Saturday, September 29, 2018

काव्योदय स्वीकृत कविता

(हंसाती है रुलाती है हमेशा आजमाती है)
पौराणिक कहानियाँ ,
हँसाती है , रुलाती है ,आ जमाती है ,
अनुशासित करती हैं , संस्कार देती हैं ,
भाग्य पर जीना सिखाती है,
त्याग पर जीना सिखाती है,
पर लौकिकता सुन्दर-और सुंदरियों
के प्यार के चक्र में , हंसाती है ,
आँख मारना, ओढ़नी का स्पर्श ,
पौरुष -स्त्रीत्व की कोमलांगन
आनंद या दुःख का पागलपन
दमयंती को रुलाया ,
रूप बदला नल का
हंसाती रुलाती आ जमाती
ईश्वर ध्यान ही अंतिम किनारा।
रचयिता ----यस। अनंत कृष्णन

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