Wednesday, December 13, 2023

स्वसंकेतों से करें व्यक्तित्व विकास।

 नमस्ते वणक्कम साहित्य बोध असम इकाई को।

 शीर्षक  स्वसंकेतों से करें व्यक्तित्व विकास।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

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करो पहले, कहो पीछे।

गली गली का

 पाखाना स्वयं उठाया 

देख अन्यों ने साफ करने में लगे।

अपना व्यक्तित्व स्व संकेतों से

बने  राष्ट्रपिता महात्मा।

स्व संकेतों से रामकृष्ण परमहंस में

 सच्चाई थी।

स्वसंकेतों से आजकल

ओट के लिए पैसे देते हैं

 स्व संकेतों से भ्रष्टाचार

रिश्वत फिर भी बनते 

सांसद विधायक।

 उनके संकेत से  

देशको होता बुरा मार्गदर्शन।

 स्व संकेत सत्य के विकास के लिए।

 स्व संकेत पवित्र भक्ति के लिए।

स्वसंकेत  परोपकार के लिए।

स्वसंकेत निस्वार्थ भाव लेकर

स्वसंकेत मानवता बनाये रखने के लिए।

 स्वसंकेत जिओ और जीने दो के लिए ।

आजकल की शिक्षा  का संकेत

पैसा खर्च करो पैसे कमाओ।

वकीलों का संदेश स्वसंकेत

पैसा न तो अदालत में न न्याय।

 न भर्ती शिक्षा संस्थानों मैं

 न वोट अपने आदर्श 

प्रतिनिधि चुनने में।

 स्वसंकेत शासकों का

ईमानदारी नहीं,

अधिकारी का नहीं।

 अध्यापक तो स्वयं ट्यूशन के चक्कर में,

थानेदारों का संकेत भी 

अमीरों को छोड़ो गरीबों को पकड़ो।

स्वसंकेत आश्रम के आचार्य में भी नहीं।

समाज के विचारों में

व्यवहारों में प्रदूषण ही प्रदूषण।।

स्व संकेत है व्यक्तित्व का विकास

 कदम कदम पर नहीं।

स्वसंकेत ईमानदारी सत्यवादियों का कोई समझता नहीं।

 स्वसंकेत  सर्वेश्वर का

जवानी बुढ़ापा रोग प्राकृतिक क्रोध

नश्वर दुनिया

स्व संकेत ईश्वर का भी

मानव समझता नहीं तो

 मानव में शांति संतोष कैसे?

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