Saturday, June 22, 2019

स॓सद

संसद और सांसद को प्रणाम।
साहित्य  संसद में
न शासक दल
न विपक्षी  दल।
पाठक  हैं 
जिनकी रचना उत्कृष्ट  ,
उनको मिलते
वाह !वाह!शाबाश!
उनमें  भी आजकल
अपने अपने प्रिय  जनों  के समर्थक।
रूढीवादी कवि,
छंद नियम न तो तिरस्कार।
नव कविता 
मेरे जैसे
अध्पक ।
 अधजल गहरी
छलकत जाय।
साहित्य  संसद में  भी
सरस्वती  वरदान  के पुत्र।
कवि गायक ईश्वर करुण  सा।
लिखते बहुत,
पर पढते कर्ण कठोर।
लिखते नहीं,
पर गाते अति मधुर।
भाषा भी नहीं जानते।
पर सठीक उच्चारण,
अपनी मातृभाषा  से श्रेष्ठ।
 ये  स्वर वाणी के पुत्र।
कवि को
भुलवाकर 
खुद लेते नाम।
गद्य  लेखक, संवाद 
लेखक  के नाम
नहीं  जानते ।
अभिनेता अभिनेत्री  बनते
मुख्यमंत्री। शिक्षा  मंत्री।
अपना अपना  भाग्य।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं।

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