धर्म और मजहब।
मानव को ठगना आसान।
ऐसे हैं अंध भक्त।
गेरुआ कपड़ा पहनो,
संन्यासी के छद्मवेश धारण करो।
श्रीराम जयराम की पत्नी भी
रेखा पार कर चलती,
रावण उठाकर ले सकता,
वह भी शिव का अनन्य भक्त।।
देवों का राजा इंद्र अहिल्या से
कर सकता है बलात्कार,
फिर भी वह देवेंद्र।
कलियुग में आसान
आसानी से स्त्रियों,
आसाम राम की साथ दे सकती।
नकली पाखंडी त्रेता युग में भी।
भले ही कुरु क्षेत्र धर्म क्षेत्र।
पर कुंती का कर्ण तजना,
कृष्ण का जल,
एकलव्य का गुरु दक्षिणा,पर
ग्रंथ धर्म ग्रंथ।
गुहन,शबरी की मित्रता
अछूत छूत भेद मिटाना।
त्रेता युग, द्वापर युग में कलियुग
तीनों युगों में बलात्कार।
जनसंख्या के अनुसार
अपराधी अधिक।
कलियुग में चित्रपट, मोबाइल,
फ़ेसबुक यूट्यूब सब में
शैतानियत अधिक।
देवत्व कम।
वैज्ञानिक देन अभिशाप भी वरदान भी।
शैक्षणिक पाठ्यक्रम
धन कमाने की ओर।
न धर्म करने की ओर।
सोचो समझो जानो पहचानो।
अधर्म कर्म से अशांति,बेचैनी।
धर्म कर्म में शांति चैन संतोष।
अच्छाई अपनाओ,
बुराई तजो।
दानवता छोड़ ,
मानवता अपनाओ।
भगवान के नाम पर
धोखा ही ज्यादा।
ढोंगियों अधिक।
संतान भाग्य का अभाव,
सर्प दोष नहीं,
गर्भपात दोष।।
जितना गर्भछेद करोगे,
उतना फे्र्टिलिटि केंद्र।
पुत्र शाप दशरथ को भी था तो
एक हजार में गर्भविच्छेद
डाक्टर की गति क्या होगी।।
सोचो समझो जानो
मजहबी मत मतांतर संप्रदाय धोखा।
धर्म पथ अगजग की आम नीति।
मजहबी मंदिर पर मानव का बँटवारा,
अतः हरिवंश को लिखना पड़ा
मदिरालय में एकता,
मंदिरों में भेद अनेकता।
दस रुपये में,होम यज्ञ में
पुण्य मिलता तो
चक्रवर्ती दशरथ रोते रोते
पुत्र शोक में न मरते।
राम कनक जानकी रख
अश्वमेध यज्ञ न करते।।
महाभारत में कृष्ण अधर्म वध न करते।
भारत पुण्य भूमि ही सही,
पापों के बढ़ते बढ़ते
जैन,बौद्ध,सिक्ख न होते।
पाप बढ़ेगा तो पुण्य पुरुषोत्तमों का जन्म।
भारत में बार बार पुण्य पुरुष।
अद्वैत्व एक दल।
द्वैतवन एकदल।
विशिष्टात्वैत्व एक दल।
शिव संप्रदाय एक दल,
वैष्णव संप्रदाय एक दल।
तिलक लगाने में भेद।
नाम जप में भेद।
अभिवादन प्रणालियों में भेद।
कर्पूर थाली दिखाने में
विभिन्न नाच।।
इनमें एकता कब होगी,
अमानुष्य शक्ति भी नहीं जानती।
इन भेदों के कारण एक गली में
चार जातीय मंदिर।
धन वसूलने का भक्ति मार्ग।
तुलसीदास, रैदास, सूरदास
भक्त राम दास के दास बने ईश्वर।
हीरे का मुकुट, स्वर्ण सिंहासन
गुरु दीक्षा पाने एक लाख।
पाखंडी लालची आश्रम
वहाँ धन न तो प्रवेश निषेध।
धनियों के लिए भगवान।
भ्रष्टाचारी रिश्वतखोरी
हीरे-जवाहरात चढ़ाते,
उनको प्रथम दर्शन।
सच्चे आराधक कौन?
मन चंगा तो कठौती में गंगा।
सच्चे ईश्वर भक्त न आडंबर आश्रमों में।
तमाशा देखिए
तमिलनाडु के नित्यानंद का पता नहीं।
कर्नाटक, तमिलनाडु सब के
पुलिस अधिकारी, जासूसी,
सब असमर्थ।।
जयललिता का फैंसला स्थगित
धन अधिकार स्वार्थ राजनीति की चरम सीमा।।
आज भी श्रीलंका के प्रभाकर का जय घोष।
कांग्रेस द्रमुक दल में एकता।
सोचो समझो जानो पहचानो।
स्वरचित स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक
एस. अनंत कृष्णन।
No comments:
Post a Comment