकर ,
आँखें बंदकर तेरे ब्रह्मानंद में डुबकी लगाने का समय कब प्राप्त होगा ?
११. वेट्टुंड पुण पोल विरिन्त अल्कुल पैतनिले
तट्टूण्डु निर्कई तविर्वतुवुम एककालं.?
नारी योनी काटे हुए घाव के सामान घृणित ,
उसका मोह तज जीने का वक्त कब प्राप्त होगा ?
१२. आरात पुण निल अलिन्तिक किडवामल
तेरात सिन्तई तनैत तेट्रूवतु एककालं ?
कभी न भरनेवाले घाव-सा जो योनी है ,
उसकी हीनता जान ज्ञान पाकर मन को
तेरे ही स्मरण में रखने का समय कब प्राप्त होगा ?
१३. तंतै-ताय मक्कळ सकोतररुम पॉय एनवे कंडु तिरुक्करुप्पतु एककालं.?
माता-पिता ,संतान आदि न स्थायी सहायक यों अनुभव ज्ञान पाकर
उनके प्रेम-माया मोह छोड़ ,तेरी ही याद में जीने का समय कब प्राप्त होगा.
८.पेय्पोल तिरिन्तु पिनाम्पोल किडन्तु पे णनै
ताय पोल निनैत्तुत तव मुदिप्पतु एककालं .
भाव :
भूत -सा भटककर ,(भूत के लिए निश्चित समय नहीं है )
शव - सा लेटकर ,,( किसी प्र कार के चिंता स्मरण रहित }
तेरी याद कर ,
तपस्या अंत करने का समय
कब प्राप्त होगा?
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९. काल काट्टी,कै काट्टी, कणकल मुकम काट्टी
माल काट्टू मंगैयरै मरंतिरुप्पतु एककालं ?
अपने पैर,हाथ ,आँखें ,चेहरा आदि के अंग चेष्टाओं के द्वारा ,
नशा उत्पन्न करनेवाली महिलाओं को भूल,
तेरी ही याद में जीने का समय
कब प्राप्त होगा ?
१०. पेन्निन नल्लार आसैप पिरमैयिने वित्टोलित्तु
कन्निरेंडू मूडिक कलंतिरुप्पतु एककालं ?
नारियों पर होने वाली इच्छाओं को तजकर ,
आँखें बंदकर तेरे ब्रह्मानंद में डुबकी लगाने का समय कब प्राप्त होगा ?
११. वेट्टुंड पुण पोल विरिन्त अल्कुल पैतनिले
तट्टूण्डु निर्कई तविर्वतुवुम एककालं.?
नारी योनी काटे हुए घाव के सामान घृणित ,
उसका मोह तज जीने का वक्त कब प्राप्त होगा ?
१२. आरात पुण निल अलिन्तिक किडवामल
तेरात सिन्तई तनैत तेट्रूवतु एककालं ?
कभी न भरनेवाले घाव-सा जो योनी है ,
उसकी हीनता जान ज्ञान पाकर मन को
तेरे ही स्मरण में रखने का समय कब प्राप्त होगा ?
१३. तंतै-ताय मक्कळ सकोतररुम पॉय एनवे कंडु तिरुक्करुप्पतु एककालं.?
माता-पिता ,संतान आदि न स्थायी सहायक यों अनुभव ज्ञान पाकर
उनके प्रेम-माया मोह छोड़ ,तेरी ही याद में जीने का समय कब प्राप्त होगा.
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