Thursday, February 4, 2021

स्वतंत्र

 ग्वालियर साहित्यिक सांस्कृतिक मंच के प्रशासक प्रबंधक संचालक समन्वयक सदस्य पाठक सब को सादर प्रणाम।

  इस दल में मेरी पहली अभिव्यक्ति।

३-२-२०२१

विषय  स्वतंत्र 

विधा। अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद

 स्वतंत्र भारत नाम के लिए।

नौकरी बगैर अंग्रेज़ी के नहीं।

पोशाक अंग्रेज़ी के।

  टूटी फूटी अंग्रेज़ी न तो

 शुद्ध भारतभाषी अपमानित।

अंग्रेज़ी पेय,पीने का जल 

 हर बात में अंग्रेजियत।

हम स्वतंत्र भारतीय नाम के वास्ते।

विदेशी पूंजी विदेशी मालिक 

हम हैं दास।

भारतीय दास,नाथ देव तुल्य।

तुलसीदास कबीरदास रैदास एकनाथ


स्वतंत्र व्यक्तित्व दासों को भूल,

अंग्रेज़ी दास बनकर कहते हैं

स्वतंत्र।

सत्तर साल के बाद

आज ललकार

स्ववच्छ भारत, भारतीय बनो।

 भारत में बनाओ।

गंगा घाटी डुबोकर पानी।

पर मुझे पीने का पानी

एक लिटर २५ रुपए में लेना पड़ा।

  यह धिक्कार है स्वतंत्र।

स्वरचित स्वचिंतक एस अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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