Friday, December 28, 2018

आंडाल तिरुप्पावै.. 14

आंडाल  रचित तिरुप्पावै.. 14.

 सखियाँ   तडकें जाग चुकीं.
आज जाने की बारी की सखी
मीठी नींद में हैं.
उनको जाती हुई गाती है:-
 तुमने अपना वादा पूरा नहीं किया.
हमारे जागने के पहले तुमको जागकर
हमें जगाने की बारी  है और वादा है.
तुम कोअपना  वादा न निभाने केलिए
शर्मिंदा होना चाहिए.  बेशरम सो रहे हो.  तुम्हारे घर के पीछे के तालाब में
फूल  खिल गए.
गेरुआ कपडे  पहने साधुसंत
नारायण का भजन करते करते जा रहे हैं.
तुम तो ऐसा सो रही हो.
अनसुनी नींद से जागो.
शंख चक्रधारी, कमल नयन भगवान को भूलकर
सोना सही नहीं है.

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