आज भगवान के सामने
चुप बैठने के विचार में बैठा.
चंचल मन में कई प्रकार के विचारों का ज्वार भाटा ,
रोकना कितना मुश्किल.
इतने में गोद संगणक की माया ,
मुझे न छोडी.
भक्ति आजकल दिन ब दिन
बढ़ती जा रही है.
मंदिरों की संख्या बढ़ रही हैं.
हर एक मंदिर की मूर्तियाँ कितना सुन्दर ,
ऐसा अलंकार , देखने में ऐसा लगती हैं
सद्यः फल दे देंगी.
मंदिर के देव -देवी दर्शन से कितना आत्म संतोष.
मंदिर जाने के पहले , दर्शन के बाद ,
मन में कितना परिवर्तन.
हमारे दुखों को भगवान मान लिया.
आगे हम निश्चिन्त जीवन में आगे बढ़ेंगे.
एक प्रकार का धैर्य ,साहस , पौरुष , दृढ़ता ,
हमारे पूर्वज कितने भविष्य दर्शी होते हैं.
सुख ही सुख मिल जाता है.
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