नमस्ते वणक्कम।
विषय --रंग
विधा अपनी भाषा अपनी शैली अपने छंद अपनेविचार।
जिंदगी में कुछ लोग
रंग लाते हैं तो
कुछ लोग रंग में भंग करते हैं।
भक्ति के क्षेत्र में रंगे सियार होते हैं।
रंग बदलने वाले राज नीतिज्ञ होते हैं।
रंग लाने वाले रंगे सियार होते हैं।
रंगे हाथ पकड़ने पर भी भ्रष्टाचारी
चेहरे के रंग उखड़ने पर भी,
रवि किरण बन जाते हैं।
वर्षा के इंद्रधनुष सात रंग होते हैं।
श्वेतांबर शक्ति का तो
गेरुआ त्याग का।
व्यवहार में रंग रंग दिखाने वाले
समाज में बहिष्कृत होते हैं।
स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक।
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