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Friday, November 30, 2018

भुर कुस निकालना (मु )

भुर कुस निकालना
तब होता है जब भृकुटि चढ़ता है
जब भृकुटि चढ़ता है ,तब भ्रष्ट होता है बुद्धि।
जब भ्रष्ट होता है बुद्धि ,तब बुरा समय आता है
तब हमारे पैर ही ठोकर खाता है
,जब बुरा समय आता है ,
जीभ से प्रकटी बात ,तीर सा चुभता है
तब क्रोधी पात्र भुरकुस निकालने लगता है।
आँखें लाल होती हैं
तब मज़हबी की गाली निकलती है या खानदान की।
वह इंसानियत को नष्ट कर ,
भुरकुस निकालकर
खानदानी ,जाति -संप्रदाय ,मजहबी
दलीय ,ग्रामीण महाभारत कुरुक्षेत्र।
भुरकुस निकालना स्थायी दुश्मनी मोल लेती है.
डा.रजनी कान्त द्वारा नए मुहावरा ,
इंसानियत की भूलें , नयी कल्पना ,
नया जागरण , मनुष्यता जगाना
तू तू मैं मैं से बचना ,
इतनी सीख ,
समझो ,सोचो ,जागो ,
भुरकुस निकालो कभी नहीं।

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