१ . उलियिट्ट कल्लुम उरुप्पिडित्त सेंचान्तुम
पुलियिट्ट सेम्बुम पोरुलावतु येक्कालम ?
छेनी से बने ईश्वर की मूर्ति, मांस -मज्जा से बनी मूर्तियाँ ,
मुलम्मा की हुयी पंच-लोह की मूर्तियाँ , आदि में
ब्रह्म-सत्य-ज्ञान के दर्शन का अनुग्रह कब प्राप्त होगा ।
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२. वेडिक्कैयुम सोकुसू मेय्प्प कट्टुम पोय्प्प कट टुम
वाडिक्कई एल्लाम मरंतिरुप्पतु एककालं ?
तमाश -ऐश-आराम मिथ्या भूषण पहनकर
शरीर से और मिथ्या बोली से दूसरों को ठगकर
जीने के मिथ्याचरण छोड़कर तेरे अनुग्रह प्राप्त कर
जीने का समय कब प्राप्त होगा ?
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३. पट्टू उडै पोरपनियुम भावनैयुम तीविनैयुम
विट् टु विटटु पातं विरुम्बुवतु एककालं .?
रेशम के कपडे और स्वर्णाभूषण पहनकर
सज्जन -सा अभिनय और बुराई छोड़कर
तेरे ही चरण वन्दना में जीवन बिताने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा ?
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4. आमै वरुम आळ कंडू अयन्तु अडक्कम सेयतार पोल
ऊमै उरुक्कोंडु ओदुन्गुवतुम एककालं ?
जैसे कछुआ मनुष्य के आते ही पन्द्रियों को अपने अन्दर छिपाकर
रखता है , वैसे ही दुखों को या दुःख पहुँचाने के माया मोह को
नियंत्रण करके गूंगे के समान रहने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा ?
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५. तंडिकैयुम चावाडियुम सालिकैयुम मालिकैयुम
कंडू कलिक्कुम करुत्तोलिवतु यक्कालम ?
शिविका, आवास,खजाना ,महल आदि की सुविधाओं और ऐश -आराम का जीवन छोड़कर जीने का अनुग्रह कब प्राप्त होगा?
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