Sunday, May 13, 2018

तरंगें

विचारों  की तरंगें
समुद्र की तरंगों से बडी.
बीच के  समुद्र तो शांत.
पर मन तो कभी शांत  नहीं.
मन शांत का मतलब है,
ब्रह्मत्व  पाना.
ब्रह्मत्व पाना है तो
शरीर तजकर जाना.
निश्चल मन योग साधना  का
सर्वोच्च  शिखर.
निश्चल मन में न मोह ,
न बंधन.
 हवा रहित स्थिति  में  ही
तरंगें  रुकती है.
विचार तरंगों ते बिना
न वेद, न कुरान, न बाइबिल.
वैसा तो मन की तरंगों  को
रोकना कैसा?





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