Wednesday, January 3, 2024

ज्ञान नहीं

 नमस्ते वणक्कम।

 ज्ञान नहीं तो मनुष्य पशु-पक्षी समान।

अज्ञानी का जीवन संताप भरा।

आत्मज्ञानी  ईश्वर तुल्य।

 आत्मा को पहचानो,

पता चलेगा अनश्वर दुनिया।।

कोई भी संसार में शाश्वत नहीं।

परिवर्तन ही यह लौकिक जीवन।

शैशव में परिवर्तन बचपन ।

बचपन का परिवर्तन लड़कपन।

 लड़कपन से जवानी,

जवानी से प्रौढ़,

प्रौढ़ावस्था से बुढ़ापा,

बुढ़ापे में शिथिलता,

मानव में ही नहीं,

सांसारिक सभी सृष्टियाँ

शाश्वत हैं नहीं।

 सोचो, समझो, पुण्य कर्म करो।।

भ्रष्टाचार , रिश्वत, अन्याय के पैसे,

न बचाएँगे तेरे प्राण।।

डाक्टर भी भी मरता है,

ज्ञानी भी मरता है,

अज्ञानी मत बनो,

मनुष्यता अपनाओ।

मतदान तो ईमानदारी को देना है।

मानव हो मनुष्यता अपनाओ।

 मनुष्यता न तो पशु तुल्य तेरा जीवन।।

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