Saturday, June 1, 2019

जय अजय

अजय  संचालक को  प्रणाम ।
 भूलोक जीवन में,
नहीं  कोई  अजय।
राम तो अजय नहीं,
अपने जीवन में
पराजित राम।
कृष्ण अपने अवतार में
जय पर छल षडयंत्र
नाम कलंकित कर्ण के कारण।
शंकराचार्य  तो नामी,
एक चांडाल के सवाल से पराजित ।
 कौन अजय संसार में,
केवल युद्ध  में  जय अजय नहीं,
निजी जीवन में  भी चाहिए अजय।
सत्य सम्राट  हरिश्चन्द्र,
अजय है क्या ?
हरिश्चंद्र  अजय है
तब तो  सत्यवान
अगजग के लोग होना चाहिए ।
ठगों की संख्या  बढ़ना,
प्रार्थना  में  प्रायश्चित  का डर।
शासक के भ्रष्टाचार  ,
अतः सत्य  हार गया।
देवताओ   को भी,
मानव  दधिची की
रीढ़  की हड्डी
माँगने पडी।
शिव भस्मासुर  को वर देकर
शिव को बचाने विष्णु  को
मोहिनी अवतार  लेना पडा।
मुहम्मद भी अपने सद्व्यवहार  से
सब का मुहब्बत  पा न सके।
ईसा भी अपनी ओर
सब को खींच न सके ।
आध्यात्मिक  मजहबी नेता,
मनुष्यों  में  भेदभाव  उत्पन्न  कर
शांति  स्थापित  करने में  हार गये।
अजय कोई  नहीं  अगजग में ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं

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