Sunday, September 30, 2018

सत्य शाश्वत, असत्य अशाश्वत

प्रात: कालीन प्रणाम।
संसार स्वर्ग है,
संसार नरक है
संसार नश्वर है,
संसार अनश्वर है
संसार लौकिक है,
संसार अलौकिक है।
गंभीरता से सोचो,
जानो,समझो,पहचानो,
पता चलेगा, कैसे?
मौसमी परिवर्तन स्थाई।
फल फूल पत्ते अ्स्थाई।
काम क्रोध मंद लोभ स्थाई,
अंतर्मन में वास कर जीनेवाले अस्थाई।
वनस्पति,जीव जंतुओं, मनुष्य रचना स्थाई।
रचकर नष्ट करने की ईश्वरीय लीला स्थाई।
मनुष्य का रूपरंग गुण भाषा सब के सब
परिवर्तन शील , अमानुषय शक्ति स्थाई।
गुण शाश्वत,सत्य शाश्वत, अवगुण असत्य अशाश्वत।
स्वरित अनंत कृष्णन.


No comments:

Post a Comment