Thursday, July 25, 2019

डाकिया

मुख्य
 सह
संचालकों को प्रणाम।
डाकिया
जब मैं  बच्चा था
तब मेरे माँबाप,
दादा-दादी
डाकिये की राह देखते।
मैं  भी देखता।
आज के संचार क्रांति  डाकिये का महत्व कम कर दिया।
मोबाइल के आगमन तुरत खबर विश्व भर
ईमेल,वाट्साप,
फेस बुक, कूरियर,
डाकिये को
नौ दो ग्यारह बना दिया।
आगे राजा-रानी कहानी बन जाएगी।
डाकिया  परीक्षा फल  लाया,
आज अंतर-जाल।
 गाँवों  में, छोटे शहरों  में  उसका ज़रा महत्व है ,
चेहरे  देख,
बोलने के जमाने में,
डाकिये की यादों की बारात कलम की यात्रा निकाली।
तार शब्द
कंपाता,रुलाता,
केवल मृत्यु संदेश ही लाता।
बधाई तार
बदला वह मनोविकार।
डाकिये  मेरा
साक्षात्कार पत्रलाया।
डाकिये  मेरा नियुक्ति पत्र लाया।मेरा प्रेम पत्र लाया।
मनीआर्डर लाया।
 धन्य है डाकिया।
धन्यवाद के पात्र हैं  आज के कलम की यात्रा के संचालक ।
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन।

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