Thursday, November 2, 2023

प्रेम निभाना

 बस इस जन्म बंधन का साथ निभा देना।

आधुनिक युवकों, युवतियों,

आधुनिक ताज़ी खबरें

अति दुखप्रद और चिंतनीय।

सम्मिलित परिवार नहीं,

 वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या।

 ताज़ी खबरें तलाक के मुकद्दमे अधिक।

अवैध संबंध,

  अपने नन्हें बच्चे की हत्या तक।

अपनी प्रिय पति या पत्नी की हत्या तक।

पाश्चात्य प्रभाव  त्याग मय प्रेम  नहीं,

 सनातन प्रेम में त्याग अधिक,

निस्वार्थ बंधन, त्याग की सीख।

न प्रधान शारीरिक सुख का,

 न स्वार्थ मय जीवन ।

 बस पारिवारिक बंधन,

वैवाहिक बंधन हो गया तो

अंत तक प्रेम निभा देना।

 संयम में है जीवन।

बस इस जन्म साथ निभा देना।।

 जीवन में सुखी कोई नहीं,

न राम,न सीता, न लक्ष्मण,न उर्मिला,

न सिद्धार्थ,न यशोधरा।

न शकुंतला, न दुश्यंत।

कारण न बंधन निभाया।

सोचो, समझो,

बस इस जन्म बंधन का साथ निभा देना।

एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक स्वरचनाकार स्वचिंतक।

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