Tuesday, May 1, 2018

आज के भक्ति चिंतन.


  आज भगवान के सामने
चुप बैठने के विचार  में  बैठा.
 चंचल  मन  में कई प्रकार   के विचारों का ज्वार भाटा  ,

  रोकना कितना मुश्किल.
इतने में गोद संगणक  की   माया ,
मुझे  न छोडी.

  भक्ति आजकल  दिन ब दिन 

  बढ़ती जा रही  है.

मंदिरों की संख्या बढ़ रही  हैं.

हर  एक  मंदिर की मूर्तियाँ  कितना सुन्दर ,

ऐसा अलंकार , देखने  में ऐसा  लगती हैं

 सद्यः फल दे देंगी.

 मंदिर के देव -देवी दर्शन  से कितना  आत्म संतोष.

मंदिर  जाने  के पहले , दर्शन  के    बाद ,

मन में कितना  परिवर्तन.
हमारे  दुखों  को  भगवान   मान  लिया.
   आगे  हम निश्चिन्त जीवन में आगे   बढ़ेंगे.
एक प्रकार  का धैर्य ,साहस , पौरुष , दृढ़ता  ,
  हमारे पूर्वज  कितने भविष्य दर्शी   होते  हैं.
सुख ही सुख मिल  जाता  है.

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