Saturday, August 12, 2023

प्रकृति

 प्रकृति और हम शीर्षक पर

एस.अनंत कृष्णन, 

चेन्नई की रचना।

++++++ 

प्रकृति प्यार करेंगी तो

 हमारा जीवन शांति पूर्ण।।

 प्रकृति कुपित है तो अशांति ।।

 कारण है हम मानव।।

नदियों में, झीलों में 

 मोरों का पानी।

  पहाड़ों पर  इमारतों की संख्या।

झीलों में मिट्टी भरकर   इमारतें।

  कारखानों  में धुएँ,

 वाहनों में धूएँ।

वायु प्रदूषण।

चित्र पट के संवाद,

मोबाइल में  अश्लील चित्र गीत।

प्रकृति का प्रदूषण ,

 विचारों का प्रदूषण।

परिणाम  स्वरूप

 प्रकृति कुपित

सुनामी,कैराना,भूकंप,

संक्रामक कीटाणुओं का आक्रमण।

गंगा जल पवित्र है,

पर किनारे पर मिनरल वाटर बोतल।

 हर वस्तु में मिलावट।

प्रकृति बनाती हमें।

 प्रकृति बिगाडती हमें।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।


स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक 





 

 






 तिरंगा झंडा भारत ही का।

दिल से प्यारा, जान से  प्यारा।।

त्याग है केसरिया,

 स्वतंत्रता संग्राम के शहीद स्मारक।

तन,मन,धन,प्राण अपना सर्वस्व 

 तजकर  शहीदों ने  आज़ादी दिलायी।।

 सफेद है शांति का , 

समझौता का

 संधि का चिन्ह।

 चक्र है प्रगति का ,

 आगे बढ़ने का,

 विस्तृत मार्ग चलने का।

हरियाली का,समृद्धि का।

 झंडा है हमारा तिरंगा,

जान से प्यारा।।

 एस.अनंतकृष्णन।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।।

No comments:

Post a Comment