Wednesday, December 13, 2023

। विरक्ति के बिना मोक्ष न मिलता।



  विषय -- विरक्ति के बिना मोक्ष न मिलता।

   विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

14-12-2023.

मानव का मन अति चंचल।

ईश्वर की सृष्टि माया महादेवी।

 वह मानव के मन को

काम, क्रोध मद,लोभ, अहंकार

आदि  विषय वासनाओं से

बचने न देती।

 परिणाम स्वरूप मानव 

 संताप सागर में डुबकियाँ लगाता रहता है।

माया के चक्कर में मैं ऊबकर

अज्ञात अंधकार में

आत्महत्या की कोशिश में लगाता है।

 स्वार्थमय दुनिया में

माया का आकर्षण सर्वत्र है।

 ईश्वर की आराधना एक धंधा बन गयी है।

 दुखी मानव पाखंडी ढोंगियों के

 चक्कर मैं धोखा खाते हैं।

भक्ति  पेशा बन गई हैं।

वह विज्ञान नहीं,

मिथ्याडंबर का केंद्र।

हिंदू लोग तीस हजार की मूर्तियाँ

काली माता की, विघ्नैश्वर की

 बनाकर विसर्जन के नाम से अपमानित करते हैं।

 उन पैसों को आध्यात्मिक एकता के लिए,

 आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान के लिए नहीं करते।

  चाबी गुच्छे में ईश्वर, 

उसको मुख में रख

झूठा करते हैं।

 भक्ति सच्ची है तो

 सर्वत्र विराजमान भगवान को 

अपमानित नहीं करते।

 हर एक पौधा,

पशु-पक्षी

 तालाब झील 

नदियाँ ईश्वर स्वरूप।

उनको प्रदूषित करके

मिथ्याडंबर को नित्यानंद मानता है

बेवकूफ़ मानकर।

 माया के चक्कर में

उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

जब दुख रूपी सुनामी की लहरें

विनाश करती है,

तभी वह आत्मा परमात्मा को एक मानकर

ज्ञानी बनता हैं।

 लौकिक विचारों को  तजकर

 अलौकिक विचारों को अपनाता है।

 माया की सृष्टि ईश्वर ने की है।

माया मोह का दुख ईश्वर ही देता है।

माया की मुक्ति ईश्वर केवल ईश्वर के जप तप ध्यान

एकाग्रता से होती है।

कबीर कहते हैं

माला तो कर में फिरे जीभ फिरे मुखमाही।

मनुआ तो दिशी फिरै यह सुमिरन नहीं।


लाली मेरे लाल की जीत देखो तित लाल।

लाली देखन मैं गई,मैं भी हो गई लाल।

आत्म बोध होना चाहिए।

मन चंगा तो कठौती में गंगा।।

काशी में मिठाई खाना छोड़ दिया यह तो वैराग्य नहीं।

काशी में संकल्प करना है

झूठ न बोलूँगा, भ्रष्टाचारी न करूँगा,

रिश्वत न लूँगा,

केवल आत्म विचार करूँगा।

भगवान एक है,बाकी सब माया।

 अद्वैत भावना में 

विषय वासनाओं को भूल जाऊँगा।

ब्रह्ममम् सत्यम् जगत मिथ्या।

ऐसे विरक्त होने पर मोक्ष मिलेगा।

एस . अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति।

   विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी शैली भावाभिव्यक्ति।

14-12-2023.

मानव का मन अति चंचल।

ईश्वर की सृष्टि माया महादेवी।

 वह मानव के मन को

काम, क्रोध मद,लोभ, अहंकार

आदि  विषय वासनाओं से

बचने न देती।

 परिणाम स्वरूप मानव 

 संताप सागर में डुबकियाँ लगाता रहता है।

माया के चक्कर में मैं ऊबकर

अज्ञात अंधकार में

आत्महत्या की कोशिश में लगाता है।

 स्वार्थमय दुनिया में

माया का आकर्षण सर्वत्र है।

 ईश्वर की आराधना एक धंधा बन गयी है।

 दुखी मानव पाखंडी ढोंगियों के

 चक्कर मैं धोखा खाते हैं।

भक्ति  पेशा बन गई हैं।

वह विज्ञान नहीं,

मिथ्याडंबर का केंद्र।

हिंदू लोग तीस हजार की मूर्तियाँ

काली माता की, विघ्नैश्वर की

 बनाकर विसर्जन के नाम से अपमानित करते हैं।

 उन पैसों को आध्यात्मिक एकता के लिए,

 आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान के लिए नहीं करते।

  चाबी गुच्छे में ईश्वर, 

उसको मुख में रख

झूठा करते हैं।

 भक्ति सच्ची है तो

 सर्वत्र विराजमान भगवान को 

अपमानित नहीं करते।

 हर एक पौधा,

पशु-पक्षी

 तालाब झील 

नदियाँ ईश्वर स्वरूप।

उनको प्रदूषित करके

मिथ्याडंबर को नित्यानंद मानता है

बेवकूफ़ मानकर।

 माया के चक्कर में

उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

जब दुख रूपी सुनामी की लहरें

विनाश करती है,

तभी वह आत्मा परमात्मा को एक मानकर

ज्ञानी बनता हैं।

 लौकिक विचारों को  तजकर

 अलौकिक विचारों को अपनाता है।

 माया की सृष्टि ईश्वर ने की है।

माया मोह का दुख ईश्वर ही देता है।

माया की मुक्ति ईश्वर केवल ईश्वर के जप तप ध्यान

एकाग्रता से होती है।

कबीर कहते हैं

माला तो कर में फिरे जीभ फिरे मुखमाही।

मनुआ तो दिशी फिरै यह सुमिरन नहीं।


लाली मेरे लाल की जीत देखो तित लाल।

लाली देखन मैं गई,मैं भी हो गई लाल।

आत्म बोध होना चाहिए।

मन चंगा तो कठौती में गंगा।।

काशी में मिठाई खाना छोड़ दिया यह तो वैराग्य नहीं।

काशी में संकल्प करना है

झूठ न बोलूँगा, भ्रष्टाचारी न करूँगा,

रिश्वत न लूँगा,

केवल आत्म विचार करूँगा।

भगवान एक है,बाकी सब माया।

 अद्वैत भावना में 

विषय वासनाओं को भूल जाऊँगा।

ब्रह्ममम् सत्यम् जगत मिथ्या।

ऐसे विरक्त होने पर मोक्ष मिलेगा।

एस . अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति।

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