Thursday, July 4, 2019

कुकुरमुत्ता

परिषद को नमस्कार।
 सत्य मार्ग-असत्यमार्ग
 पाप पुण्य जानकर भी
ईश्वर की ही देन।
कुकुरमुत्तों में  भी
ईश्वर  की सृष्टि  में
 भेद  अनेक।
खाद्य योग्य, विषैला।
मनुष्य  तो चतुर खाने योग्य को खाता है,
विषैला  छोड देता।
पर स्वार्थ वश, भ्रष्टाचार
रिश्वत, बाह्याडंबर, धन को तहखाने में  रखना
आदि कुकर्म करने का
विषैला  कुकुरमुत्ता
मन में
पल कर
हरे भरे  पेड़ों को
काटने देता।
 क्यों  मनुष्य  बुद्धि  ऐसी तो  विलोम बुद्धियाँ भी
ईश्वर की  ही देन।
कुकुरमुत्ता  कैसे
 चुनते हैं, वैसे ही
गुण अपनाकर  अव गुण
तजना ही  मनुष्यता का
 मर्म स्पर्श गुण  है।
स्वरचित स्वचिंतक :यस अनंत कृष्णन।
 प्रार्थनाएं

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