Friday, January 19, 2024

हिंदी औरईश्वर

 ईश्वर मेरे जीवन में प्रत्यक्ष प्रमाण है। तमिलनाडु में हिंदी विरोध का आंदोलन चल रहा था। प्रांत भर में बसें जलाना, रेल रोकना, हिंदी अध्यापिकाओं के बाल काटना, हिंदी किताबें जलाना आदि सर्वत्र हो रहा था। तभी ईश्वर ने मुझे हिंदी प्रचार में लगाया। सबेरे बस चलानेवाले, पत्थर फेंकने वाले शाम को मेरे यहाँ हिंदी सीखने आते थे।

एक बड़े क्रांतिकारी दल ने मुझे घेर लिया, मैंने कहा विदेशी अंग्रेज़ी भाषा अति मुश्किल ,वह हमारी भारतीय भाषाओं को निगल रही है। तमिल में बोलना भी अपमान समझा रहे हैं। अंग्रेज़ी मिश्रित तमिल बोलने में गर्व का अनुभव कर रहे हैं। हम तो देश के कल्याण के लिए हिंदी का प्रचार मुफ्त में  कर रहे हैं। कोई भी अंग्रेज़ी मुफ्त में नहीं सिखाएँगे। आप आइए। मैं मुफ्त में सिखाऊँगा। संस्कृत को विरोध करनेवाले  दल का चिन्ह उदय सूर्य तमिल नहीं है।

हिंदी संस्कृत की बेटी है।

तमिल भाषी रोज़  हजारों संस्कृत के तत्सम और तद्भव शब्द बोल रहे हैं। अधिकांश लोगों के नाम संस्कृत के हैं। जैसे जयललिता, रामचंद्र, करुणानिधि, दयानिधि,दयआलू अम्मा आदि।

इन नामों के तमिल अर्थ जानने पर हजारों हिंदी संस्कृत शब्द सीख जाएँगे।

 आप में दिनकर, प्रभाकर,रवि, ‌नाम है, इनके तमिल अर्थ कतिरवन,परिधि है।

कमला,सरोजा,पद्मा,जलजा,

नीरजा का अर्थ तामरै।

 वार है तमिल में वारम् कहते हैं।

दिन को दिनम् कहते हैं।

संदेह को संदेहम् कहते हैं।

विश्वास को विश्वासम् कहते हैं।

  शामको की हिंदी विरोधी हिंदी सीखने आये।

 मेरे साहस और समयोचित भाषण ईश्वरीय देन है।

एस.अनंतकृष्णन, तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी प्रचारक।

अवकाश प्राप्त प्रधान अध्यापक,

हिंदू हायर सेकंडरी स्कूल,तिरुवल्लिक्केणी, चेन्नई 5.

 नमस्ते वणक्कम।

श्रद्धालु भक्त ईश्वर पर 

 दृढ़ विश्वास करके

 आत्मा को पहचानकर 

आत्मबोध और आत्मज्ञान पाते हैं।

तब मनुष्य मनुष्य में भेद नहीं देखते।

 समदृष्टि से सुख दुख को है देखते।

 प्यार शारीरिक सुख के लिए नहीं,

आत्मानंद के लिए करके

 परमानंद की अनुभूति करते हैं।

जग कल्याण के लिए,

मनुष्य को सत्यमार्ग पर लाने के लिए

अपने तन मन को लगाते हैं।

जय श्रीराम आत्माराम बनते हैं ।

- भक्ति के रंग।

 जम्मु-कश्मीर  इकाई को

नमस्ते वणक्कम।।

18-1-24.

विषय-- भक्ति के रंग।

विधा -अपनी हिंदी अपनी भाषा अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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भक्ति के रंग अनेक,

भगवान तो एक।

सनातन धर्म की बात यही।

पर अपने अपने विश्वास

अपने अपने देश काल वातावरण

भगवान के रूप अनेक।

 देवेन मनुष्य रूपेन।

अजनबी आदमी भी समय पर

 हमारी मदद करता तो

 हम यही कहते कि

 आपने भगवान सम मदद की है।

कई राजनीतिज्ञ  नेता के लिए

मंदिर भी बनवाते हैं,

अपने मालिक की तस्वीर की भी

हाथ जोड़ वंदना करते हैं।

 आदी काल में गुरु वंदना।

माता-पिता, गुरु ईश्वर।

कबीर का ज्ञान मार्ग,

जायसी का प्रेम मार्ग

सूरदास का कृष्ण मार्ग

तुलसीदास का राम मार्ग

भक्ति के मार्ग  अनेक,

 भगवान तो एक।

मानव मन की शांति के लिए,

 मानव जगत के कल्याण के लिए

मानव की एकता के लिए,

 प्रकृति ही भगवान।

मजहब तो मानव मानव में

 संप्रदाय का भेद बढ़ाते।

 पर जय जगत,

 सर्वे जना सुखिनो भवंतु

 वसुधैव कुटुंबकम्

 सनातन धर्म की देन।

 संप्रदाय मानव को 

संकुचित भक्ति दिखाता।

गेरुआ कपड़ा,

हरे कपड़े,

श्वेत कपड़े

तिलकों में फर्क

पूजा पाठ में फर्क

 आकार में फर्क

 पर पंच तत्व

 आकाश,हवा,आग,जल, भूमि

 ये समदर्शी जान।

 न हवा किसी मजहब के नाम।

न प्राकृतिक कोप मजहब के नाम।

 प्राकृतिक प्रदूषण न देखता

 मजहबी, संप्रदाय, 

देश काल वातावरण।

 सोचो समझो प्राकृतिक भक्ति 

 प्राकृतिक आराधना

भूमि प्रदूषण से

जल प्रदूषण से

हवा प्रदूषण से

 विचार प्रदूषण से

 प्रपंच को बचाता,

 एकता का संदेश देता।

 सनातन धर्म के अनुसार

 अद्वैत भावना,

अहं ब्रह्मास्मी,

हर एक में एक शक्ति,

 बद्बू सहने की शक्ति

 शौचालय की सफाई

 करनेवाले को।

 खुशबू में भगवान पुजारी पंडित मौलवी।

 मज़दूर नहीं तो

 बोझ उठाने की शक्ति

 स्नातकोत्तर में नहीं।

 सोचो समझो

 वक्त की मदद करनेवाला भगवान।

 सद्यःफल देनेवाला डाक्टर भी भगवान।

  भक्ति के रंग अनेक।

 भक्ति की धाराएँ अनेक

मूल रूप में भगवान एक।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

8610128658

हम हैं भारतवासी

 नमस्ते वणक्कम।

हम हैं भारतवासी।

 भारत हमारा देशोन्नति।

 जिन में बल है,

वही    देश के आधार।

 शारीरिक बल है कुछ में।

 बुद्धि बल है कुछ में।

 आध्यात्मिक बल है कुछ में।

 राजनैतिक बल है कुछ में।

 धार्मिक बल है कुछ में।

एकता बनाने के बल कुछ में।

एकता तोड़ने का बल कुछ में।

 भाषाएँ अनेक, हर भाषा कौशल में

कुछ लोग सदुपदेश देते हैं कुछ लोग।

स्वार्थवश अश्लील गाना गाते हैं कुछ लोग।

धन के लोभी है कुछ लोग।

दान के प्रिय है कुछ लोग।

कंजूसी है कुछ लोग।

 त्यागी है कुछ लोग।

भोगी है कुछ लोग।

समदर्शी है कौन?

सब के समान हितैषी है,

पंचतत्व आग हवा पानी भूमि आकाश।।

जान समझकर पंच तत्वों को 

 प्रदूषण से बचाना।

 इनमें धन के लिए

 अश्लील गाना,चित्र,कहानियाँ, चित्रपट

खींचना ही बड़ा पाप।।

ईश्वरीय सूक्ष्म दंड मानव के पाप का दंड।

पुण्यातमा कहाँ? 

पापात्मा से भरी  दुनिया

 यह भी ईश्वर की सूक्ष्म लीला।

भगवान के अवतार लीला में भी

 न सौ प्रतिशत धर्म।

अधर्म की प्रासंगिक कहानियाँ।

 प्रपंच की बातें जानना समझना 

 असंभव है मानव को।


 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक

द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति।

Wednesday, January 3, 2024

ज्ञान नहीं

 नमस्ते वणक्कम।

 ज्ञान नहीं तो मनुष्य पशु-पक्षी समान।

अज्ञानी का जीवन संताप भरा।

आत्मज्ञानी  ईश्वर तुल्य।

 आत्मा को पहचानो,

पता चलेगा अनश्वर दुनिया।।

कोई भी संसार में शाश्वत नहीं।

परिवर्तन ही यह लौकिक जीवन।

शैशव में परिवर्तन बचपन ।

बचपन का परिवर्तन लड़कपन।

 लड़कपन से जवानी,

जवानी से प्रौढ़,

प्रौढ़ावस्था से बुढ़ापा,

बुढ़ापे में शिथिलता,

मानव में ही नहीं,

सांसारिक सभी सृष्टियाँ

शाश्वत हैं नहीं।

 सोचो, समझो, पुण्य कर्म करो।।

भ्रष्टाचार , रिश्वत, अन्याय के पैसे,

न बचाएँगे तेरे प्राण।।

डाक्टर भी भी मरता है,

ज्ञानी भी मरता है,

अज्ञानी मत बनो,

मनुष्यता अपनाओ।

मतदान तो ईमानदारी को देना है।

मानव हो मनुष्यता अपनाओ।

 मनुष्यता न तो पशु तुल्य तेरा जीवन।।