Saturday, December 1, 2018

साहित्य (मु )

तस्वीर   में लेटी औरत.
 ओढने किताबों के पन्ने.
हाँ, मनुष्यता जब पशुता  को अपना बनाता है,
तब कोई  कवि लेखक या नारा
जन मानस को  सुप्त भावावेश  को
ऐसा जगा देता है ,
नारा लगाता है
करो या मरो .
जिओ और जीने दो
वंदेमातरम
यह नारा, साहित्य, गीत
रहता है "सारे जहाँ से अच्छा,
           हिंदुस्तान  हमारा हमारा!

नर हो, न निराश  करो मन को
कुछ काम करो कुछ नाम करो.

 देखो, साहित्य का प्रभाव!
मान-मर्यादा  की रक्षा
चित्र का किताबी आवरण
करत करत अभ्यास करत
जड़मति होत सुजान.
 किताब में छपी विषय
मान रक्षक
देश रक्षक
मूर्ख को आशाजनक
साहित्य समाज और राष्ट्र  उद्धारक.

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