Monday, August 21, 2023

जान समझ चल

 नमस्ते वणक्कम

 एस . अनंत कृष्णन का।


 शीर्षक ----जान समझ चल।



पढूँ,लिखूँ, सुनूँ,सुनाऊँ,

समझूँ,समझाऊँ

 एक ही बात।

 नश्वर दुनिया।

नश्वर शरीर।

 जगत मिथ्या।

 जन्म अमीर के यहाँ,

 जन्म गरीब के यहाँ,

भिखारी के यहाँ,

 राजमहल में,

 रंक की झोंपड़ी में।

स्वस्थ काया,

 अस्वस्थ काया।

 लंबा शरीर,नाटा शरीर।

 मधुर स्वर, कर्ण कठोर स्वर।

बुद्धियुक्त,बुद्धि हीनता।।

 पहलवान शरीर,

दुर्बल शरीर।

दिव्य शक्ति,

आसुरी शक्ति।

सम्मानित जीवन

अपमानित जीवन।

 कदम कदम पर मर्यादा।

कदम कदम पर अवमर्यादा।।

खिला हुआ चेहरा,

कुम्हलाया चेहरा,

 आनंदमय जीवन,

संताप भरा जीवन,

 ईश्वरीय देन जान मान।।

अपराधी को राजपद।।

निरपराधी को फाँसी की सजा।

 ये सब अगजग में,

 अघों के कारण जान-मान।।

कर्मफल का परिमाण ।

 स्वर्ग नरक और कहीं नहीं,

 भूलोक ही जान!

 संतान हीन संताप।

 संतान से ही संताप।

 पालित पुत्र से सुख।

 स्व आनंद से सृष्टित

 संतान से असीम वेदनाएँ।

नौकरी मिली, पर वातावरण नरक तुल्य।।

नौकरी मिली, स्वर्ग सुख।

 वैवाहिक जीवन आनंद भरा

 वैवाहिक जीवन दुख भरा।।

  ये ही है ईश्वर सृष्टित  भूतल पर।

  अति सूक्ष्म शरीर धारण।

 अति सूक्ष्म लीला दाम।

दुनिया अजब बाजार है,

फूँक फूँककर कदम रखो।।

 एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई।

 स्वरचनाकार स्वचिंतक अनुवादक तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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