Saturday, February 22, 2020

भूल

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक को तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम ।
  शीर्षक  -भूल।
   भूल के दो अर्थ
    गल्तियां-विस्मरमण।
भूल चूक होना सहज।
  जान -समझकर भूल करना।
   दंडनीय।
 भूल गया  सब कुछ ।
याद नहीं  अब कुछ।
प्यार  करने की भूल
नारी तो भूल  जाती।
नर पागल क्यों  बन जाता।
 कुंती की भूल ,
 कर्ण  की चिंता।
कर्ण  का अपमान।
सभा में  अपमान।
कबीर  का लहर तालाब  पर फेंकना।
ये ऐतिहासिक  भूलें  भूलना
सुशासन में  भूलें।
परीक्षा  में  उत्तर की भूल।
 कृतज्ञ  मत भूल।
कवि तिरुवळ्ळुवर
कृतज्ञता  कभी न भूल।
ऋण चुकाने  मत भूल।
 भूल से दंड,
 भूल से कम अंक।
 भूल से गर्भ धारण
 आजीवन दंड  शोक जान।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम स्वीकार

No comments:

Post a Comment