Saturday, August 12, 2023

धर्म कर्म

 धर्म-कर्म को जान लो,

 वह मत मतांतर संप्रदाय/मजहब-सा

  संकीर्ण मार्ग नहीं जान, मान।

  सब की भलाई, 

  भेद रहित,

  वही धर्म कर्म।

  सूर्य की ,चंद्र की रोशनी समान।

  शीतल हवा समान, 

 पेय जल समान

 पशु, पक्षी, वनस्पति जगत, मानव

सब को भेद-भाव रहित ।

यही धर्म-कर्म।

शिशु का धर्म,रोना,पीना, सोना।

छात्र जीवन में विद्यार्जन,

 अनुशासन पालन, अच्छी चालचलन सीखना।

 मानव पशु से मानवता सीख 

मनीषी बनना।

गृहस्थ धर्म का पालन।

अमानुष्य का पहचान।।

सत्य का पालन, परोपकार,

दान -धर्म, निस्वार्थ जीवन,तटस्थता।

यही धर्म-कर्म जान।।

स्वरचित एस.अनंतकृष्णन।

तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।



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