Friday, January 22, 2021

मेरी अभिव्यक्ति

 [19/01, 5:46 am] Ananthakrishnan: वक्त से डरो।

संगम संस्थान गुजरात इकाई।

नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक वक्त वक्त से डरो।

 वक्त  से डरना क्यों?

 वक्त तो चलता रहता है।

 वक्त की चिंता में

जीवन अपना बहूमूल्य या अमूल्य 

 या मूल्य रहित पता नहीं।।

 बुरे वक्त बुरे विचार के कारण।

सद्कर्म हमें बदमाश कर देता।

सुदर्शन जी ने अपनी कहानी में लिखा--

जब बुरा समय आता है,तब पहले 

बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

मौसमी वक्त में पतझड़ भी है।

कोशिश करनेवाले  सब के सब 

कामयाबी प्राप्त नहीं करते।।

सफलता प्राप्त करनेवाले सब 

कोशाश नहीं करतें।

काल चक्र काल तक।

वक्त पर अपने कर्तव्य निभाने वाले

 सिर्फ प्रकृति।

सूर्योदय होता है समय पर।

सूर्य सा वक्त निभाने वाले

 सूर्य सा चमकते अपने जीवन में।।

उनके जीवन में चाँदनी ही चाँदनी।

चंद्र के जीवन में घटा बढ़ का शाप।

वह भी करता वक्त पर।

सूर्य देता सबको चुस्ती।

जागने वाले जगमगाते।

सोने वाले के भाग्य में 

अमावाश्य अंधकार।।

वक्त  दशरथ को रुलाया।

वक्त जूते को गद्दी पर लिटाया।

वक्त राम को वनवास भेजा।

अग्नि प्रवेश फिर भी सांता वनवासिनी।।

 वक्त अपना काम करता है,

वह जीवन को

 वसंत या पतझड 

बना ही देता ।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

[23/01, 9:05 am] Ananthakrishnan: अपने को पहचानो।

आत्मविश्वास भर लो।

अन्यों का दोषारोपण पर 

अनंत ध्यान दो।

प्रशंसक तेरा कौन?

स्वार्थी या निस्वार्थी?

जानो गहराई से।

हम से ही काम लेकर मुफ्त में,

हमारी हंँसी उड़ायेंगे,कहेंगे 

"बेचारा भला आदमी".

कबीर,वाणी के डिक्टेटर ने कहा--

निंदक न्यारे राखिये,तभी मिलेंगे 

वास्तविक प्रशंसक।।

ईश्वर पर ही रखिए भरोसा--

जाको राखे साइयां मारी न सकै कोई।

बाल न बांका करि सकै जो जग वैरी होय।।

 कबीर सम कोई भक्त सुधारक नहीं,

 सरल वचन से गंभीर बात बताने।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी।

[23/01, 9:28 am] Ananthakrishnan: कलम की यात्रा 

प्रकृति। 

प्रणाम। 

बगैर प्रकृति के 

मानव जीवन का जन्म दुर्लभ। 

प्राकृतिक  चेतना ,

प्राकृतिक  प्रेरणा ,

प्राकृतिक गुण ,

ऋतु  परिवर्तन। 

सूर्योदय चंद्रोदय। 

तारों की चमक.

खारा पानी भाप बनकर 

मीठा पानी की वर्षा। 

बिंदु ,शिशु ,बचपन ,

लड़कपन ,जवानी ,प्रौढ़ावस्था। 

बुढ़ापा ,झुर्रियाँ ,मृत्यु। 

प्राकृतिक शक्ति  अद्भुत। 

वैज्ञानिक मानव  बुद्धि अचंभित। 

अल्ला ,ईसा ,शिव ,विष्णु भेद भाव 

मानव कृत रक्षा नहीं करती 

भूकंप ,सुनामी ,ज्वालामुखी ,

नयी नयी दवाएँ ,

ताज़ी बीमारियाँ। 

ईश्वरीय  शक्ति  असली सोना ,

असली हीरा ,असली मिट्टी। 

बने बनायी आभूषण  मानव कृत। 

सोना ,हीरा ,पन्ना  प्राकुतिक शक्ति। 

मनुष्य शक्ति  प्राकृतिक शक्ति के प्रदूषण से 

फीकी ,अति दुर्बल। 


स्वरचित ,स्वचिंतक यस. अनंतकृष्णन।

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