Saturday, June 29, 2019

भक्ति

संचालक, संयोजक,  सदस्य, पाठक आदि  सबको  नमस्कार।
   न जाने,
  भावाभिव्यक्ति हो,
  ईश्वर  दर्शन हो,
 सब में  नवीनीकरण लाना
भूलोक नियम।
नंगा   घूमा  करते थे,
वस्त्र पहने, निराकार  परब्रह्म
की उपासना की।
सूर्य, चंद्र, नक्षत्र ,नदी,
जंगल  की प्रार्थनाएँ कीं।
खेद की बात  है  कि
होशियारी के
 बढते  -बढते,
पवित्र  मानव  मन
अपवित्र  बनने  लगा।
भक्ति  में  बाह्याडंबर।
सोने चाँदी  का महत्व।
भूल गए हैं  :-मन चंगा तो कटौती में गंगा।

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