Saturday, September 29, 2018

नियम शनैः शनैः नदारद.


सबको प्रातःकालीन प्रणाम. 
मन में उठी मान की बातें 
मेरी नहीं हमारे पूर्वजों की. 
युग युगों कर अनुकरणीय. 
सज्जन मानते,, अनुशासित मानते, 
ईश्वरानुरागी मानते.
सत्य प्रिय मानते
श्रद्धालु मानते,
समाज और राष्ट्र प्रिय मानते.
ईमानदार मानते,
ईश्वरप्रिय भक्त मानते.
पंचेंद्रिय काबू में रखो,
सिवा पत्नी- पति के
बाकी सबको सहोदर सहोदरा मानो.
आज उच्च अदालत की निंदनीय
भारतीय संस्कृति और चरित्र गठन की उल्टी बातें
समाज को बेचैनी करने की बातें
सब से मनमाना शारीरिक संबंध रखो
वह कानूनी विरुद्ध नहीं,
सनातन धर्म का परंपरागत
प्रथा तोड मंदिर में महिला प्रवेश
अब तलाक मुकद्दमा बढ रहा है,
बलातकार बढ रहा है,
भ्रष्टाचार बढ रहा है
न भय ईश्वर का
न कानून का
यथा राजा तथा प्रजा
नियम का सरकारी अधिकारी
न्यायाधीश, पुलिस, शिक्षक, चिकित्सक सब
अक्षरशः पालन कर रहे हैं
रिश्वत भ्रष्टाचार के गुलाम नहीं बेगार बन रहे हैं
पूर्वजों का धर्मासन, राजशासन का भय
भाग गया है. मंदिर की संपत्ति लूटी जा रही है
पूर्वजों का सत्य, ईमानदारी, दान धर्म
कर्तव्य परायण सब नदारद.
भारतीय भाषाएँ, भोजन व्यवस्था, धार्मिक नियम शनैः शनैः नदारद.
स्वरचितःयस. अनंतकृष्णन, चेननै,

भारत है महान, 
कई बातों में. 
कमी कई बातों में 
प्रधान कमी सहनशीलता. 
दूसरी कमी अंग्रेज़ों की माया में, 
पैसे के लोभ में,
उनके दास बन
भारतीय ही भारतीय भाषाओं का अपमान.
शांति प्रिय जनता यहाँ क्यों?
यहाँ पेट भरना आसान.
विदेश गया, वहाँ मौसम पाँच महीने सुहावना.
पतझड में पत्ते रहित पेड.
हमारे देश के समान न आम का पेड.
न अमरूद, न कटहल, न जटी बूटियाँ.
न तपस्या, न अनुशासन,
आज के वकील, न्यायाधीश, नेहरु सब
भारतीयता के विरुद्ध,
संयम के विरुद्ध,
अपराध, पतिव्रता के विरूद्ध,
भारतीय सनातन धर्म के विरुद्ध
फैसला सकते हैं हम यही है
हमारी कमी.
हम गाये हैं हिंदु मुसलिम सीख ईसाई,
पर वे कभी न दुहराते ऐसे भजन.
मुसलमान केवल अल्ला के बंदी,
न करते राष्ट्र गीत और न करते तिरंगा झंडे का वंदन.
बहुमत हिंदु की सबेरा
बेगार बने जाने का संकेत.
कमी देश की नहीं, मानसिक दुर्बलता की.
रचयिता :यस. अनंत कृष्णन.

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