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Saturday, July 6, 2019

रवि

कलम की यात्रा
नमस्कार।
रविचंद्र  नाम है,
आदित्यचंद्र नहीं सुना।
भानुमति नाम है,
रविपति नहीं।
आदित्य चंद्र नहीं।
सूर्य प्रकाश है,
रवि प्रकाश  नहीं,
रवि किरण है,
यह जुडवा ध्वनि मेल
भाषा वैज्ञानिक को भी चकित करती।
 बगैर दिनकर के
 वर्षा नहीं ।
बिना सूर्य प्रकाश के
हरियाली  नहीं।
सूर्य  तापमान बढें तो
सहना मुश्किल।
आदित्य वार में छुट्टी का आनंद ।
अहर्निशं सेवा महे  आदित्य देव
आराम हराम,परोपकार की भावना
आदित्य का संदेश।
स्वरचित स्वचिंतक
अनंत कृष्णन।

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