Monday, September 3, 2018

तभी देश का ,समाज का ,विश्व का भला होगा।


   क्या  भक्ति लौकिकता  के  साथ  कर सकते  हैं ?

आध्यात्मिक मार्ग  यह नहीं बताया कि  संन्यासी ही  ईश्वर भक्त हैं।

ईश्वर पत्नी ,मुनि पत्नी ,ऋषि पत्नी  पुराणों में  है.

मंदिरों  में गृहस्थ  जीवन को सुखी बनाने
 स्तम्भों में कामोत्तेजक मूर्तियाँ  हैं.

सिद्धार्थ ,शंकराचार्य ,रामानुजाचार्य,महावीर,ईसा मसीह ,मुहम्मद नबी आदि
दिव्य पुरुष हैं

  समाज में अत्याचार  जब चरम सीमा पर  पहुँचता  है,
हिंसा बढ़ जाता हैं ,मनुष्य रहम /दया रहित खूंख्वार  बनता है,
 तब दिव्य पुरुष  विश्व शान्ति के लिए ,
सामाजिक जागरण  के लिए ,
मानवता निभाने  के लिए
अहिंसा ,शान्ति ,परोपकार, दान -धर्म आदि  के  लिए   जन्म लेते  हैं.
ईश्वरीय  शक्ति  उनमें  जन्म  से  निहित रहती है.
ये लोग   मज़हबी भेद ,जाति  भेद ,संप्रदाय भेद ,ऊँच -नीच के भेद ,
रंग भेद  आदि मिटाकर मानव एकता के लिए ,
इंसानियत /मानवता जगाने के लिए प्रचार -प्रसार कार्य में लग  जाते  हैं.
मानव -मानव में समानता ,समान अधिकार ,समरस भावना जगाना ही उनका लक्ष्य हैं.

     लेकिन स्वार्थ के कारण  शासक और धार्मिक या मज़हबी
     गुरु या मार्गदर्शक  मानव -मानव में भेद उत्पन्न करके
  भगवान के आकार बनाकर ,
 निराकार  सर्व शक्तिमान
ईश्वर को  अलग अलग दिखाकर
मानव समाज को लूटकर सुखी जीवन बिता रहें हैं.
 मंदिर ,मस्जिद ,गिरजा के तहखानों में  छिपे रुपयों को
भ्रष्टाचारी शासक, धार्मिक नेता  भोग रहे हैं.
ये धन न विश्व हित के लिए ,न देश हित  के लिए ,न समाज हित  के लिए.

गरीबों के कल्याण के लिए उपयोग नहीं हो रहा  है.

भारत में पुराने मंदिर खंडहर हो रहे हैं.
 नए मंदिर वाणिज्य केंद्र बन रहे हैं.
 मंदिरों में  धनियों   का जितना महत्त्व हैं,
उतना गरीबों को नहीं है.

  अधिकारी ,पुजारी ,शासक , देवालयों  के ट्रष्टी
 जितना न्यायविरुद्ध अपहरण करते हैं ,
उतना ही देश  का सर्वनाश होता है ।
 प्रमाण हैं  पुराणों में वर्णित मंदिर
विधर्मियों से लुटे गए.
हमारे ही देश के द्रोही और स्वार्थ लोग
 विदेशों के साथ रहे.
 विदेशों को निमंत्रण भेजा।

  युवकों ! जागिये ! पहले आध्यात्मिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार, अपहरण ,लूट दूर कीजिये।
तभी देश का ,समाज  का ,विश्व का भला होगा।












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