स॔योजक ,संचालक, व्यवस्थापक,पाठक,सदस्य, चाहक सबको प्रणाम।
शीर्षक : दरिंदा
शेर,बाघ,चीता,आदमखोर।
जान सकते हैं।
मगर,पहाड़ी साँप,निगलनेवाले जंतु,
नर सतर्क रह सकता है दरिंदों से।
पर मानव से सतर्क रहना।
अति मुश्किल ।
दरिंदा तो माँसाहारी,
मानव तो सरवाहारी।
सतर्क रहना कैसे?
मंद हास मन दरिंदों से अति भयंकर।
भक्त बन दुखियों की दुर्बलता का लूट।
नेता बन निर्दयी व्यवहार।
क्या करूँ पता नहीं? भ्रष्टाचार, रिश्वत
दरिंदा से सौ गुना बेरहमी।
चित्र पट समाज का दर्पण है तो
खलनायक आजकल पुलिस को
कठपुतली बनाकर मनमाना,
मंत्री के लिए मजदूरी सेना,
अशोक के जंगली मूँछों से
अति डरावना व्यवहार।
दरिंदा भला मानव दरिंदों से।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।
शीर्षक : दरिंदा
शेर,बाघ,चीता,आदमखोर।
जान सकते हैं।
मगर,पहाड़ी साँप,निगलनेवाले जंतु,
नर सतर्क रह सकता है दरिंदों से।
पर मानव से सतर्क रहना।
अति मुश्किल ।
दरिंदा तो माँसाहारी,
मानव तो सरवाहारी।
सतर्क रहना कैसे?
मंद हास मन दरिंदों से अति भयंकर।
भक्त बन दुखियों की दुर्बलता का लूट।
नेता बन निर्दयी व्यवहार।
क्या करूँ पता नहीं? भ्रष्टाचार, रिश्वत
दरिंदा से सौ गुना बेरहमी।
चित्र पट समाज का दर्पण है तो
खलनायक आजकल पुलिस को
कठपुतली बनाकर मनमाना,
मंत्री के लिए मजदूरी सेना,
अशोक के जंगली मूँछों से
अति डरावना व्यवहार।
दरिंदा भला मानव दरिंदों से।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।
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