Tuesday, July 16, 2019

स्कूली जीवन,

कलम की यात्रा के संचालक को नमस्कार। 
स्कूली जीवन,
हमारे बचपन में बडा आनंद। 
एक नोट बुक,
एक स्लेट, एक पेंसिल बस,
पाँचवीं 
कक्षा तक।
आज के बच्चे 
बोझ ढोकर जाते हैं। 
हम घर आकर खुशी-खुशी खेलते थे । 
आज के बच्चे, 
ट्यूशन जाते, 
कराते,कीबोर्ड 
हरफनमौला बनने बनाने 
अधिक कष्ट देते 
आज के स्कूली जीवन यंत्र मय।
घर से स्कूल बस,स्कूल से घर तक बस ।
न दोस्तों से मिलना जुलना। 
मोबाईल हाथ में बस।
क्या लिखूँ स्कूली जीवन ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंत कृष्णन।

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