Friday, September 28, 2018

स्वर्ग भोग

प्रातः कालीन प्राणाम।
आज के उदित विचार
स्वरचित से। अनंतकृष्णन द्वारा
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धन जोड़ ,धन जोड़ ,
मान छोड़  ,मन छोड़ ,
धन  जोड़ , धन जोड़
न  डर   ईश्वर से ,
प्रधान मान  धन  ही  जीवन।
दुर्बलों को सता ,
बेगार  को सता ,
आनंद सदा  पाओ ,
जोड़ते अधिक , पर
समाज  का शाप भी ,
ईश्वर  का   कोप भी ,
अपने पाप जुड़ जाता।
बढ़ती उम्र रोक नहीं सकते।
जोड़े धन ,पर  शिथिलता  तन
बुढ़ापा ,सफेद बाल
वापस  न दे सकता।
धन जोड़ धन जोड़
मान  छोड़ ,मन छोड़ ,
मनमाना करके
धन जोड़ धन जोड़।
लौकिक सुखों  को खूब भोग।
यम  धर्म राज ,
ईश्वर का क़ानून
लेगा  तेरी जान।
सोच समझ पुण्य काम कर.
धन जोड़ ,पर
तन छोड़ते समय
न विज्ञान ,न चिकित्सक
कोई  भी साथ न देगा।
सोच -समझ  आगे बढ़.
पुण्य जोड़ ,पुण्य जोड़ ,
भूलोक में स्वर्ग भोग।
धन जोड़ने से न होता संतान
धन से न होता आत्म शान्ति
धन से न मिलता कला की पटुता।
रोया कृष्ण भी  राम भी रोया ,
मार नबी को पत्थर का 
ईसा को शूली का कष्ट ,
सत्यवान हरिश्चंद्र दुखी
पर उन्हीं के नाम  लेकर
सदाचार शान्ति का प्रचार।
दान -धर्म मानवता अनुशासन
सुशासन  का प्रोत्साहन -प्रेरणा।
सोच समझकर इंसानियत का  पालन कर.

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