Wednesday, February 3, 2021

भावना

 हम नमस्कार वणक्कम।

कलमकार कुंभ ३-२-२०२१!

विषय। भावना।

विधा अपनी शैली अपनी भाषा अपनी अभिव्यक्ति अपना छंद।

अपनों के दुख में,

  भावना  अलग।

परायों के दुख में

भावना अलग।

पीडा का संवेग 

 दोस्ती-शत्रु में

अति विपरीत।।

  हार जीत में

पक्ष दल विपक्षदल 

मृत्यु में भी  भावना अलग।

 आँखों देखी दुर्घटना,

आकस्मिक हो तो

भावना  अलग।

ड्राइवर पियक्कड़ होतो 

क्रोध की भावना बहुगुणा अधिक।।

 डाक्टर हाथ छोड़ देता तो

भक्ति भावना अलग।

 नकली साधु ढोंगी का पता

लगे तो भक्ति विपरीत।

भावनाएँ अलग अलग । भी

घटना  अलग-अलग।

 प्रेम में फर्क,क्रोध में फ़र्क।

  करुण में फर्क।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक

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