कलम की यात्रा।
संचालक को नमस्कार।
शीर्षक: रोजी-रोटी।
जग में सृष्टित
जीव राशियाँ,
वनस्पति जगत,
सबको जीने चाहिए रोजी रोटी।
सबको संघर्ष
करना पड़ता है
तभी मिलता खाना।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव को
अति संघर्ष करना है।
कच्चा नहीं खा सकता।
पकाना है ,मेहनत आग में तपाना है, तभी मिलता खाना।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्णन।
संचालक को नमस्कार।
शीर्षक: रोजी-रोटी।
जग में सृष्टित
जीव राशियाँ,
वनस्पति जगत,
सबको जीने चाहिए रोजी रोटी।
सबको संघर्ष
करना पड़ता है
तभी मिलता खाना।
ज्ञान चक्षु प्राप्त मानव को
अति संघर्ष करना है।
कच्चा नहीं खा सकता।
पकाना है ,मेहनत आग में तपाना है, तभी मिलता खाना।
स्वरचित स्वचिंतक
यस अनंत कृष्णन।
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