जिंदगी
ईश्वर के ध्यान में बिताना
भारतीय शिक्षा।
त्याग ही जीवन।
वस्त्र शस्त्र के त्यागी संत।
शास्त्र रचकर
संयम का मार्ग सिखाये।
पश्चिम के भोगी आए।
कब ?
जब भक्त का मन
मनमाना भोग भर चला।
संयम तजा।
स्नातक स्नातकोत्तर
पर मधुशाला का व्यापार बढा।
भक्त संख्या बढा
पर शांति न मिली।
ईश्वर की मूर्ति के दर्शन
पैसे पद के बाह्याडंबर द्वारा।
भूल गये भक्त मन चंगा तो कटौती में गंगा।
ईश्वर के ध्यान में बिताना
भारतीय शिक्षा।
त्याग ही जीवन।
वस्त्र शस्त्र के त्यागी संत।
शास्त्र रचकर
संयम का मार्ग सिखाये।
पश्चिम के भोगी आए।
कब ?
जब भक्त का मन
मनमाना भोग भर चला।
संयम तजा।
स्नातक स्नातकोत्तर
पर मधुशाला का व्यापार बढा।
भक्त संख्या बढा
पर शांति न मिली।
ईश्वर की मूर्ति के दर्शन
पैसे पद के बाह्याडंबर द्वारा।
भूल गये भक्त मन चंगा तो कटौती में गंगा।
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