Sunday, June 23, 2019

सूचित।

परिषद को नमस्कार।
लघु कहानी।
  आधुनिक  शिक्षा  गुरु  केंद्रित  नहीं  है।
छात्र  केंद्रित।
छात्रों  को पीटने,गाली देना,जाति के नाम  से
अपमानित  करना मना है। फिर  भी  आवेदन  पत्र  भरते समय जाति  बताना,जाति प्रमाणपत्र  नत्थी  करना जरूरी  है।
हर साल सूचित अनु सूचित,पिछडे वर्ग,बहुत  पिछडे वर्ग छात्रों  की सूची  भेजना प्रधान अध्यापक का कर्तव्य  है।
कभी कभी हर वर्ग  में  जाकर छात्रों  से उनकी सूची माँगनी पडती है।
नाम न छूटे, इसपर ध्यान देना चाहिए।
 गरीब  उच्च वर्ग  छात्रों  को छात्रवृत्ति  नहीं।
 जब मैं  स्कूल  में  पढता था,न पढने पर कठोर  दंड, अनुशासन  भंग  होने पर  कठोरता सजा।
आजकल छात्र  नहीं, शिक्षक डरते हैं।
सोचा, हमारा जमाने  में
पक्षपात  का व्यवहार  था।पर भक्त  प्रह्लाद  के गुरु  भी राजा हिरण्यकषिपु के डर से
सिखाते थे।
द्रोण भी पक्षपात करते थे।
आजादी  के बाद  तो
अमीरी-गरीबी स्कूल,  बडे रई सोंचकर का स्कूल  ।संविधान  के सामने सब बराबर है।
पर व्यवहार  में  भगवान  के मंदिर  में  भी नहीं, यों
सोचते सोचते  सरकार  और समाज  की निंदा  करते हुए  वर्ग  की ओर जा रहा था।
 तब  गुंडे नामक छात्र
नमस्ते जी कहा।
सर, आपसे कुछ  कहना है। मेरा नाम  अनुसूचित 
जाति  की सूची  में  है।
मेरे दो भाई अभियंता है।
एक बहन डाक्टर  है।
पिता जी  राजनीतिज्ञ  हैं।
सांसद  भी है।
अतः मेरी छात्रवृत्ति  लेकर   जगदीश  अति गरीब  ब्राह्मण  लडके को दीजिये। वह होशियार  भी है। यह तो नियम विरुद्ध  है। नहीं  कर सकते।  फिर  भी मैं ने गुंडे की प्रशंसा  की।
ऐसे ही समाज  आत्मचिंतन से सुधारना है।ये राजनीतिज्ञ वोट  के लिए  मनुष्य  मनुष्य  में  समानता  लाना नहीं  चाहते।  आजादी  के बाद   सत्तर साल में  वोट  के लिए  सूचित जातियों  की सूची  बढती रहती है।
कारण वोट और नोट।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्ण की प्रार्थनाएं ।

No comments:

Post a Comment