Thursday, August 10, 2023

भारतीय भाषा विचार धारा

 भारतीय भाषा विचारधारा।

नमस्ते ।वणक्कम्।
सोचो,समझो ,अपने को सुदृढ बनाओ ।
पहले हिंदुओं का बल केवल ईश्वरीय देन ,
भाग्य पर विश्वास ।
हिंदू भक्त त्यागी भोगी नहीं ।
नंगे भक्त,कौपीन धारी,अर्द्ध नग्न भक्त ।
अनासक्त,अलौकिक आध्यात्मिक विचार ।
राजपद तजकर तपमें लीन ।
अधिकार का कल्याण अस्थिर.
जगत्मिथ्या ब्रह्म सत्यम् ।
मृत्यु लोक जन्म अस्थाई जीवन मरण ।.
साधु संत ऋषि मुनि का जीवन
करतल भिक्षा करतल वासा ।
तरु तले तपस्या,लौकिक चाह रहित जीवन।
भारत तो भूलोक स्वर्ग।
जीव नदियाँ,झील,
हरियाली घाटियाँ.
एक बडी कमी,
आत्म निर्भरता कम्,
परावलंबि अधिक ।
तुलसीदास का कथन ---
आलसी ही देव देव पुकारा ।
कर्म मार्ग कर्तव्य मार्ग ।
मालिक बन जिम्मेदारियाँ उठाने से
नौकरी बन जीना अति पसंद।
अंग्रेजी आये प्रतिभा शाली पंडित
संस्कृत वेद मंत्र तज, संस्कृत छोड
सद्यः फल के लिए अपनी परंपागत
पोशाक,खान -पान छोड
वकील बन विलायत जाने लगे ।
खेद और अपमान की बात
भारतीय अंग्रेजों के सैनिक बन,
भारतीयों को ही मारने लगे।
साहित्य के वीरगाथा काल से
आज तक जिसका खाना,उसका गाना ।
नारायणय नमः तजकर, हिरण्याय नमः
केवल प्रह्लाद के सिवा बाकी डर रहे थे ।
आसुरी शक्ति बढी, देव काँप रहे थे ।
आज भी सांसद और विधान सभा में अपराधी अधिक ।
सौ करोड रुपये खर्च,
मतदता पाँच हजार रुपये लेते देते
भ्रष्टाचारी,रिश्त खोरी बन जाते सांसद विधायक ।
सरकारी अधिकारी बन जाते कठपुत्लियाँ ।
न सोचती जनता,
सब के सब ईश्वर की सूक्ष्म लीला ।
यों चलना सही नहीं,
चित्रपट गाना, जिसका अभिनेता युवकों के प्राण प्रिय नेता
पियक्कड बन गाता है,
शासक जो भी बने ,राम या रावण
मेरी कोई चिंता नहीं ।.
दूसरे कवि का गाना --
बच्चों को जन्म लेकर शादी करेंगे या साथ जीवन बगैर शादी के बिताएँगे.
अनुशासन भंग,संस्कार संस्कृति भंग ।
हिंदू ही परिवार नियोजन, हिंदू ही गर्भ विच्छेद.गर्भ पतन ।.
मुगल , ईसाई ग्रंथों में महा पाप।.
उनकी जन संख्या बढ रही है ।
उनकी क्रांति अपने मजहबी लोगों की संख्या बढाना ।
हमें जागना है, जगना है.जागृति आवश्यक है ।
साहित्याकारों को धन नहीं,
धनियों को साहित्यकारों के प्रोत्साह देने मन नहीं।
भारतीय भाषाओं के माध्यम नौकरी नहीं ।
बगैर भारतीय भाषा ज्ञान के जीना संभव.
बगैर अंग्रेजी के जीना असंभव।
एस. अनंतकृष्णन,
स्वचिंतक,स्वरचनाकार,अनुवादक,तमिलनडू का हिंदी प्रेमी प्रचारक ।

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