Sunday, September 30, 2018

सत्य शाश्वत, असत्य अशाश्वत

प्रात: कालीन प्रणाम।
संसार स्वर्ग है,
संसार नरक है
संसार नश्वर है,
संसार अनश्वर है
संसार लौकिक है,
संसार अलौकिक है।
गंभीरता से सोचो,
जानो,समझो,पहचानो,
पता चलेगा, कैसे?
मौसमी परिवर्तन स्थाई।
फल फूल पत्ते अ्स्थाई।
काम क्रोध मंद लोभ स्थाई,
अंतर्मन में वास कर जीनेवाले अस्थाई।
वनस्पति,जीव जंतुओं, मनुष्य रचना स्थाई।
रचकर नष्ट करने की ईश्वरीय लीला स्थाई।
मनुष्य का रूपरंग गुण भाषा सब के सब
परिवर्तन शील , अमानुषय शक्ति स्थाई।
गुण शाश्वत,सत्य शाश्वत, अवगुण असत्य अशाश्वत।
स्वरित अनंत कृष्णन.


Saturday, September 29, 2018

ईश्वर का अनुग्रह



नींद की गोली न ली.
प्राणायाम, योग निद्रा, भ्रमरी,
ध्यान किसी में मन न लगा.
न आर्थिक संकट,
न ईश्वरीय प्रकोप.
न रोग न चिंता नींद नहीं आयी.
ध्यान भ्रमरी योग निद्रा
क्या मनुष्य धनी, स्नातक, स्नातकोत्तर
जो भी हो नींद, अपच, जवानी,
सब के मूल धन से परे, मन से परे, विद्वत्ता से परे
सोचो जपो मनुष्येत्तर अमानुष शक्ति को
सब ही नचावत राम गोसाई.
न धन, न बुद्धि, न पद
नींद सहज आना भी ईश्वर का अनुग्रह.

नियम शनैः शनैः नदारद.


सबको प्रातःकालीन प्रणाम. 
मन में उठी मान की बातें 
मेरी नहीं हमारे पूर्वजों की. 
युग युगों कर अनुकरणीय. 
सज्जन मानते,, अनुशासित मानते, 
ईश्वरानुरागी मानते.
सत्य प्रिय मानते
श्रद्धालु मानते,
समाज और राष्ट्र प्रिय मानते.
ईमानदार मानते,
ईश्वरप्रिय भक्त मानते.
पंचेंद्रिय काबू में रखो,
सिवा पत्नी- पति के
बाकी सबको सहोदर सहोदरा मानो.
आज उच्च अदालत की निंदनीय
भारतीय संस्कृति और चरित्र गठन की उल्टी बातें
समाज को बेचैनी करने की बातें
सब से मनमाना शारीरिक संबंध रखो
वह कानूनी विरुद्ध नहीं,
सनातन धर्म का परंपरागत
प्रथा तोड मंदिर में महिला प्रवेश
अब तलाक मुकद्दमा बढ रहा है,
बलातकार बढ रहा है,
भ्रष्टाचार बढ रहा है
न भय ईश्वर का
न कानून का
यथा राजा तथा प्रजा
नियम का सरकारी अधिकारी
न्यायाधीश, पुलिस, शिक्षक, चिकित्सक सब
अक्षरशः पालन कर रहे हैं
रिश्वत भ्रष्टाचार के गुलाम नहीं बेगार बन रहे हैं
पूर्वजों का धर्मासन, राजशासन का भय
भाग गया है. मंदिर की संपत्ति लूटी जा रही है
पूर्वजों का सत्य, ईमानदारी, दान धर्म
कर्तव्य परायण सब नदारद.
भारतीय भाषाएँ, भोजन व्यवस्था, धार्मिक नियम शनैः शनैः नदारद.
स्वरचितःयस. अनंतकृष्णन, चेननै,

भारत है महान, 
कई बातों में. 
कमी कई बातों में 
प्रधान कमी सहनशीलता. 
दूसरी कमी अंग्रेज़ों की माया में, 
पैसे के लोभ में,
उनके दास बन
भारतीय ही भारतीय भाषाओं का अपमान.
शांति प्रिय जनता यहाँ क्यों?
यहाँ पेट भरना आसान.
विदेश गया, वहाँ मौसम पाँच महीने सुहावना.
पतझड में पत्ते रहित पेड.
हमारे देश के समान न आम का पेड.
न अमरूद, न कटहल, न जटी बूटियाँ.
न तपस्या, न अनुशासन,
आज के वकील, न्यायाधीश, नेहरु सब
भारतीयता के विरुद्ध,
संयम के विरुद्ध,
अपराध, पतिव्रता के विरूद्ध,
भारतीय सनातन धर्म के विरुद्ध
फैसला सकते हैं हम यही है
हमारी कमी.
हम गाये हैं हिंदु मुसलिम सीख ईसाई,
पर वे कभी न दुहराते ऐसे भजन.
मुसलमान केवल अल्ला के बंदी,
न करते राष्ट्र गीत और न करते तिरंगा झंडे का वंदन.
बहुमत हिंदु की सबेरा
बेगार बने जाने का संकेत.
कमी देश की नहीं, मानसिक दुर्बलता की.
रचयिता :यस. अनंत कृष्णन.

काव्योदय स्वीकृत कविता

(हंसाती है रुलाती है हमेशा आजमाती है)
पौराणिक कहानियाँ ,
हँसाती है , रुलाती है ,आ जमाती है ,
अनुशासित करती हैं , संस्कार देती हैं ,
भाग्य पर जीना सिखाती है,
त्याग पर जीना सिखाती है,
पर लौकिकता सुन्दर-और सुंदरियों
के प्यार के चक्र में , हंसाती है ,
आँख मारना, ओढ़नी का स्पर्श ,
पौरुष -स्त्रीत्व की कोमलांगन
आनंद या दुःख का पागलपन
दमयंती को रुलाया ,
रूप बदला नल का
हंसाती रुलाती आ जमाती
ईश्वर ध्यान ही अंतिम किनारा।
रचयिता ----यस। अनंत कृष्णन

Friday, September 28, 2018

स्वर्ग भोग

प्रातः कालीन प्राणाम।
आज के उदित विचार
स्वरचित से। अनंतकृष्णन द्वारा
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धन जोड़ ,धन जोड़ ,
मान छोड़  ,मन छोड़ ,
धन  जोड़ , धन जोड़
न  डर   ईश्वर से ,
प्रधान मान  धन  ही  जीवन।
दुर्बलों को सता ,
बेगार  को सता ,
आनंद सदा  पाओ ,
जोड़ते अधिक , पर
समाज  का शाप भी ,
ईश्वर  का   कोप भी ,
अपने पाप जुड़ जाता।
बढ़ती उम्र रोक नहीं सकते।
जोड़े धन ,पर  शिथिलता  तन
बुढ़ापा ,सफेद बाल
वापस  न दे सकता।
धन जोड़ धन जोड़
मान  छोड़ ,मन छोड़ ,
मनमाना करके
धन जोड़ धन जोड़।
लौकिक सुखों  को खूब भोग।
यम  धर्म राज ,
ईश्वर का क़ानून
लेगा  तेरी जान।
सोच समझ पुण्य काम कर.
धन जोड़ ,पर
तन छोड़ते समय
न विज्ञान ,न चिकित्सक
कोई  भी साथ न देगा।
सोच -समझ  आगे बढ़.
पुण्य जोड़ ,पुण्य जोड़ ,
भूलोक में स्वर्ग भोग।
धन जोड़ने से न होता संतान
धन से न होता आत्म शान्ति
धन से न मिलता कला की पटुता।
रोया कृष्ण भी  राम भी रोया ,
मार नबी को पत्थर का 
ईसा को शूली का कष्ट ,
सत्यवान हरिश्चंद्र दुखी
पर उन्हीं के नाम  लेकर
सदाचार शान्ति का प्रचार।
दान -धर्म मानवता अनुशासन
सुशासन  का प्रोत्साहन -प्रेरणा।
सोच समझकर इंसानियत का  पालन कर.

Thursday, September 27, 2018

शासन व्यवस्था

शासक और दंड पर
विचार करूँ  तो
हमेशा गरीबों को ही तुरत दंड.
हलमेट नहीं तो तुरंत जुर्माना।
अमीर पीकर गाड़ी चलाने  पर
अमीर  के   बदले एक गरीब कार चालाक।
अमीर भ्रष्टाचार करें , रिश्वत लें तो
खासकर अभिनेता, राजनैतिक नेता ,
तो मुकद्दमा खारिज या स्थगित।
समाज भी सहता ही रहता हैं ,
अपराध स्थापित मुख्य मंत्री ,
मृत्यु के बाद  फैंसला।
अब भी है वह उसके अनुयायियों से सम्मानित।
अवैध या वैध राजा को अनेक पत्नी रखैल।
आज कल का नया फैंसला अपराधी भी
चुनाव लड़ सकता है;
अपराधी भी डरा-धमकाकर
चुनाव जीत सकता  है
भ्रष्टाचारी रिश्वत खोरी एक ओट को
बीस हज़ार देकर जीतकर
सीना ताने चल सकता है,
बलात्कारी का अपराध नहीं ,
बलात्कार की प्रेरित पोशाक
वातावरण में आयी लड़की अपराधिन।
समलिंग सम्भोग अपराध नहीं
पशु-सा सार्वजनिक स्थान पर चूमना अपराध नहीं ,
दो  सौ  रूपये या पचास रूपये लिए
चपरासी दण्डनीय ,वही दलाल बन
लाखों लेकर उच्च अधिकारी को भी
संतुष्ट करता तो अपराधी नहीं।
पहले चुनाव लड़ने के उम्मीदवार को
डिपाजिट रूपये के सिवा  एक
रूपये भी  खर्च न करने की अनुमति न देना।
एक करोड़ खर्च कर जीतना
आम जनता और देश की सेवा नहीं
एक करोड़ को कई करोड़ कमाना।
मनमाना अधिकारी को डराना  धमकाना।
मनमाना गैर कानूनी काम करना।
ईमानदारी अधिकारी को
भ्रष्टाचार सहना न तो पद तजकर जीना
यह राष्ट्र जब तक अपराधी के पक्ष में
ऐसे न्याय दे सकता है , अपराधी अपने बल -आर्थिक ,दाल,और
अन्य कार्यों से बच सकता है ,
तब तक न होगा देश का सर्वांगीण विकास।
क़ानून के सामने सब बराबर नहीं ,
भगवान के मंदिर में सब बराबर नहीं
न्यायव्यवस्था अमीरों और शासकों के पक्ष में तो
देश का सर्वांगीण विकास कभी नहीं।

Wednesday, September 26, 2018

तेरी मर्जी

प्रातःकाल प्रणाम।
--___ आज मेरे मन में उठे विचार।-
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प्रार्थना है परमेश्वर से
वह है तो
पौराणिक कथाओं -सा
असुरों को वर देकर
देवों को भगाने की कथाएँ
न दोहरावे।
यह कलियुग ऐसा ही रहेगा ---
समाज की गलत धारणा बदलकर
संताप देनेवाले , कर्तव्य छोड़नेवाले ,
सत्य को छिपानेवाले
गलत न्याय देने वाले
सब की आँखे खोल देना।
पौराणिक वेद मन्त्र के लोग
समाज को एक होने न दिया।
सबको सामान शिक्षा न दी.
परिणाम अब तूने दिखा दिया
आरक्षण नीति की बुद्धि दी ,
अब विप्रों को सरकारी सहूलियतें नहीं ,
भारतीय भाषाओं का कोई महत्त्व नहीं ,
खासकर दक्षिण में देव विरोधी की
मूर्तियां चौराहे पर ही नहीं
मंदिरों के आगे ,पास या सामने खडी हैं ,
तुझ पर का भय मिट गया.
भ्रष्टाचार की कमाई से
चांदी -सोने -हीरे - से सजाओ,
लोग तो भ्रष्टाचार भूल
तेरे चरण वंदना करेंगे ,
यह अंध भक्ति द्वारा
स्वार्थियों को लूटना आसान।
जगाओ, जगाओ,
तेरे चुप रहने से तेरा बदनाम होगा।
धूल में मिलेगा तुझपर का विशवास।
स्वार्थियों को लूटना बढ़ जाएगा।
तुम ऐसे भ्रष्टाचारियों से , स्वार्थों से
जग मिटाना चाहते हो तो तेरी मर्जी।
अशाश्वत संसार को स्वार्थ रोग से मुक्ति करो.
महानों के विचार जो अनुकरणीय हैं
उन महानों की समाधियों के साथ ही
गाड़ देते उनके शिष्य।

Tuesday, September 25, 2018

विषय? कथानक ?

स्वरचित  रचना ,
दिमाग टटोलकर ,
रचना  लिखने
ढूँढ  रहा  हूँ।

विषय? कथानक ?
बच्चे गैर कानूनी
कबीर हैं।  कर्ण  है।
निर्दयी  शिशु   हत्याएँ ,
 नदी में अवैध बच्चे को बहा देना ,
कन्या अपहरण ,

नपुंसक की शादी ,
 बहुत सोचता हूँ
सभी युगों की बात।
दूसरी  पत्नी को उठा लेना
  रावण तो
 छद्मवेष   में   अहल्या से इंद्र का सम्भोग शाप.
त्रेता युग , द्वापर  युग,  कलियुग
वैज्ञानिक  खोजों से
 युग तो परिवर्तित ,
बर्तन  नए नए धातु के
प्लास्टिक ,ग्लास , माइक्रो ओवन ,

पकाने  की विधि परिवर्तन ,
स्वाद  में  ,वास में
मूल तो वही,
कैसे आएगी नयी रचना?
खलनायक  एक सामान सभी युगों  में,
हथियार  तो   अब बन्दूक ,
तलवार  की निर्दयता   बन्दूक  से
पहले  आमने -सामने
अब चुपके  छिपके  ,
नयी कल्पना
नयी कहानी ,
कुछ भी नहीं ,
मैं सब में पुरानी
बातों  की  कल्पना
देखता   हूँ , प्रमाण भी दे   सकता हूँ.

शब्द

शब्द
स्वरचित
कुछ शब्द स्वर्गीय तो
कुछ शब्द नारकीय.
मल  माल होना
माल मल होना
एक लकीर
पाप बाप बने तो संकट.
भाप बादल बने तो वर्षा.
मन बिगडा तो मान चलाजाता.
 मद चलें तो मादा बनाता.
माता तो  माँ, मादा तो पशु विशेष.
उच्चारण  बिगड जाता तो
अर्थ  बदल जाता,
चिंता  चिता से   बुरी,
बिंदु के कारण  रोज जीना है
मर मरकर जीना पड़ता.
शब्द   का प्रयोग  सतर्क करना.
मधुर वचन मदिरालय.
 नशा प्यार का  चढाता.
कटुक वचन काट देता नाता -रिश्ता.
अश्वत्थामा का शोर,
कुंजरः का धीमा गुरु की हत्या
लकीर का बढना, शब्द का धीमा
कहानी  बदल देता.

Saturday, September 22, 2018

हौसला

हौसला लाजवाब रखते हैं,
हरिश्चंद्र की आत्म वेदना से
हौसला जवाब दे रखते हैं,
हौसला लाजवाब रखते हैं,
प्यार की अड़चनें गौरव हत्याएँ
प्रत्यक्ष  देख हौसला जवाब दे रखते .
प्रसव वेदना के वैराग्य समान,
भ्रष्टाचारियों को न वोट  देना का
संकल्प लेकर हौसला ला जवाब रखते हैं,
पाँच साल की अवधी में सब भूल
उन्हीं भ्रष्टाचारियों को फिर कुर्सी पर बिठाकर हौसला खो बैठे हैं,
फिर श्मशान  वैराग्य लेकर
हौसला लाजवाब रखते हैं.
 धोबी  का कुत्ता न घर का न घाट का
श्वान वैराग्य लेकर हौसला खो  बैठे हैं.
  हौसला लाजवाब रख क्रेडिट कार्ड
लाखों का कर्जदार बन
जिंदगी भर हौसला खो बैठे हैं

Friday, September 21, 2018

बाल गीत़़़आधुनिक बालक

बाल गीत
स्वरचित यस. अनंतकृष्णन

मैं हूँ बालक,
आधुनिक बालक
क्या कहूँ?
हर  नाते रिश्ते आते,
कहकर जाते
मेरा नन्हा मुन्ना संगीत
सीखा, वह संस्था 
सुपर सिंगर
की करती तैयारी.
दूसरा आता मेरे  मुन्ने
कराते में बोल्ट लिया,
तीसरा आता,
योगी वर्ग जाना
ताजा दिमाग एकाग्र चित्त,
सुविचार  कहते जाते.
मेरी छुट्टियाों का मजा,
खतम खतम खतम.
बीच में एक आया
अमेरिकन इंग्लिस,गणित
जो थोडा सा समय वह भी खतम्
मेरे दादा बहते रहते
बच्चे को खेलने दो.
जो समय मेंने निकाला
वह क्रिकेट कोच.
हो गया मेरा बचपन.

Tuesday, September 18, 2018

गोमाता

गो माता  जीवनाधार.
कुल   की माँ,
कुल की लक्ष्मी
कुल की शक्ति,
देवों की पुष्टि.
सब के सब देयताओं का
एकाकार गोमाता.
गो पूजा शास्त्रीय  पूजा.
गो  रक्षा  मानवीय लक्षण.
गोमाता शरणागतवत्सल.
गोमती शरणागत रक्षक.
माँ, तेरे भक्त मनोभिलाषा
पूरी कर लेता.
 गोमती नमः
 (स्वरित. अनंतकृष्ण द्वारा)

कार्यकर्ता पेट मारकर

सौ साल की एक संस्था
गांधीजी द्वारा स्थापित अब
अपने कार्यकर्ताओं का
एक महीने का वेतन काटकर
शताब्दी उत्सव मनाने 
सौ चुने हुए प्रतिनिधियों को
लेकर विमान द्वारा दिल्ली उड़ेगा।
विमान शुल्क का दान
मध्य वर्ग कार्यकर्ताओं के
वेतन काटकर।
परीक्षार्थियों से अनिवार्य दान शुल्क।
वेतन काट विमान यात्रा।
वेतन काट तोरण द्वार।
बाह्याडम्बर से ;सभा की आमदनी
आम लोगों में हिंदी प्रचार करने।
मैं अकेला न्याय की माँग कर रहा हूँ.
चुनाव जीते प्रतिनिधियों को
प्रचारकों के कठोर परिश्रम मालूम है,
पर स्वार्थ वश यात्रा शुल्क , बैठक शुल्क
लेकर मौज़ उड़ा रहे हैं,
हे ईश्वर ! ज़रा ध्यान देना।

सफलता . की और कदम.


Anandakrishnan Sethuraman एक वादा और झूठा ही सही ,
चाँद आऒ ,
खाना खिलाओ , 

बच्चा रो रहा है 
खाओ जल्दी , भूत आ एगा 
खाओगे या पुलिस बुलाऊँ। 

कार खरीदूँगा , ले जाऊँगा ,
मुन्ना! खाओ , राजा बेटा खाओ। 
सांताक्लॉस आएगा , खिलौना देगा। 
रात को आएगा ,सिरहाने के नीचे रखेगा। 
न सोओगे तो न आएगा। 
एक वादा झूठा ही सही ,

चुनाव आएगा,पिछले चुनाव का वही वादा,
फिर नए वादा की तरह ,

वादा एक और की तरह ,
नए की तरह झूठ ही सही ,
सफलता . की और कदम.

Saturday, September 15, 2018

तीन मिश्रित दवा --त्रि कटुकम

 
  तमिल भारत की प्राचीनतम भाषा है.
 इसमें शारीरिक रोग दूर करने  के सिद्ध वैद्य के ग्रन्थ हैं।
दूसरी ओर  मानसिक कमजोरी ,  अज्ञान  के रोग दूर करने
कई बातें  हैं.
उन प्राचीन ज्ञान के मार्गदर्शक  ग्रंथों में  "त्रिकटुकम"  एक हैं.
इस ग्रन्थ के कवि   हैं --नल्लातनार।
इस ग्रन्थ के महत्त्व जानने    इसका हिंदी अनुवाद सरल भाषा में कर रहा हूँ.
पाठकों से निवेदन है कि   इसकी कमियों को सूचित करें और खूब लिखने
के सुझाव दें.  अच्छा है तो प्रोत्साहन अपने दिलतल से करें।

       भारत देश के हर ग्रन्थ ईश्वर के प्रार्थना गीत से शुरू होता है.
कवि   नल्लातनार भी  विष्णु वंदना से इस ग्रन्थ का श्री गणेश किया है.
१, ईश्वर वंदना।
मूल-- कण अकल  ज्ञालं  अलंततुवुम  कामरु सीरत्तननुरूम
          पूंगुरुवं  सायंतततुवुम  -नन्निय
           मायाच्चकटम   उतैत्ततुवुम -इम्मूनृम
          पू वै पपूवणणन  अडि।
   
भावार्थ ;-- अखिल जग नापा,
              शीतल पुष्पों से भरे पुंग  गिराया,
                छल - वाहन  को लात मारा -
               इन तीनों  के कर्ता   विष्णु के
               चरण कमल की प्रार्थना से
                कर्म फल की अहित  होंगे  दूर.
                 **********************

   ग्रन्थ ---१.   अरुन्दतिक  कर्पिनार   तोळुं ,तिरुंदिय
                       तोल  कुडियिल माण्डार  तोडर्च्चियूम ,चोल्लिन
                       अरिल  अकटरूम  केल्वियार  नटपुम -इवै  मुनरूम
                        त्रिकटुकम पॉलुम मरुंतु।
                   
                        अरुन्दति जैसे पतिव्रता  के कंधे ,
                         भद्रजनों  की मित्रता ,
                          शब्द -दोष  मिटाने वाले
                          प्रश्न करनेवालों की दोस्ती
                           ये  तीनों त्रिकटुक जैसे दवा समझ।
*****************************************
३.    तन गुणं कुनरा  तकेमैयूम ,ता इल  शीर
       इन  गुणत्तार येविन  सेयतलुम ,नन गुणर्विन  
       नानमरैयाळर  वळिच्चेलवुम --इम्मूनृं
       मेल मुरैयाळर  तोलिल।
     
       अपने गुणों में अनुशासन रखना,
      श्रेष्ठ  लोगों की बात मानना -पालन करना
      वेदों के मार्ग पर चलना
      ये तीनों आचरण श्रेष्ठों का कर्म है.
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४.कल्लारक्कु  इन्ना  ओलुकलूम ,काळक्कोंडा
  इल्लालैक कोलाल  पुडैटत्तलूम ,इल्लम
 सिरियारैक कॉन्डु पुकलुम ,इम्मूनृं
अरियामै यान  वरुम  केडू।


   अशिक्षितों   की दोस्ती 
   पतिव्रता नारी को छड़ी से मारना-पीटना ,
  ज्ञान हीनों को अपने घर में रखना
 ये तीनों  अज्ञानतावश आनेवाले कष्ट हैं।
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जिंदगी है जोड़ना ,घटना ,गुणन करना ,विभाजन

दस साल की उम्र से पच्चीस साल की उम्र तक --ब्रह्मचर्य


बुरी आदतों को घटाना ,
अच्छी  आदतों  को  जोड़ना
कौशल बढ़ाने गुणन
अच्छे जीवन को विभाजित करना।

२.पच्चीस से  चालीस साल तक ----गृहस्थ
खर्च  कम   करना,
आमदनी बढ़ाना
बचत को गुणन करना
समृद्ध जीवन  विभाजित करना।
४१ से ५५ तक ------------------------
भोजन और इच्छाएँ   कम करना।
पैदल चलने को बढ़ा देना
हँसी  का गुणन
स्वास्थ्य जीवन  बना लेना
५६ से  मृत्यु तक --------------      
लालच , क्रोध ,दुश्मनी कम  कर लेना
प्यार बढ़ाना
आध्यात्मिक जीवन गुणन करना
नीरोग जीवन का मार्ग विभाजित करना

Friday, September 7, 2018

शिक्षा है अधूरी

शिक्षा  है    अधूरी।

इनिय  कालै  वणक्कम।
मधुर सबेरे  प्रणाम।
काल परिवर्तन
विचारों का परिवर्तन
शिक्षा  प्रणाली  में   परिवर्तन।
भोजन पोशाक में परिवर्तन।
जीवन प्रणाली में परिवर्तन।
विवाहिक जीवन
संयुक्त परिवार में परिवर्तन।
तलाक  मुकद्दमा
गैर शादी के मिलकर रहना
सम लिंग   मिलना
आम जगह  पर   चूमना

पशु -तुल्य जीवन जीने की
अदालती अनुमति।
 फिर जा  रहे  हैं    मनुष्य

स्नातक -स्नातकोत्तर   नंगे  पाषाण युग   की ओर !
  हत्याएं  नादान  बच्चों    की ,
   वजह   है     कामान्धता।
प्यार करो   न   हत्या  या तेज़ाब फेंकना
शिक्षा  का विकास ,  विश्व विद्यालयों की बढ़ती।
  अध्यापक  का अपमान , हत्या ,
पुलिस  का धन लालच
पर  बढ़ रहे हैं स्नातक - स्नातकोत्तर।
 अनुशासन , संस्कृति ,विनम्रता , सब्रता   के बगैर
शिक्षा  है    अधूरी।

Thursday, September 6, 2018

शिक्षा है अधूरी।

शिक्षा है अधूरी। इनिय कालै वणक्कम।
मधुर सबेरे प्रणाम।
काल परिवर्तन
विचारों का परिवर्तन
शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन।
भोजन पोशाक में परिवर्तन।
जीवन प्रणाली में परिवर्तन।
विवाहिक जीवन
संयुक्त परिवार में परिवर्तन।
तलाक मुकद्दमा
गैर शादी के मिलकर रहना
सम लिंग मिलना
आम जगह पर चूमना

पशु -तुल्य जीवन जीने की
अदालती अनुमति।
फिर जा रहे हैं मनुष्य

स्नातक -स्नातकोत्तर नंगे पाषाण युग की ओर !
हत्याएं नादान बच्चों की ,
वजह है कामान्धता।
प्यार करो न हत्या या तेज़ाब फेंकना
शिक्षा का विकास , विश्व विद्यालयों की बढ़ती।
अध्यापक का अपमान , हत्या ,
पुलिस का धन लालच
पर बढ़ रहे हैं स्नातक - स्नातकोत्तर।
अनुशासन , संस्कृति ,विनम्रता , सब्रता के बगैर
शिक्षा है अधूरी।

Tuesday, September 4, 2018

काले बिंदु पाकर वोट देने में

News Feed

सब दोस्तों को नाते रिश्तों को नमस्कार.
ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है.
जीना अति मुश्किल नहीं,
अति आसान.
भाग्यवानों के लिए .
अमीरों के यहाँ जन्म
राजकुमार सिद्धार्थ
भारतीय स्वतंत्रता प्रेमी नेता
आदि
राष्ट्र हित के लिए
अपना सर्वस्व न्योछावर कर
जनकल्याण की सेवा की.
आजादी के बाद भ्रष्टाचारियों को
चंद चाँद के टुकडों के लिए
नोट लेकर वोट देकर
पदाधिकारी बनाकर
दुखी है मतदाता.
सोचकर वोट देना
जीवन को आसान बनाना.
बिना विचारे पैसे लेकर वोट देना
मुश्किलों का न्योता देना.
जीना आसान जीना मुश्किल
काले बिंदु पाकर वोट देने में.

Monday, September 3, 2018

तभी देश का ,समाज का ,विश्व का भला होगा।


   क्या  भक्ति लौकिकता  के  साथ  कर सकते  हैं ?

आध्यात्मिक मार्ग  यह नहीं बताया कि  संन्यासी ही  ईश्वर भक्त हैं।

ईश्वर पत्नी ,मुनि पत्नी ,ऋषि पत्नी  पुराणों में  है.

मंदिरों  में गृहस्थ  जीवन को सुखी बनाने
 स्तम्भों में कामोत्तेजक मूर्तियाँ  हैं.

सिद्धार्थ ,शंकराचार्य ,रामानुजाचार्य,महावीर,ईसा मसीह ,मुहम्मद नबी आदि
दिव्य पुरुष हैं

  समाज में अत्याचार  जब चरम सीमा पर  पहुँचता  है,
हिंसा बढ़ जाता हैं ,मनुष्य रहम /दया रहित खूंख्वार  बनता है,
 तब दिव्य पुरुष  विश्व शान्ति के लिए ,
सामाजिक जागरण  के लिए ,
मानवता निभाने  के लिए
अहिंसा ,शान्ति ,परोपकार, दान -धर्म आदि  के  लिए   जन्म लेते  हैं.
ईश्वरीय  शक्ति  उनमें  जन्म  से  निहित रहती है.
ये लोग   मज़हबी भेद ,जाति  भेद ,संप्रदाय भेद ,ऊँच -नीच के भेद ,
रंग भेद  आदि मिटाकर मानव एकता के लिए ,
इंसानियत /मानवता जगाने के लिए प्रचार -प्रसार कार्य में लग  जाते  हैं.
मानव -मानव में समानता ,समान अधिकार ,समरस भावना जगाना ही उनका लक्ष्य हैं.

     लेकिन स्वार्थ के कारण  शासक और धार्मिक या मज़हबी
     गुरु या मार्गदर्शक  मानव -मानव में भेद उत्पन्न करके
  भगवान के आकार बनाकर ,
 निराकार  सर्व शक्तिमान
ईश्वर को  अलग अलग दिखाकर
मानव समाज को लूटकर सुखी जीवन बिता रहें हैं.
 मंदिर ,मस्जिद ,गिरजा के तहखानों में  छिपे रुपयों को
भ्रष्टाचारी शासक, धार्मिक नेता  भोग रहे हैं.
ये धन न विश्व हित के लिए ,न देश हित  के लिए ,न समाज हित  के लिए.

गरीबों के कल्याण के लिए उपयोग नहीं हो रहा  है.

भारत में पुराने मंदिर खंडहर हो रहे हैं.
 नए मंदिर वाणिज्य केंद्र बन रहे हैं.
 मंदिरों में  धनियों   का जितना महत्त्व हैं,
उतना गरीबों को नहीं है.

  अधिकारी ,पुजारी ,शासक , देवालयों  के ट्रष्टी
 जितना न्यायविरुद्ध अपहरण करते हैं ,
उतना ही देश  का सर्वनाश होता है ।
 प्रमाण हैं  पुराणों में वर्णित मंदिर
विधर्मियों से लुटे गए.
हमारे ही देश के द्रोही और स्वार्थ लोग
 विदेशों के साथ रहे.
 विदेशों को निमंत्रण भेजा।

  युवकों ! जागिये ! पहले आध्यात्मिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार, अपहरण ,लूट दूर कीजिये।
तभी देश का ,समाज  का ,विश्व का भला होगा।