नमस्कार।
कोरा कागज।
मैं कोरा कागज़ हूँ।
जब तक कोरा कागज़ रहा,तब तक किसी ने मुझे छुआ तक नहीं।
एक लडके ने प्रेम पत्र लिखा,तो
वह लडकी के बुआ के हाथ में लगा।
परिवार के सभी सदस्य पढने लगे।
फिर लडके के बाप,लडके के परिवार वाले,गालियाँ, ऐसी गालियाँ, तू तू मैं मैं ,मारकाट।
अंत में लडके मुझे मुख में डाल कर निगला दिया।
मैं कोरा ही रहता तो साफ साफ बच जाता। दोनों परिवार की बेचैनी मैं। उचित दंड मिल गया। कोरा रहना ही एक कागज के लिए अच्छा है।वैसे मानव मन के लिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण
कोरा कागज।
मैं कोरा कागज़ हूँ।
जब तक कोरा कागज़ रहा,तब तक किसी ने मुझे छुआ तक नहीं।
एक लडके ने प्रेम पत्र लिखा,तो
वह लडकी के बुआ के हाथ में लगा।
परिवार के सभी सदस्य पढने लगे।
फिर लडके के बाप,लडके के परिवार वाले,गालियाँ, ऐसी गालियाँ, तू तू मैं मैं ,मारकाट।
अंत में लडके मुझे मुख में डाल कर निगला दिया।
मैं कोरा ही रहता तो साफ साफ बच जाता। दोनों परिवार की बेचैनी मैं। उचित दंड मिल गया। कोरा रहना ही एक कागज के लिए अच्छा है।वैसे मानव मन के लिए।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण
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